प्रोस्टेट कैंसर होने के बाद American व्यक्ति आयरिश लहजे में बोलने लगा

Irish accent
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उक्त उच्चारण को अनियंत्रित के तौर पर वर्णित किया गया, जिसका अर्थ है कि यह व्यक्ति कोशिश करने के बावजूद आयरिश लहजे में बोलने से खुद को नहीं रोक सका। वह अपनी मृत्यु तक उसी लहजे में बोलता रहा। ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी व्यक्ति में प्रोस्टेट कैंसर की वजह से ‘‘विदेशी लहजे में बोलने के लक्षण’’विकसित हुए।

मेटास्टैटिक प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के बाद एक अमेरिकी व्यक्ति ‘आयरिश’ लहजे में बोलने लगा। उक्त व्यक्ति की आयु करीब 55 वर्ष थी और वह अपने जीवन में कभी भी आयरलैंड नहीं गया था। उक्त उच्चारण को अनियंत्रित के तौर पर वर्णित किया गया, जिसका अर्थ है कि यह व्यक्ति कोशिश करने के बावजूद आयरिश लहजे में बोलने से खुद को नहीं रोक सका। वह अपनी मृत्यु तक उसी लहजे में बोलता रहा। ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी व्यक्ति में प्रोस्टेट कैंसर की वजह से ‘‘विदेशी लहजे में बोलने के लक्षण’’विकसित हुए।

साथ ही, यह कैंसर के कारण विदेशी लहजे में बोलने के लक्षणों वाला तीसरा मामला है,अन्य दो मामले स्तन कैंसर और मस्तिष्क कैंसर से जुड़े थे। विदेशी लहजे में बोलने के लक्षण आमतौर पर मस्तिष्क को क्षति पहुंचने के परिणामस्वरूप होता है, जैसे कि मस्तिष्काघात से। मस्तिष्काघात विभिन्न तरह से बोलने और विकारों का कारण बन सकता है, लेकिन विदेशी लहजे में बोलने का लक्षण अधिक असामान्य है। इसके अन्य कारणों में, मस्तिष्क की संरचना में परिवर्तन, जैसे कैंसर ट्यूमर, एन्सेफलाइटिस और डिमेंशिया जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार शामिल हैं।

इस स्थिति का वर्णन पहली बार 1907 में एक फ्रांसीसी न्यूरोलॉजिस्ट पियरे मैरी ने किया था। मैरी ने एक ऐसे व्यक्ति के मामले का वर्णन किया था, जो मूल रूप से पेरिस लहजे में फ्रेंच बोलता था, लेकिन अचानक उसने क्षेत्रीय लहजे में फ्रेंच बोलना शुरू कर दिया। आज तक, क्लिनिकल अध्ययनों में विदेशी लहजे में बोलने के लगभग 200 मामले सामने आए हैं। शायद सबसे सुविदित मामला जॉर्ज माइकल का है, जब उसने 2011 में निमोनिया होने पर कोमा में जाने के बाद ठीक होने पर एक पश्चिमी देश के लहजे में बात की। गायक उत्तरी लंदन का रहने वाला है।

रोगियों के लिए स्थिति चिंताजनक हो सकती है क्योंकि वे एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व विशेषता खो देते हैं जो उनके उच्चारण द्वारा व्यक्त की जाती है। इस बीमारी के प्रभाव की सूचना 1947 में नॉर्वे के न्यूरोलॉजिस्ट मोनराड-क्रोन द्वारा दी गई थी। उन्होंने नॉर्वे की एक महिला का वर्णन किया था, जिसे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बमबारी की वजह से सिर में गंभीर चोट लगी थी। इसके परिणामस्वरूप, उसने एक जर्मन विदेशी उच्चारण के साथ नॉर्वेजियन में बात की।

उसे अक्सर दुकानों में सामान देने से मना कर दिया जाता था क्योंकि लोग सोचते थे कि वह जर्मन है। हर समय एक विदेशी के रूप में पहचाना जाना और इसके बारे में पूछताछ किया जाना बहुत परेशान करने वाला हो सकता है। हमने इस तरह के लक्षण वाली एक महिला को यह कहते सुना कि उसे होटल में रहना अच्छा लगता था क्योंकि होटल के माहौल में एक विदेशी उच्चारण सुनना बहुत स्वाभाविक है, इसलिए इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। मनोवैज्ञानिक कारण: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान के अलावा, अत्यधिक तनाव जैसे मनोवैज्ञानिक कारकों के चलते विदेशी लहजे में उच्चारण लक्षण विकसित हो सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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