जानिए माइग्रेन और सिरदर्द में क्या होता है फर्क

migraine vs headache
मिताली जैन । Jun 30 2020 6:54PM

सिरदर्द सिर में होने वाला एक अप्रिय दर्द है, जो दबाव और दर्द का कारण बन सकता है। यह दर्द हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है। यह सिर के दोनों तरफ होता हैं। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ विशिष्ट क्षेत्र जहां सिरदर्द हो सकते हैं उनमें माथा, मंदिर और गर्दन का पिछला भाग शामिल हो सकते हैं।

सिरदर्द आज के समय में एक आम समस्या है। हम सभी ने कभी ना कभी सिरदर्द का अनुभव किया है। कई बार यह हल्का होता है तो कभी बेहद गंभीर। सामान्य सिरदर्द कुछ समय पश्चात् या कुछ सामान्य उपचार के बाद खुद ब खुद ठीक हो जाता है। माइग्रेन भी एक तरह का सिरदर्द ही है, लेकिन यह एक थोड़ी गंभीर स्थिति है और इसे उपचार की आवश्यकता होती है। कुछ लोग सामान्य सिरदर्द को माइग्रेन समझ लेते हैं, वहीं कुछ लोग माइग्रेन को एक सामान्य सिरदर्द समझकर इग्नोर करते रहते हैं, जिसके कारण उनकी हालत बद से बदतर हो जाती है। यह दोनों ही स्थितियां आपको परेशान कर सकती हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप सिरदर्द और माइग्रेन के बीच का अंतर समझें और समस्या उत्पन्न होने पर अपना सही तरह से इलाज कर सकें। तो चलिए आज हम आपको माइग्रेन और सिरदर्द के बीच का अंतर बता रहे हैं−

इसे भी पढ़ें: माइग्रेन के दर्द से हैं परेशान तो इन घरेलू उपायों से मिलेगी राहत

क्या है सिरदर्द

डॉक्टर बताते हैं कि सिरदर्द सिर में होने वाला एक अप्रिय दर्द है, जो दबाव और दर्द का कारण बन सकता है। यह दर्द हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है। यह सिर के दोनों तरफ होता हैं। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ विशिष्ट क्षेत्र जहां सिरदर्द हो सकते हैं उनमें माथा, मंदिर और गर्दन का पिछला भाग शामिल हो सकते हैं। एक सिरदर्द 30 मिनट से एक सप्ताह तक कहीं भी रह सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, सबसे आम सिरदर्द का कारण तनाव है। तनाव, मांसपेशियों में खिंचाव और चिंता के कारण इस तरह सिरदर्द होता है। हालांकि इसके अतिरिक्त भी सिरदर्द अन्य कई तरह का होता है। 

क्लस्टर सिरदर्द

इनमें सबसे पहले क्लस्टर का सिरदर्द है, यह गंभीर रूप से दर्दनाक सिरदर्द हैं जो सिर के एक तरफ होता है और अक्सर आंखों में पीछे इस दर्द का अहसास होता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार, क्लस्टर सिरदर्द आमतौर पर 6 से 12 सप्ताह तक रहता है। क्लस्टर सिरदर्द महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक बार प्रभावित करते हैं। इसके लक्षणों में सिर के एक तरफ गंभीर दर्द, आंख के पीछे दर्द, लाल, पानी वाली आँखें, पसीना आना, बेचैनी या हृदय गति में परिवर्तन आदि शामिल है।

साइनस सिरदर्द

इस तरह का सिरदर्द अक्सर सर्दी−जुकाम होने पर नजर आता है। यह साइनस सिरदर्द बुखार, भरी हुई नाक, खांसी और चेहरे के दबाव जैसे साइनस संक्रमण के लक्षणों के साथ होता है।

चिरारी सिरदर्द

एक चियारी सिरदर्द एक जन्म दोष के कारण होता है जिसे चियारी विकृति के रूप में जाना जाता है, जो खोपड़ी को मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के खिलाफ धक्का देता है, जिससे अक्सर सिर के पीछे दर्द होता है।

थंडरक्लैप सिरदर्द

थंडरक्लैप सिरदर्द एक बहुत ही गंभीर सिरदर्द है जो 60 सेकंड या उससे कम में विकसित होता है। यह एक सबरैक्नॉइड रक्तस्राव का लक्षण हो सकता है, एक गंभीर चिकित्सा स्थिति जिसमें तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। यह एन्यूरिज्म, स्ट्रोक या अन्य चोट के कारण भी हो सकता है।

इसे भी पढ़ें: तनाव का स्तर बढ़ जाने पर शरीर में होते हैं यह बड़े बदलाव

क्या है माइग्रेन

ये सिरदर्द तीव्र या गंभीर होते हैं और अक्सर सिर में दर्द के अलावा अन्य लक्षण होते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि माइग्रेन सिरदर्द से जुड़े लक्षणों में जी मिचलाना, एक आंख या कान के पीछे दर्द, टेम्पल में दर्द, प्रकाश और/ या ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता, अस्थायी दृष्टि हानि व उल्टी आदि शामिल हैं। यह माइग्रेन का सिरदर्द आमतौर पर सिर के केवल एक तरफ को प्रभावित करेगा। माइग्रेन सिरदर्द में तीव्र दर्द होता है, जो आपके दैनिक कार्यों को भी बहुत मुश्किल बना देता है। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रह सकता है। वहीं, माइग्रेन टि्रगर की बात हो तो इसमें भावनात्मक चिंता, गर्भ निरोधकों का सेवन, शराब, हार्मोनल परिवर्तन, रजोनिवृत्ति आदि शामिल हैं।

इलाज

हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि सिरदर्द और माइग्रेन के इलाज का तरीका अलग−अलग होता है। अगर सिरदर्द के इलाज की बात की जाए तो इसमें दवाइयों के साथ−साथ रिलैक्सेशन तकनीक का उपयोग प्रभावकारी होता है। चूंकि सिरदर्द का एक मुख्य कारण तनाव होता है, इसलिए आप हीट थेरेपी से लेकर मालिश, मेडिटेशन, गर्दन में स्टेचिंग, रिलैक्सेशन एक्सरसाइज आदि का सहारा लिया जा सकता है। वहीं, माइग्रेन के इलाज के लिए प्रिवेंशन को ही सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। दरअसल, माइग्रेन के दर्द के कुछ टि्रगर होते हैं और उन पर ध्यान दिया जाए तो माइग्रेन के दर्द से काफी हद तक निपटा जा सकता है। इनमें आहार में बदलाव के साथ−साथ, डॉक्टर की सलाह पर दी गई दवाइयों का सेवन व तनाव को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाना शामिल हैं। 

मिताली जैन

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़