35000 सैनिक, चीन की अकड़ तोड़ने के लिए भारत ने 18 देशों को साथ लेकर लिया बड़ा एक्शन

तिब्बत पर लगभग कब्जा कर रखा है। नेपाल पर भी उसकी नजर है। अपनी महत्वकांक्षी बीआरआई के तहत कई देशों को लोन भी दिया हुआ है। जिससे वो अपने पैर जमा सके। जमीन के अलावा चीन का रोड प्रोजेक्ट समुद्र को भी अपना ठिकाना बना रहा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की घुसपैठ से पूरी दुनिया परेशान है। लेकिन अब पहली बार 19 देश एक साथ चीन के खिलाफ संदेश देने के लिए सामने आए हैं।
अक्सर कहा जाता है कि हम दोस्त तो बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं। अगर हम अपने आस पास नजर घुमाकर देखें तो चारों तरफ दोस्ती वाली फिलिंग तो नहीं ही आती है। एक तरफ पाकिस्तान-बांग्लादेश है तो दूसरी तरफ ऊपर चीन बैठा है। जिस तरह से चीन की विस्तारवादी नीति है। वो ताइवान पर कब्जा करना चाहता है। तिब्बत पर लगभग कब्जा कर रखा है। नेपाल पर भी उसकी नजर है। अपनी महत्वकांक्षी बीआरआई के तहत कई देशों को लोन भी दिया हुआ है। जिससे वो अपने पैर जमा सके। जमीन के अलावा चीन का रोड प्रोजेक्ट समुद्र को भी अपना ठिकाना बना रहा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की घुसपैठ से पूरी दुनिया परेशान है। लेकिन अब पहली बार 19 देश एक साथ चीन के खिलाफ संदेश देने के लिए सामने आए हैं।
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35 हजार से अधिक सैनिक और 19 देश मिलकर सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। इसे सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास कहा जा रहा है। टैलिसमैन सेबर नाम से अभ्यास ऑस्ट्रेलिया में हो रहा है। इस युद्धभ्यास में कनाडा, फिजी, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपीन, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, थाईलैंड, टोंगा और ब्रिटेन शामिल हैं। मलेशिया और वियतनाम भी इस अभ्यास में पर्यवेक्षक के रूप में भाग ले रहे हैं। अभ्यास की व्यापकता का अंदाजा इसी से पता चलता है कि इसमें 19 देशों के 35,000 से अधिक सैन्यकर्मी भाग ले रहे हैं और यह अभ्यास तीन सप्ताह तक चलेगा।
टैलिसमैन सेबर अभ्यास की शुरुआत 2005 में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक द्विवार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास के रूप में हुई थी। अभ्यास को दुनिया का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे उन्नत युद्धभ्यास कहा जा रहा है। टैलिसमैन सेबर में भाग लेने वाले सभी 19 देश की सेनाओं के बीच अंतर संचालन को बढ़ाया जा सके। इसके अलावा सैन्य रणनीतियों का अभ्यास किया जा सके। जैसे किस तरह बहुत सारे देश मिलकर किस तरह इसको अंजाम दे सकते हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में सहयोग को और मजबूत किया जा सके। ये अभ्यास सहयोगी देशों के बीच सामरिक और तकनीकी समनवय को बढ़ावा देगा।
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साथ ही मल्टी डोमन युद्ध यानी जमीन, समुद्र, हवा, साइबर की तैयारी को मजबूत करवाएगा। ये क्षेत्रिए सुरक्षा को बढ़ावा देने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत शांति स्थापना के लिए देशों की क्षमता को बढ़ाने का भी लक्ष्य रखता है। इसके अलावा ये अभ्यास इंडो पैसेफिक क्षेत्र में एकजुटता और संतुलन को बढ़ावा देने का संदेश देता है।
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