यह एक ‘बड़ी सफलता’ है, भारत और पाकिस्तान के बीच गुस्से का स्तर अच्छी बात नहीं थी : राष्ट्रपति ट्रंप

 President Trump
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नयी दिल्ली में भारत सरकार के सूत्र कहते रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमति बनी है।

भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘संघर्षविराम’’ कराने का बार-बार दावा करते रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को इसे एक ‘‘बड़ी सफलता’’ बताया और कहा कि दोनों पड़ोसियों के बीच गुस्से का स्तर ‘‘अच्छी बात नहीं थी।’’

ट्रंप ने खाड़ी देशों की अपनी यात्रा से लौटते हुए 16 मई को एयरफोर्स वन विमान में प्रेस के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘‘हम जो हुआ उससे बहुत खुश हैं, मुझे उम्मीद है कि यह जारी रहेगा, और मुझे लगता है कि यह जारी रहेगा, लेकिन भारत और पाकिस्तान को लेकर जो हुआ वह एक बड़ी सफलता है। अगर आपने दोनों के बीच गुस्से का स्तर देखा होता, तो यह अच्छी बात नहीं थी।’’

दस मई के बाद से यह सातवीं बार है, जब ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका ने नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच “संघर्षविराम” कराया। क्षेत्र की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात का दौरा करने वाले ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कतर के दोहा में अल उदीद एयर बेस पर अमेरिकी सैनिकों को संबोधित करते हुए अपने दावे को दोहराया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का “समाधान करने में मदद की”।

अल उदीद एयर बेस पश्चिम एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है। भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में सात मई की सुबह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक हमले किए थे।

चार दिन तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान 10 मई को संघर्ष समाप्त करने पर सहमत हुए। ट्रंप ने शनिवार को घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान ‘‘अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की बातचीत’’ के बाद ‘‘पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम’’ पर सहमत हो गए हैं।

नयी दिल्ली में भारत सरकार के सूत्र कहते रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमति बनी है। उनका कहना है कि इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था। भारत हमेशा कहता रहा है कि कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं है।

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