European अंतरिक्षयान बृहस्पति और उसके बर्फीले चंद्रमा की तरफ रवाना

European spacecraft
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बृहस्पति तक पहुंचने में रोबोटिक एक्सप्लोरर (अन्वेषक) ‘ज्यूस’ को आठ साल लगेंगे, जहां यह न केवल सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह, बल्कि यूरोपा, कैलिस्टो और गेनीमेड को भी देखेगा। माना जाता है कि तीन बर्फ से ढके चंद्रमा में भूमिगत महासागर हैं, जहां समुद्री जीवन मौजूद हो सकता है।

बृहस्पति और उसके तीन बर्फीले चंद्रमाओं का पता लगाने के लिए एक दशक लंबे खोजी अभियान पर एक यूरोपीय अंतरिक्ष यान शुक्रवार को रवाना हुआ। यात्रा की शुरुआत यूरोप के एरियन रॉकेट द्वारा दक्षिण अमेरिका में फ्रेंच गुयाना से सुबह प्रक्षेपण के साथ हुई। बृहस्पति तक पहुंचने में रोबोटिक एक्सप्लोरर (अन्वेषक) ‘ज्यूस’ को आठ साल लगेंगे, जहां यह न केवल सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह, बल्कि यूरोपा, कैलिस्टो और गेनीमेड को भी देखेगा। माना जाता है कि तीन बर्फ से ढके चंद्रमा में भूमिगत महासागर हैं, जहां समुद्री जीवन मौजूद हो सकता है।

इसके बाद शायद अभी की सबसे प्रभावशाली उपलब्धि में ज्यूस गेनीमेड के चारों ओर कक्षा में जाने का प्रयास करेगा: किसी भी अंतरिक्ष यान ने कभी भी हमारे चंद्रमा के अलावा किसी अन्य ग्रह के चंद्रमा की परिक्रमा नहीं की है। इतने सारे चंद्रमाओं के साथ, - अंतिम गिनती तक 95 - खगोलविद बृहस्पति का अपना खुद का एक छोटा सौर मंडल मानते हैं, ऐसे में उनके मुताबिक ज्यूस जैसे मिशन काफी पहले जाने चाहिए थे। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के परियोजना वैज्ञानिक ओलीवर वितासे ने जोर देकर कहा, “हम ज्यूस पर जीवन का पता लगाने नहीं जा रहे हैं।” हालांकि, चंद्रमाओं और उनके संभावित समुद्रों के बारे में अधिक जानने से वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाशने के करीब पहुंचेंगे कि क्या कहीं और भी जीवन है। उन्होंने कहा, “यह इस मिशन का सबसे रोचक पहलू होगा।” ज्यूस एक लंबे, गोलाकार मार्ग से बृहस्पति तक जाएगा, जो 6.6 अरब किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इस मिशन पर करीब 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च होंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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