बांग्लादेश ने भारत से मांगी Sheikh Hasina की कस्टडी, नई दिल्ली के लिए कूटनीतिक संकट? देश में अवामी लीग का राष्ट्रव्यापी आंदोलन

Sheikh Hasina
ANI
रेनू तिवारी । Nov 26 2025 8:34AM

भारत द्वारा बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के अनुरोध और उनकी अनुपस्थिति में सुनाई गई मौत की सज़ा के विरोध में अवामी लीग पार्टी ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों की घोषणा की है, इसे राजनीतिक साज़िश बताया गया है।

बांग्लादेश ने औपचारिक तौर पर भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए कहा है, जिन्हें पिछले साल स्टूडेंट प्रोटेस्ट पर कार्रवाई के लिए उनकी गैरमौजूदगी में मौत की सज़ा सुनाई गई थी। अंतरिम विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने इस अनुरोध की पुष्टि की, जो द्विपक्षीय इतिहास में पहली बार हुआ है। पूर्व भारतीय राजदूत पिनाक चक्रवर्ती ने सुझाव दिया कि भारतीय अदालतें आखिरकार प्रत्यर्पण का फैसला कर सकती हैं, जिससे नई दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण कानूनी और डिप्लोमैटिक सवाल खड़े हो गए हैं।

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हसीना की पार्टी ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की 

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी ने मौत की सजा के विरोध में 30 नवंबर तक देशव्यापी आंदोलन और प्रतिरोध मार्च की मंगलवार को घोषणा की। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को पिछले वर्ष जुलाई में उनकी सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों के दौरान किए गए ‘‘मानवता के विरुद्ध अपराधों’’ के लिए 17 नवंबर को एक विशेष न्यायाधिकरण द्वारा उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई गई।

महीनों तक चले मुकदमे के बाद अपने फैसले में बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने 78 वर्षीय अवामी लीग नेता को हिंसक दमन का “मास्टरमाइंड और प्रमुख सूत्रधार” बताया, जिसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। हसीना फिलहाल भारत में हैं, जबकि माना जा रहा है कि कमाल भी भारत में ही छिपा हुआ है।

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अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट में, अवामी लीग ने आरोप लगाया कि न्यायाधिकरण का फैसला मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा हसीना और उनकी पार्टी को अगले साल फरवरी में होने वाले चुनाव से बाहर रखने के लिए एक राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। अवामी लीग ने आईसीटी न्यायाधिकरण को अवैध करार देते हुए इसके फैसले को खारिज करते हुए और यूनुस के इस्तीफे की मांग करते हुए 30 नवंबर तक सभी जिलों और उपजिलों में विरोध प्रदर्शन और प्रतिरोध मार्च आयोजित करने की घोषणा की।

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