श्रीलंका को भारत की उदारतापूर्ण सहायता सराहनीय है: राष्ट्रमंडल महासचिव

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राष्ट्रमंडल महासचिव पिछले सप्ताह चार दिवसीय यात्रा पर भारत में थीं और उन्होंने जलवायु परिवर्तन, महामारी के बाद आर्थिक सुधार और व्यापार को बढ़ावा देने के तरीकों जैसे कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ बातचीत की।

नयी दिल्ली। राष्ट्रमंडल महासचिव पी. स्कॉटलैंड ने कहा है कि श्रीलंका को उसके अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने के लिए भारत की उदारतापूर्वक सहायता ‘सराहनीय’ है। स्कॉटलैंड ने वैश्विक खाद्य संकट से निपटने में भारत की प्रमुख भूमिका के बारे में भी बात की और कहा कि राष्ट्रमंडल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण लाने की दिशा में काम कर रहा है। राष्ट्रमंडल महासचिव पिछले सप्ताह चार दिवसीय यात्रा पर भारत में थीं और उन्होंने जलवायु परिवर्तन, महामारी के बाद आर्थिक सुधार और व्यापार को बढ़ावा देने के तरीकों जैसे कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ बातचीत की। 

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स्कॉटलैंड ने कहा, ‘‘श्रीलंका को उसके अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने के लिए भारत की उदारतापूर्वक सहायता ‘सराहनीय’ है। यह राष्ट्रमंडल की भावना और मूल्यों दोनों का उदाहरण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम राष्ट्रों का एक परिवार हैं, और परिवार जरूरत के समय में एक दूसरे की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतांत्रिक तरीकों, संस्थानों और संवैधानिक ढांचे के माध्यम से स्थिरता और आर्थिक सुधार के लिए श्रीलंका के लोगों की मदद करने के वास्ते हाल में भारत की ओर से समर्थन व्यक्त किया था।’’ भारत ने इस साल श्रीलंका को आर्थिक संकट से निपटने में मदद के लिए 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की है। स्कॉटलैंड ने कहा, ‘‘श्रीलंका जिन अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनसे निपटने के लिए उसे अपने नेताओं के समर्पण भाव और दृढ़ता के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन की आवश्यकता है।’’ वैश्विक खाद्य संकट पर, स्कॉटलैंड ने कहा कि संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 के आर्थिक प्रभावों जैसे कई कारकों के कारण दुनिया इसका सामना कर रही है। 

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राष्ट्रमंडल महासचिव ने कहा कि कई राष्ट्रमंडल देश खुद को इस संकट के करीब पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने तीव्र संकट को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया है, जिसमें भारत एक प्रमुख हिस्सा है, जो सबसे ज्यादा मदद चाहने वाले देशों और समुदायों को तत्काल व्यावहारिक और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।’’ उन्होंने कहा कि जून में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में नेताओं ने एक घोषणा पत्र (चार्टर) की पुष्टि करके खाद्य सुरक्षा के लिए एक नया और अधिक समग्र दृष्टिकोण लाने के समूह के प्रयासों का समर्थन किया था। वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका निभा’’ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के वास्ते भारत जो कदम उठाता है, वे वास्तव में दुनिया के लिए मायने रखते है।’’ राष्ट्रमंडल महासचिव ने 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताने के लिए भी भारत की सराहना की।

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