Japan के प्रधानमंत्री ने कोरियाई औपनिवेशिक पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की

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किशिदा और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने रविवार को उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम जैसी साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए ऐतिहासिक विवादित मुद्दों को सुलझाने और आपसी सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया।

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने जापान के औपनिवेशिक शासन के दौरान कोरियाई बंधुआ मजदूरों की पीड़ा के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है। किशिदा और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने रविवार को उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम जैसी साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए ऐतिहासिक विवादित मुद्दों को सुलझाने और आपसी सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल के साथ दो महीने से भी कम समय में अपने दूसरे शिखर सम्मेलन के दौरान जापानी प्रधानमंत्री की ओर से की गयी टिप्पणियों पर सियोल में बारीकी से नजर रखी जा रही है।

यून को दक्षिण कोरिया में इसलिए आलोचना का सामना करना पड़ा है कि उन्होंने बदले में इसी तरह के कदम उठाए बिना तोक्यो को रियायतें दी थीं। किशिदा के बयान से पता चलता है कि उन्होंने उपनिवेशीकरण पर एक नयी और प्रत्यक्ष रूप से माफी मांगने से परहेज किया, लेकिन फिर भी कोरियाई पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि दक्षिण कोरिया से सुधरते हुए संबंधों को बनाए रखने के लिए किशिदा पर दबाव था। किशिदा ने यून के साथ संयुक्त रूप से एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘व्यक्तिगत रूप से, मेरे दिल में बहुत पीड़ा है क्योंकि मैं उस अत्यधिक कठिनाई और दुःख के बारे में सोचता हूं जो उन दिनों बहुत से लोगों को बेहद भयावह माहौलमें भुगतना पड़ा था। ’’

किशिदा 1910 से 1945 तक कोरियाई प्रायद्वीप पर जापान के औपनिवेशिक शासन का जिक्र कर रहे थे। किशिदा ने कहा,‘‘जापान और दक्षिण कोरिया ऐतिहासिक रूप से जुड़े हुए हैं और उनकी साझा विकास यात्रा रही है, और मेरा मानना है कि जापान के प्रधानमंत्री के रूप में यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं राष्ट्रपति यून और दक्षिण कोरियाई पक्ष के साथ सहयोग करूं क्योंकि हम अपने पूर्ववर्तियों के प्रयासों का पालन करते हैं जिन्होंने कठिन समय पर भी काबू पाया है।’’ दक्षिण कोरिया और जापान के नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार के लिए रविवार को मुलाकात की।

ह दो महीने से भी कम समय में दोनों देशों के नेताओं के बीच दूसरी मुलाकात है। दक्षिण कोरिया और जापान ऐतिहासिक मसलों पर लंबे समय से जारी गतिरोध को दूर करना चाहते हैं तथा उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम व अन्य क्षेत्रीय चुनौतियों के मद्देनजर आपसी सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं। जापान के प्रधानमंत्री फिमियो किशिदा दो दिन की यात्रा पर रविवार को दक्षिण कोरिया पहुंचे। इससे पहले, मार्च के मध्य में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने तोक्यो का दौरा किया था। जापान और दक्षिण कोरिया के नेताओं ने बीते 12 साल में पहली बार एक के बाद एक, एक-दूसरे के देशों की यात्रा की है।

यून ने बैठक की शुरुआत में कहा, “आवाजाही की कटनीति शुरू होने पर 12 साल लग गए, लेकिन हमारी यात्राओं का आदान-प्रदान दो महीने से भी कम वक्त में हो गया। मेरे ख्याल से यह पुष्टि करता है कि हाल ही में नयी शुरूआत करने वाले दक्षिण कोरिया-जापान के रिश्ते तेज़ गति से आगे बढ़ रहे हैं।’’ यून ने कहा कि सियोल और तोक्यो के बीच सहयोग मौजूदा गंभीर अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक स्थिति और वैश्विक संकट को देखते हुए आवश्यक है। उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी। हालांकि पहले उन्होंने कहा था कि उत्तर कोरिया के समृद्ध होते परमाणु कार्यक्रम, अमेरिका-चीन के बीच तेज होती रणनीतिक दुश्मनी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में समस्याओं के चलते जापान के साथ अधिक सहयोग की जरूरत है।

किशिदा ने कहा कि वह और यून द्विपक्षीय संबंधों को और विकसित करने के लिए विचारों का आदान-प्रदान करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यून के साथ मार्च में उनकी शिखर बैठक के बाद से वार्ताओं की एक श्रृंखला गतिशील रूप से आगे बढ़ने लगी है। दक्षिण कोरियाई और जापानी अधिकारियों ने कहा कि योल और किशिदा उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम, दक्षिण कोरिया व जापान की आर्थिक सुरक्षा, समग्र संबंधों और अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। दोनों देशों ने बीते कई वर्षों में ऐतिहासिक कारणों से एक-दूसरे के खिलाफ उठाए गए आर्थिक कदमों को हाल के हफ्तों में वापस ले लिया है।

गौरतलब है कि 1910 से 1945 तक कोरियाई प्रायद्वीप पर जापान के औपनिवेशिक शासन से उपजे मुद्दों की वजह से सियोल और तोक्यो के बीच रिश्तों में लंबे समय से खटास रही है। यून के साथ शिखर सम्मेलन से पहले किशिदा और उनकी पत्नी यूको किशिदा ने सियोल में राष्ट्रीय कब्रिस्तान का दौरा किया। इस कब्रिस्तान में ज्यादातर वे लोग दफन हैं जिन्होंने कोरियाई जंग के दौरान जान गंवाई थी लेकिन जापान के शासन के दौरान स्वंतत्रता की लड़ाई लड़ने वाले लोग भी यहां दफन हैं। उन्होंने एक स्मारक के सामने मौन श्रद्धांजलि दी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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