Pentagon को शक, China उपग्रहों पर हमला करने के तरीके खोज रहा है, वह कैसे काम कर सकते हैं

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हालांकि यह अपुष्ट है, पर ऐसा होना निश्चित रूप से संभव है, क्योंकि कई संप्रभु राष्ट्रों और निजी कंपनियों ने इस बात पर विचार किया है कि सिग्नल हस्तक्षेप से कैसे बचाव किया जाए। वित्तीय लेन-देन, नेविगेशन, मौसम की भविष्यवाणी और इंटरनेट सेवाओं से लेकर अधिक दूरस्थ स्थानों तक, हमारे जीवन का लगभग हर पहलू उपग्रह संचार से जुड़ा है।

पेंटागन के दस्तावेजों के हालिया लीक में यह बात कही गई है कि चीन सैन्य संचार उपग्रहों को बाधित करने के उद्देश्य से परिष्कृत साइबर हमले विकसित कर रहा है। हालांकि यह अपुष्ट है, पर ऐसा होना निश्चित रूप से संभव है, क्योंकि कई संप्रभु राष्ट्रों और निजी कंपनियों ने इस बात पर विचार किया है कि सिग्नल हस्तक्षेप से कैसे बचाव किया जाए। वित्तीय लेन-देन, नेविगेशन, मौसम की भविष्यवाणी और इंटरनेट सेवाओं से लेकर अधिक दूरस्थ स्थानों तक, हमारे जीवन का लगभग हर पहलू उपग्रह संचार से जुड़ा है।

अगर इस बात पर गौर करें कि कक्षा में कितने उपग्रह हैं, जबकि प्रभाव कुछ पर ही महसूस किया जा सकता है, अगर एक या दो उपग्रह खो गए तो कोई बड़ी समस्या नहीं होगी। लेकिन जब हम उपग्रहों के सैन्य लाभों पर विचार करते हैं, तो पूर्व चेतावनी प्रणाली और ट्रैकिंग के लिए तत्काल संचार महत्वपूर्ण होता है। तो इन सेवाओं को बाधित करना कितना आसान होगा? चीनी अंतरिक्ष कार्यक्रम किसी भी अन्य देश की तुलना में तेज गति से आगे बढ़ रहा है। चीन का पहला सफल प्रक्षेपण 1970 में हुआ था, लेकिन 1999 में उसका अंतरिक्ष कार्यक्रम शेनझोउ-एक प्रक्षेपण के साथ आगे बढ़ा, जो मानव रहित, फिर मानवयुक्त, बढ़ते परिष्कार के अंतरिक्ष मिशनों की श्रृंखला में पहला था। चीन ने 2010 और 2019 के बीच 200 से अधिक लॉन्च किए।

2022 में, उसने एक वर्ष में 53 रॉकेट लॉन्च के साथ एक रिकॉर्ड बनाया - एक अविश्वसनीय 100 प्रतिशत सफलता दर के साथ। इस तरह, चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) वैश्विक अंतरिक्ष गतिविधि में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया और उपग्रह संचार में महारत कर ली। लीक हुए दस्तावेज़ से पता चलता है कि चीनी ‘‘किसी उपग्रह के नियंत्रण को अपने कब्जे में लेने की क्षमता की तलाश कर रहे हैं, ताकि संबद्ध देश के संचार, हथियार, या खुफिया, निगरानी और टोही प्रणालियों का समर्थन करने के लिए उसे अप्रभावी बना दिया जाए।’’ वैसे इस बात की भी बहुत संभावना है कि अमेरिका और अन्य देश भी ऐसी क्षमताओं का विकास कर रहे हों।

उपग्रह कई ऊंचाइयों पर हमारे ग्रह की परिक्रमा करते हैं। सबसे कम स्थिर कक्षाएँ लगभग 300 किमी, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और हबल स्पेस टेलीस्कोप 500 किमी की ऊँचाई पर स्थित हैं, और भूस्थैतिक उपग्रह लगभग 36,000 किमी ऊपर (पृथ्वी के त्रिज्या का लगभग छह गुना) हैं। किसी उपग्रह को भौतिक रूप से पकड़ने या अपने कब्जे में लेने के विचार को काफी हद तक असंभव कार्य माना गया है, हालांकि इसे प्रसिद्ध रूप से ‘‘यू ओनली लिव ट्वाइस’’ जैसी फिल्म में दिखाया गया है, जहां एक बड़े कक्षीय सिलेंडर ने मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को निगल लिया।

कक्षा से अंतरिक्ष के मलबे को हटाने के लिए डिज़ाइन किए गए छोटे उपग्रह पिछले कुछ वर्षों में लॉन्च किए गए हैं। लेकिन पूरी तरह से काम कर रहे और संचालित उपग्रह को पकड़ने की व्यावहारिक चुनौतियां कहीं अधिक हैं (विशेष रूप से फायरिंग हापून की पुनरावृत्ति के कारण)। हालाँकि, उपग्रह संचार को बाधित करने और यहाँ तक कि कब्जाने के तरीके भी हैं? उपग्रह संचार को बाधित करने के तीन तरीके 1. संतृप्ति यह सबसे आसान तरीका है। उपग्रह रेडियो या माइक्रोवेव आवृत्तियों के एक विशिष्ट सेट पर प्रसारित करके संचार करते हैं।

सूचना प्राप्त करने वाले स्टेशन या स्वयं उपग्रह पर बहुत तेज बौछार करके आप सिग्नल को प्रभावी रूप से रोक सकते हैं। यह पोजीशनिंग जानकारी के साथ विशेष रूप से प्रभावी है। 2. जाम करना यह संचार सिग्नल को सैटेलाइट या ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन तक पहुंचने से रोकने की एक विधि है। इसके लिए उच्च-शक्ति संकेतों की आवश्यकता होती है, जिससे संबद्ध उपग्रह को यह संकेत मिलता है कि जैमिंग सिग्नल मुख्य संचारण स्टेशन है और संचार सबसे मजबूत स्रोत तक जाता है।

3. कमांड भेजना यह बेहद पेचीदा प्रक्रिया है। इसमें मूल सिग्नल को खामोश या अपने कब्जे में करने की आवश्यकता होती है और प्रतिस्थापन सिग्नल को एक उपग्रह को सटीक रूप से संचार करने और मूर्ख बनाने में सक्षम होना चाहिए। इसके लिए आमतौर पर एक एन्क्रिप्शन कुंजी के बारे में जानने की आवश्यकता होती है जिसका उपयोग सही कमांड और तालमेल के साथ किया जाएगा। इस तरह की जानकारी का आसानी से अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है, मतलब लॉन्च सिस्टम और कंपनियों की जानकारी होना जरूरी है। इन तीन तकनीकों को समझने में आसान बनाने के लिए, कल्पना करें कि आप एक रेस्तरां में हैं और आपका साथी आपके सामने बैठा है।

आप उनसे सामान्य रूप से बात कर रहे हैं और फिर बैकग्राउंड म्यूजिक बहुत तेज हो जाता है। आप कुछ शब्द तो समझ पाते हैं लेकिन सब कुछ नहीं - यह संतृप्ति होगी। अब वेटर पास आता है और आपका ध्यान हटाने के लिए आपसे जोर-जोर से बात करने लगता है - यह जाम विधि होगी। अब आपका साथी शौचालय जाता है और आपको एक कॉल आती है जो उनकी ओर से प्रतीत होती है लेकिन वास्तव में किसी ऐसे व्यक्ति की है जिसने उनका फोन ले लिया है और वह उनका प्रतिरूपण कर रहा है - यह कमांड भेजना होगा।

इस अंतिम उदाहरण को हासिल करना बेहद कठिन होता है लेकिन इसमें व्यवधान की सबसे अधिक संभावना है। यदि आप किसी उपग्रह को धोखा देकर यह सोच सकते हैं कि आप सही कमांड स्रोत हैं, तो न केवल संचार अवरुद्ध हो जाते हैं, बल्कि झूठी सूचना और छवियां ग्राउंड स्टेशनों पर भेजी जा सकती हैं। ज़ोंबी उपग्रह जब कोई उपग्रह संचार से बाहर हो जाता है, तो हम उसे एक ज़ोंबी उपग्रह कहते हैं। अनिवार्य रूप से यह अपने किसी भी इच्छित कार्य को नहीं कर सकता है और ठीक होने की बहुत कम संभावना के साथ परिक्रमा करता है।

यह कोरोनल मास इजेक्शन के दौरान स्वाभाविक रूप से हो सकता है, जब सूर्य बड़ी मात्रा में ऊर्जावान आवेशित कणों को छोड़ता है जो उपग्रहों के साथ विद्युत प्रवाह पैदा कर सकते हैं। कुछ मामलों में इसका परिणाम अविश्वसनीय डेटा होता है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप संचार हानि भी हो सकती है। इन मामलों में सबसे प्रसिद्ध गैलेक्सी 15 दूरसंचार उपग्रह था, जिसने 2010 में ग्राउंड स्टेशन संचार खो दिया था लेकिन ग्राहकों को संचार प्रसारित करना जारी रखा।

जबकि सेना कोरोनल मास इजेक्शन की नकल नहीं कर सकती है, संकेतों का अपहरण संभव है। लीक हुआ दस्तावेज़ चीन की क्षमताओं, या वास्तव में इस क्षेत्र में अमेरिका की वर्तमान प्रगति का कोई प्रमाण प्रदान नहीं करता है। हम केवल इतना ही कह सकते हैं कि वायुमंडलीय भौतिकी और ऊपरी वायुमंडल में तरंग प्रसार की हमारी समझ में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि यह अधिक से अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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