3 देशों ने मिलकर एक साथ किया ऐसा बड़ा हमला, तबाह कर डाला पूरा मुस्लिम देश!

यमन के ऊपर तीन देशों ने बड़ा हमला किया है। पहला हमला इजराइल ने यमन की राजधानी सना पर किया। दूसरा हमला अमेरिका और तीसरा हमला सऊदी अरब ने किया है। यह तीनों अटैक हुती और अलकायदा के ठिकानों पर किए गए हैं। यह हमले ऐसे वक्त में हुए हैं जब अलकायदा और हूती ने एक साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की है।
दुनिया भर में इस वक्त अलग-अलग जगह जंग छिड़ी हुई है। इन जंगों के छिड़ने के अलग-अलग मुद्दे हैं। भले ही गाजा में इजराइल और हमास के बीच सीजफायर हो गया हो लेकिन मिडिल ईस्ट में फिर भी शांति दिखाई नहीं दे रही है। अब मिडिल ईस्ट में एक मुस्लिम देश बुरी तरह से घिर गया है। जिस पर तीनों देशों ने एक साथ भीषण हमला करके तबाही मचा दी है। यमन के ऊपर तीन देशों ने बड़ा हमला किया है। पहला हमला इजराइल ने यमन की राजधानी सना पर किया। दूसरा हमला अमेरिका और तीसरा हमला सऊदी अरब ने किया है। यह तीनों अटैक हुती और अलकायदा के ठिकानों पर किए गए हैं। यह हमले ऐसे वक्त में हुए हैं जब अलकायदा और हूती ने एक साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की है।
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यमन में हूती विद्रोहियों का लंबे वक्त से कब्जा है। हूती को मिडिल ईस्ट में ईरान का प्रोक्सी संगठन माना जाता है। दरअसल इजराइल जवाबी कारवाई के तहत लगातार यमन पर ड्रोन और मिसाइल अटैक कर रहा है। हाल ही में इजराइल ने हूती के चीफ कमांडर अलगारी की हत्या कर दी थी। हूती के विद्रोही इजराइल को अपना नंबर वन दुश्मन मानते हैं। इजराइली हमले को देखते हुए हूतियों ने हाल ही में सामान्य लामबंदी की घोषणा की थी। इसके तहत पूरे यमन में रेड अलर्ट जारी किया गया था। इजराइल की कारवाही में अब तक 50 से ज्यादा हूती के लड़ाके मारे जा चुके हैं। वहीं 600 से ज्यादा यमन के नागरिकों की हत्या हो चुकी है।
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हिज़्बुल्लाह ने कहा कि उसे इज़राइल के खिलाफ अपनी रक्षा करने का अधिकार है और उसने लेबनान और उसके दक्षिणी पड़ोसी के बीच किसी भी राजनीतिक वार्ता की संभावना को खारिज कर दिया। यह बयान इज़राइल द्वारा हिज़्बुल्लाह के खिलाफ लेबनान में अभियान तेज करने की चेतावनी के बाद आया है, जिसमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने समूह पर फिर से हथियारबंद होने का आरोप लगाया है। हिज़्बुल्लाह ने कहा कि हम अपने वैध अधिकार की पुष्टि करते हैं। एक ऐसे दुश्मन से अपनी रक्षा करने के लिए जो हमारे देश पर युद्ध थोपता है और अपने हमले बंद नहीं करता। ईरान समर्थित इस उग्रवादी आंदोलन ने लेबनान और इज़राइल के बीच किसी भी राजनीतिक वार्ता की संभावना को भी खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी बातचीत राष्ट्रीय हित में नहीं होगी।
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हिज़्बुल्लाह ने अपने बयान को लेबनानी जनता और उनके नेताओं के नाम एक खुला पत्र बताया। लेबनानी सरकार इस उग्रवादी समूह को निरस्त्र करने के अपने प्रयासों की प्रगति की समीक्षा के लिए बातचीत करेगी – यह एकमात्र ऐसा आंदोलन है जिसने 1975-1990 के गृहयुद्ध के बाद अपने हथियार सौंपने से इनकार कर दिया था। इसने कहा कि वह पिछले साल इज़राइल के साथ हुए युद्धविराम के प्रति प्रतिबद्ध है, महीनों की शत्रुता के बाद जो एक पूर्ण युद्ध में बदल गई थी। नवंबर 2024 के समझौते के बावजूद, इज़राइल दक्षिणी लेबनान के पाँच क्षेत्रों में सैनिकों को तैनात रखे हुए है और नियमित हमले जारी रखे हुए है।
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