ज्ञान का प्रसार ही वर्णद्वेष का इलाज है

पृथ्वी पर कहीं भी ऐसी जगह नहीं है, जहां नस्लवाद, एक या किसी अन्य रूप में मौजूद नहीं है। सबसे उन्नत पश्चिमी लोकतंत्रों से लेकर सबसे कम विकसित देशों में भी, आपकी त्वचा का रंग, आपकी जाति, या आपकी आदिवासी उत्पत्ति, यह सब एक दूसरों के साथ आपके व्यवहार के तरीके में एक घटक बनता जा रहा है। लोग एक-दूसरे का न्याय इसपर करते हैं कि वे कैसे दिखते हैं-गहरे चमड़े, हल्के चमड़े, लंबा या छोटा।
नस्लीय पूर्वाग्रह दुनिया भर के सैकड़ों लाखों मनुष्यों की अनजान पीड़ा और अन्याय का कारण बन रहा है। वाई लाना, असाधारण योगीनी हमें यह जताना चाहती है कि ये सब पीड़ा एक गलतफहमी के कारण होती है, जिसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
अपने नवीनतम संगीत वीडियो, कलर्स में, जिसे उन्होंने योग का अंतर्राष्ट्रीय दिवस २०१८ मनाने के लिए जारी किया, वाई लाना एक मजेदार, पैरों को थिरकानेवाले, रंगीन नृत्य में से एक गंभीर संदेश प्रस्तुत करती है। योग के ज्ञान से, वह हमें यह विचार करने के लिए कहती है कि क्या हम एक दूसरे का, पहने जानेवाले कपड़े के रंग से न्याय करते हैं। चुँकि हम प्रतिदिन अपने कपड़े बदलते हैं, तो ऐसा कोई भी निर्णय अजीब होगा।
इसी तरह, योग ज्ञान से पता चलता है कि हम-अपने शरीर नहीं हैं, जो लगातार बदलते रहेंगे। बल्कि सत्य अर्थ में हम सभी आध्यात्मिक प्राणी, सभी भाई और बहनें, रिश्तेदार, हैं। अगर यह ज्ञान आगे फैलता है, तो दुनिया में नस्लवाद का प्रभाव कम होगा।
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