मोदी, कैमरन ने की रक्षा सहयोग, ‘मेक इन इंडिया’ पर चर्चा

वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रितानी समकक्ष डेविड कैमरन ने यहां परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन (एनएसएस) से इतर मुलाकात की तथा इस दौरान दोनों नेताओं ने रक्षा सहयोग और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे मुद्दों पर चर्चा की। यहां एनएसएस के दौरान विश्व नेताओं के साथ दो दिन तक हुई चर्चा के बाद सऊदी अरब के लिए रवाना होने से पहले मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ मेरी बैठक रक्षा सहयोग, मेक इन इंडिया तथा अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित रही।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने संवाददाताओं से कहा कि शुक्रवार की मुलाकात में दोनों नेताओं ने पिछले साल हुई मोदी की लंदन यात्रा को याद किया जब भारत और ब्रिटेन ने नौ अरब पाउंड मूल्य के समझौतों तथा एक असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध ‘‘समृद्ध और गहरे’’ हुए हैं। रक्षा सहयोग पर चर्चा हुई और प्रधानमंत्री मोदी ने उल्लेख किया कि ब्रिटेन ‘मेक इन इंडिया’ पहल में, खासकर रक्षा क्षेत्र में भागीदार हो सकता है। स्वरूप ने बताया कि वीजा मुद्दों पर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने उन फैसलों की भी समीक्षा की जो पिछले साल मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान किए गए थे, खासकर लंदन स्टॉक एक्सचेंज में रूपया बांड जारी करने का फैसला।
कैमरन ने प्रसन्नता जताई कि यह अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है। स्वरूप ने कहा, ‘‘उन्होंने यह भी कहा कि हमें रक्षा क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च तकनीक रक्षा उत्पादन अब 100 प्रतिशत एफडीआई के लिए खोल दिया गया है, भारत के पास दक्ष श्रमशक्ति है, सस्ता श्रम भी उपलब्ध है और इस तरह ब्रिटेन ‘मेक इन इंडिया’ पहल खासकर रक्षा क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण साझेदार बन सकता है।’’ दोनों नेताओं ने आतंकवाद सहित कुछ अन्य लंबित मुद्दों पर भी बात की। स्वरूप ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने आईटी कंपनियों के लिए टियर-2 वीजा का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि दक्ष पेशेवरों को ब्रिटेन में काम करने में कठिनाई नहीं होनी चाहिए। तथा, इस संदर्भ में आव्रजन सलाहकार समिति द्वारा की गई सिफारिशें कुछ नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कैमरन ने इसे देखने का वायदा किया। उन्होंने कहा कि हम वास्तविक आईटी कंपनियों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते, लेकिन साथ ही हम यह भी सुनिश्चित करना चाहेंगे कि ब्रिटेन की व्यवस्था का दुरूपयोग न हो।’’
अन्य न्यूज़