स्पष्ट नहीं है युद्ध में ताइवान की मदद कौन करेगा : Foreign Minister

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ऐसे में संभावित सशस्त्र संघर्ष को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। ‘स्काई न्यूज ऑस्ट्रेलिया’ के साथ पिछले शुक्रवार को एक साक्षात्कार में, जोसेफ वू ने कहा कि चीन की 1.4 अरब की तुलना में 2.3 करोड़ की आबादी वाले ताइवान को अपना बचाव करना है और वह अन्य देशों को उसके वास्ते लड़ने के लिए नहीं कह रहा है।

स्वशासित द्वीप ताइवान के विदेश मंत्री जोसफ वू ने कहा कि उनका देश चीन के साथ किसी भी सशस्त्र संघर्ष में अपने लिए लड़ने का इरादा रखता है और यह स्पष्ट नहीं है कि कौन से देश उसके साथ खड़े हो सकते हैं। चीन ताइवान पर अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है और कहता रहा है कि यदि आवश्यक हुआ तो वह बलपूर्वक उसे अपने नियंत्रण में लेगा। ऐसे में संभावित सशस्त्र संघर्ष को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। ‘स्काई न्यूज ऑस्ट्रेलिया’ के साथ पिछले शुक्रवार को एक साक्षात्कार में, जोसेफ वू ने कहा कि चीन की 1.4 अरब की तुलना में 2.3 करोड़ की आबादी वाले ताइवान को अपना बचाव करना है और वह अन्य देशों को उसके वास्ते लड़ने के लिए नहीं कह रहा है।

यह पूछे जाने पर कि चीन के साथ युद्ध की स्थिति में ताइवान के साथ कौन लड़ सकता है, वू ने उत्तर दिया, “यह एक बहुत अच्छा प्रश्न है।” वू ने ताइपे से समाचार चैनल को बताया, “बहुत सारे लोग रणनीतिक अस्पष्टता या रणनीतिक स्पष्टता पर बहस कर रहे हैं, लेकिन हमारी दृष्टि में, हम अपनी जिम्मेदारी जानते हैं।” उन्होंने कहा, “ताइवान को अपना बचाव करना है, लोगों को ताइवान, इस देश का बचाव करना है, और हम खुद का बचाव करने के लिए दृढ़ हैं और हम अन्य देशों को ताइवान के वास्ते लड़ने के लिए नहीं कह रहे हैं।”

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बार-बार कहा है कि अमेरिकी सेना ताइवान की सुरक्षा में मदद करेगी, हालांकि अमेरिकी आधिकारिक नीति इस बात पर अस्पष्ट है कि क्या और कैसे सेना भेजी जाएगी। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने मार्च में कहा था कि उनके देश ने अमेरिकी परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को प्राप्त करने के समझौते के हिस्से के रूप में भविष्य में ताइवान पर किसी भी संघर्ष में अमेरिका का समर्थन करने का कोई वादा नहीं किया था।

बाइडन, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के नेताओं ने घोषणा की है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंता के बीच ऑस्ट्रेलिया अपने बेड़े को आधुनिक बनाने के लिए अमेरिका से परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियों की खरीद करेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या युद्ध ताइवान की नियति में है, वू ने उत्तर दिया, “मैं निश्चित रूप से इसकी आशा नहीं करता।” वू ने कहा, “कारण बहुत स्पष्ट है: युद्ध का मतलब तबाही है, न केवल उस पर हमला करने वाले के लिए बल्कि संभवतः अन्य देशों के लिए भी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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