हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी दादागीरी पर अंकुश से बौखलाया चीन, नाटो और यूक्रेन का जिक्र कर भारत को धमका रहा?
चीन के उपविदेश मंत्री ली यूचेंग के एक बयान की खूब चर्चा हो रही है और इसको भारत से जोर कर भी देखा जा रहा है। यूचेंग ने कहा कि यूक्रेन संकट हमें आइना दिखाता है कि हम एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हालात का आकलन करें।
इधर अमेरिका बैन-बैन करता रहा और उधर पुतिन ने बिना किसी शोर-शराबे के बता दिया कि आप जो थे वो थे अब तो बस हम ही हम हैं। लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के साथ ही चीन द्वारा ताइवान और भारतीय सीमा पर अलर्ट मोड में आने की बातें कही जाने लगी। यूक्रेन को लेकर टकराव बढ़ने के बीच चीन वैसे तो अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आता है। लेकिन ताइवान, पूर्वी लद्दाख और दक्षिणी चीन सागर में संबंधित मुद्दों पर घिरा चीन जैसे मानों इसी तरह के अवसर की तलाश में हो। रूस के यूक्रेन पर हमले ने वैश्विक तस्वीरों को और ज्यादा साफ कर दिया। जिस तरह से नाटो देश रूस के हमले को रोकने में बुरी तरह असफल साबित हुए और युद्ध में सीधे-सीधे उतरने की बातों से खुलकर पल्ला झाड़ते दिखे। उससे एक बात तो साफ है कि भविष्य में चीन की तरफ से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कोई हिमाकत की जाती है तो दुनिया के कोई देश खुलकर मदद को सामने नहीं आएंगे।
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चीन भारत के लिए और खतरे पैदा कर सकता है। उसकी तरफ से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर भी सैन्यकर्मीयों की संख्या में इजाफा किया जा सकता है। वहां अवैध घुसपैठ को अंजाम देने की कोशिश कर सकता है। एक तरफ यूक्रेन पर रूस के गोले बरस रहे थे तो दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन समेत पश्चिमी देश मॉस्को पर प्रतिबंध लगाने के सिवाय और कुछ कर पाने की स्थिति में हीं दिख रहे थे। खुद को सुपरपॉवर मुल्क मानने वाले अमेरिका ने तो सैन्य कार्रवाई की बात से साफ इनकार तक कर दिया। संयुक्त राष्ट्र में हुई आपात बैठक भी रूस के हमले को रोक पाने में धऱाशायी हो गई। इस युद्ध ने एक तरह से पश्चिमी देशों की कलई खोलकर रख दी। अमेरिका की तो एक साल के भीतर अफगानिस्तान के बाद ये दूसरी फजीहत रही। जिसके बाद से चालबाज चीन के हौसले परवान चढ़ते दिख रहे हैं और उसने एशियाई देशों को धमकाना भी शुरू कर दिया है।
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चीन के उपविदेश मंत्री ली यूचेंग के एक बयान की खूब चर्चा हो रही है और इसको भारत से जोर कर भी देखा जा रहा है। यूचेंग ने कहा कि यूक्रेन संकट हमें आइना दिखाता है कि हम एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हालात का आकलन करें.... धारा के विपरीत जाकर अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति का पालन करना समस्या को और भड़काएगा। अगर बिना रोकटोक के इसे होने दिया गया तो बहुत गंभीर परिणाम होंगे।
क्वाड से परेशान
चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत नीति और क्वॉड जैसे समूहों का बनना यूरोप में पूर्व की तरफ विस्तार की नाटो की नीति जितनी ही ‘खतरनाक’ है, जिसके चलते यूक्रेन में रूस का सैन्य अभियान शुरू हुआ है। युचेंग ने कहा, “हालांकि, टूटने के बजाय नाटो का दायरा लगातार बढ़ता और मजबूत होता जा रहा है। इसके नतीजों का अंदाजा अच्छी तरह से लगाया जा सकता है। यूक्रेन संकट एक कड़ी चेतावनी है।”युचेंग ने कहा, “हिंद-प्रशांत रणनीति को आगे बढ़ाना, परेशानी को बढ़ाना, बंद या छोटे विशिष्ट केंद्रों अथवा समूहों को एक साथ लाना और क्षेत्र को विखंडन तथा ब्लॉक-आधारित विभाजन की ओर ले जाना उतना ही खतरनाक है, जितना यूरोप में पूर्व की तरफ विस्तार करने की नाटो की रणनीति।
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