How To Clean Lungs: अपनी सांसों को दें मजबूती, इन आदतों से फेफड़ों की बीमारियों को रखें दूर

How To Clean Lungs
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आप अपनी लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव करके और कुछ नई आदतों को शामिल करके रेस्पिरेटरी हेल्थ की रक्षा कर सकते हैं। इसको बेहतर बनाने से फेफड़ों की बीमारी का खतरा कई गुना कम होता है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी हेल्दी आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं।

जिंदा रहने के लिए सेल्स को ऑक्सीजन देने का काम फेफड़ों द्वारा किया जाता है। लेकिन लोगों का इस पर ध्यान तभी जाता है, जब फेफड़ों में दिक्कत आने लगती है। सांस लेने में समस्या या खांसी का न बंद होना फेफड़ों संबंधित समस्या में शामिल हैं। हालांकि आप अपनी लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव करके और कुछ नई आदतों को शामिल करके रेस्पिरेटरी हेल्थ की रक्षा कर सकते हैं। इसको बेहतर बनाने से फेफड़ों की बीमारी का खतरा कई गुना कम होता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ ऐसी हेल्दी आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको अपनाकर आप लंग्स लाइफ को बेहतर बना सकते हैं।

फिजिकल एक्टिविटी

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो फिजिकल एक्टिविटी से लंग कैपेसिटी और फंक्शन में सुधार होता है। साइकिल चलाना, तेज चलना और तैराकी जैसे एरोबिक एक्सरसाइज करने से हार्ट रेट बढ़ता है और फेफड़ों को ऑक्सीजन का अच्छे से उपयोग करने में सहायता मिलती है। फिजिकल एक्टिविटी का सामान्य लेवल रखने वाले लोगों में रेस्पिरेटरी प्रोसेस बेहतर होता है और सीओपीडी बढ़ने की संभावना कम होती है। आप रोजाना 30 मिनट वॉक करके भी यह फायदा पा सकते हैं।

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ब्रीदिंग एक्सरसाइज

स्ट्रक्चर्ड ब्रीदिंग एक्सरसाइज का अभ्यास करने से फेफड़े के फंक्शन शारीरिक रूप से बेहतर होते हैं। डायाफ्रामिक ब्रीदिंग यानी पेट से सांस लेना और होंठ सिकोड़कर श्वास लेने जैसे तरीके वायुमार्ग को लंबे समय तक खुला रखने में सहायता कर सकते हैं। यह अभ्यास सांस फूलने की दिक्कत को भी कम कर सकती हैं। खासकर अस्थमा या सीओपीडी से पीड़ित व्यक्तियों में इस एक्सरसाइज का अच्छा असर देखने को मिलता है।

हेल्दी वजन

पेट के आसपास अधिक चर्बी होने से डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है और लंग वॉल्यूम कम हो सकता है। क्लीनिकल इंवेस्टिगेशन में स्लीप एपनिया के खतरे, लंग वॉल्यूम में कमी और अस्थमा कंट्रोल में कमी देखी गई है। दूसरी तरफ हेल्दी तरीके से वेट लॉस करना लंग मैकेनिज्म और ऑक्सीजनेशन के लिए फायदेमंद होता है। सब्जियों, फलों और साबुत अनाज से बनी हेल्दी डाइट लेने से एंटीऑक्सीडेंट मिलता है, जोकि लंग टिश्यू में ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ते हैं।

एयर क्वालिटी

बता दें कि आप जितनी अच्छी एयर क्वालिटी में सांस लेंगे, आपके फेफड़े उतने ही ज्यादा मजबूत होंगे। घरेलू धुएं या व्यावसायिक धूल और प्रदूषण आदि के संपर्क में लंबे समय तक रहने से लंग ग्रोथ धीमी हो जाती है और इससे रेस्पिरेटरी डिजीज का खतरा बढ़ता है।

पानी से भरे फूड्स

हाइड्रेशन से लंग और एयरवे में बलगम को पतला करने में सहायता मिलती है। इससे फेफड़ों द्वारा बलगम को बाहर निकालने में आसानी होती है। साथ ही इनमें पनप रहे बैक्टीरिया या वायरस बाहर निकल जाते हैं। क्लिनिकल नजरिए से समझें, तो हाइड्रेशन से फेफड़ों के नेचुरल क्लीयरिंग सिस्टम को सपोर्ट मिलता है। इसके लिए खीरा-ककड़ी, पानी और हर्बल टी जैसे पानी से भरे फूड्स का सेवन करना चाहिए।

छोड़ें धूम्रपान और स्मोकिंग

फेफड़ों के लिए धूम्रपान छोड़ने से ज्यादा फायदेमंद कुछ नहीं है। क्योंकि सिगरेट के धुएं में हजारों केमिकल होते हैं, जोकि फेफड़ों के टिश्यू को नुकसान पहुंचाते हैं। एयरवे को सिकोड़ते हैं और फेफड़ों के सीओपीडी, कैंसर और हृदय रोग के खतरे को तेजी से बढ़ाते हैं। इसके साथ ही सेकेंडहैंड स्मोकिंग से भी बचना चाहिए। क्योंकि इससे वायुमार्ग में सूजन आ सकती है और उम्रबढ़ने के साथ ही फेफड़ों का फंक्शन कम हो जाता है।

नींद

खराब नींद और लगातार तनाव होने के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। जिससे फेफड़े संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। नींद की कमी को सांस की नली की सूजन से जोड़ा गया है। योग, ध्यान और नेचर वॉक जैसे अभ्यास से स्ट्रेस हार्मोन को कम किया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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