तनाव का स्तर बढ़ जाने पर शरीर में होते हैं यह बड़े बदलाव

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मिताली जैन । May 9 2020 8:10PM

जब व्यक्ति को अत्यधिक तनाव होता है तो उसे लगातार सिरदर्द, व जबड़े में दर्द व अकड़न का अहसास अक्सर होता है। दरअसल, डिप्रेशन में व्यक्ति अक्सर अपने दांत को पीसता है, जिसके कारण उसे दांतों में दर्द व अकड़न की समस्या होती है।

तनाव आज के समय में हर किसी की जिन्दगी में अपनी पैठ बना चुका है। चाहे बच्चे हों या बड़े, हर व्यक्ति किसी ना किसी तरह की चिंता से हमेशा ही घिरा रहता है। कुछ हद तक तनाव होना स्वाभाविक भी है। लेकिन जब यही तनाव बढ़ने लगता है तो इससे व्यक्ति को एंग्जाइटी, अवसाद व अन्य कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, अगर तनाव बढ़ जाए तो इससे बाहर निकल पाना व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते इसकी पहचान कर ली जाए और प्रोफेशनल हेल्प की मदद से स्थित किो नियंत्रित किया जाए। आमतौर पर शरीर में तनाव का स्तर बढ़ जाने पर कुछ बदलाव नजर आते हैं। तो चलिए जानते हैं उन बदलावों के बारे में−

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सिरदर्द व दांत दर्द

जब व्यक्ति को अत्यधिक तनाव होता है तो उसे लगातार सिरदर्द, व जबड़े में दर्द व अकड़न का अहसास अक्सर होता है। दरअसल, डिप्रेशन में व्यक्ति अक्सर अपने दांत को पीसता है, जिसके कारण उसे दांतों में दर्द व अकड़न की समस्या होती है।

मांसपेशियों में कमजोरी

तनाव के कारण व्यक्ति के शरीर में अक्सर कंपन होती है। यहां तक कि उसके होंठ व हाथ भी कांपते हैं। इतना ही नहीं, इससे मांसपेशियों में ऐंठन, गर्दन में दर्द और पीठ दर्द की समस्या भी उत्पन्न होती है। तनाव के कारण व्यक्ति को चक्कर आना, हल्का सिरदर्द व बेहोशी भी हो सकती है।

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त्वचा संबंधी समस्याएं

जी हां, तनाव का बढ़ता स्तर कई त्वचा संबंधी समस्याओं को भी जन्म देता है। दरअसल, तनाव के कारण व्यक्ति को बार−बार पसीना आता है या फिर उसके हाथ−पैर बार−बार ठंडे हो जाते हैं। जिसके चलते व्यक्ति को स्किन पर चकते, दाने, खुजली, मुंहासे व अन्य तरह की एलर्जी होने लगती है।

पेट की समस्या

तनाव को हार्टबर्न, अपच, पेट दर्द व मतली का कारण माना जाता है। इसके कारण व्यक्ति को पेट फूलना, कब्ज, दस्त, आदि समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए अगर आपको इस तरह की समस्या लगातार बनी रहे तो इसे बिल्कुल भी अनदेखा ना करें।

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क्रोनिक दर्द

शरीर में तनाव का स्तर बढ़ जाने पर अक्सर लोगों को तरह−तरह के दर्द की शिकायत होती है। एक अध्ययन के अनुसार, स्टेस हार्मोन कोर्टिसोल का बढ़ा हुआ स्तर पुराने दर्द से जुड़ा हुआ हो सकता है। इसलिए शरीर में तनाव का स्तर बढ़ने पर व्यक्ति को पुराना दर्द फिर से परेशान कर सकता है। वैसे तनाव के अतिरिक्त उम्र बढ़ने, चोट, बैड पॉश्चर व नर्व डैमेज के कारण भी व्यक्ति को क्रोनिक पेन की समस्या होती है।

मिताली जैन

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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