Khalistan का कनाडा वाला कनेक्शन, कौन था वो ब्रिटिश खुफिया अधिकारी जिसने बोए थे बीज? बनाई थी खतरनाक योजना

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अभिनय आकाश । Apr 1 2023 7:15PM

संजीव सान्याल एक ब्रिटिश खुफिया अधिकारी के बारे में बताया कि कैसे कनाडा और ब्रिटेन में गुरुद्वारों में उनकी घुसपैठ ने खालिस्तानी आंदोलन के बीज बोए। प्रसिद्ध लेखक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल से कनाडा में खालिस्तान को लेकर सवाल पूछे गए।

संजीव सान्याल एक प्रसिद्ध इतिहासकार और अर्थशास्त्री, लेखक जिन्होंने भारत के इतिहास, भूगोल और स्वतंत्रता संग्राम पर सात पुस्तकें लिखी हैं। उनकी नवीनतम पुस्तक 'रेवोल्यूशनरीज़: द अदर स्टोरी ऑफ़ हाउ इंडिया वोन इट्स फ़्रीडम' सशस्त्र प्रतिरोध की कहानी के बारे में बात करती है। वर्तमान में, सान्याल भारत के प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में कार्य करते हैं। एएनआई की स्मिता प्रकाश के साथ पोडकास्ट में, लेखक-सह-अर्थशास्त्री अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध, स्वतंत्रता संग्राम में उनके परिवार के योगदान, सावरकर, खालिस्तानी आंदोलन के स्रोत के बारे में बात की है। संजीव सान्याल एक ब्रिटिश खुफिया अधिकारी के बारे में बताया कि कैसे कनाडा और ब्रिटेन में गुरुद्वारों में उनकी घुसपैठ ने खालिस्तानी आंदोलन के बीज बोए। प्रसिद्ध लेखक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल से कनाडा में खालिस्तान को लेकर सवाल पूछे गए। उन्होंने बताया कि कैसे कनाडा और ब्रिटेन में गुरुद्वारों में उनकी घुसपैठ ने खालिस्तानी आंदोलन के बीज बोए गए। 

डॉ. संजीव सान्याल ने उस अंग्रेज अफसर के बारे में बताया जिसने कनाडा में खालिस्तान का बीज बोया और इसका नाम हॉपकिंसन था। उन्होंने बताया कि हॉपकिंसन साल 1907 में वैकूवर आया था और कनाडा सरकार ने उसे अप्रवासी इंस्पेक्टर और दुभाषिए के तौर पर नौकरी पर रखा था। हॉपकिंसन ब्रिटिश कोलंबिया में रह रहे पूर्वी भारतीय उग्रवादियों की गतिविधियों पर नजर रखता था। शुरुआत में उसने पहले अंग्रेज समर्थक सिख मुखबिर तैयार किए। उसकी गुरुद्वारों पर खास नजर थी। देखते ही देखते उसकी ताकत और भी बढ़ गई। हॉपकिंसन का सहायक बेला सिंह हुआ करता था। उसी दौरान उसके दो आदमियों की हत्या हो गई। जिसके बाद बेला सिंह ने बदला लेने की सोची। भारतीयों के राष्ट्रीय गतिविधियों के केंद्र वैकूवर गुरुद्वारा में 30 अगस्त 1914 को हॉपकिंसन का एजेंट बेला सिंह और उसके दूसरे साथी गलत मंशा लिए गुरुद्वारे में दाखिल हुए। प्रार्थना सभा के दौरान बेला सिंह ने बंदूक निकाल कर फायरिंग शुरू कर दी। इस अंधाधुध गोलीबारी में 2 लोगों की मौत हो जाती है और 9 घायल हो जाते हैं। बेला सिंह पर केस चला और बाद में उसे निर्दोष करार दे दिया गया। 

विलियम हॉपकिंसन ने बेला सिंह के मुकदमे में उसका बचाव किया। हालांकि बाद में गदर पार्टी के सदस्य मेवा सिंह ने हॉपकिंसन को गोली मार दी। जिसके बाद मेवा सिंह को फांसी की सजा हुई। ब्रिटिश और कनाडा की सरकार में हॉपकिंसन हीरे थे। कई पुस्तकों में इस बात का जिक्र भी मिलता है ति मेवा सिंह ने फांसी से पहले कहा था कि मेरी हॉपकिंसन से किसी प्रकार की दुश्मनी नहीं थी। लेकिन मैंने सुना था कि वो हमारे गरीब लोगों को बहुत सता रहा था। मैं एक कट्टर सिख था अपने बेकसूर देशवासियों का और सताया जाना नहीं देख सकता। 

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