बांग्लादेश में संगीतकार सचिन देव बर्मन के घर को सांस्कृतिक परिसर में बदलने की तैयारी
पेशे से वकील व लेखक गोलम फारुक ने कहा कि 1906 में जन्मे सचिव देव बर्मन ने अपने जीवन के पहले 18 साल कोमिल्ला जिले के इस दक्षिण चरथा गांव राजबारी (महल) में बिताए। फारुक ने संगीतकार पर लिखी 596-पृष्ठों की एक किताब का संपादन किया है।
बांग्लादेश के कोमिल्ला जिले में प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन के महलनुमा घर को एक सांस्कृतिक परिसर में तब्दील करने के मकसद से शेख हसीना सरकार ने 1.10 करोड़ टका (लगभग 86 लाख रुपये) मंजूर किए हैं। पेशे से वकील व लेखक गोलम फारुक ने कहा कि 1906 में जन्मे सचिव देव बर्मन ने अपने जीवन के पहले 18 साल कोमिल्ला जिले के इस दक्षिण चरथा गांव राजबारी (महल) में बिताए। फारुक ने संगीतकार पर लिखी 596-पृष्ठों की एक किताब का संपादन किया है।
फारुक ने कहा, ‘‘देव को संगीत की शिक्षा उनके पिता की देखरेख में मिली, जो एक सितारवादक थे। बर्मन ने स्कूल की पढ़ाई कोमिल्ला जिला विद्यालय से पूरी की। इसके बाद 1924 में विक्टोरिया गवर्नमेंट कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की।’’ बांग्लादेश के अधिकारियों के अनुसार, संगीत उस्ताद के जन्मस्थान (उनके महल) को 30 नवंबर, 2017 को संरक्षित स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 2012 में त्रिपुरा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए अगरतला का दौरा किया था।
वहां लेखकों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को उन्होंने आश्वासन दिया था कि संगीतकार के घर को संरक्षित करने के साथ-साथ सरकार इसे एक सांस्कृतिक केंद्र और संग्रहालय में तब्दील करवाएंगी। अधिकारियों ने बताया कि मई 2017 में, हसीना कवि काजी नजरूल इस्लाम की 116वीं जयंती में शामिल होने के लिए कोमिल्ला गईं थीं। वहां उन्होंने सात परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी, जिनमें से एक सचिन देव बर्मन सांस्कृतिक परिसर के लिए थी।
फारुक ने बताया कि महल का निर्माण सात एकड़ जमीन पर है, लेकिन इसके एक बड़े हिस्से पर पिछले कुछ साल में कब्जा कर लिया गया था। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हालांकि, कोमिल्ला के सांसद एके. एम. बहाउद्दीन बहार जिला प्रशासन की मदद से काफी हद तक जमीन खाली करवाने में सफल रहे हैं।’’ सांसद ने बताया कि सरकार ने परिसर के निर्माण के लिए 1.10 करोड़ टका मंजूर किया है। कोमिल्ला के जिला अधिकारी, एमडी कमरुल हसन ने कहा कि प्रशासन पुरातत्व विभाग को घर सौंपने का इंतजार कर रहा था, सभी मरम्मत कार्य पूरा कर लिया गया है।
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पाकिस्तान शासन के दौरान इस घर का इस्तेमाल सैन्य गोदाम के लिए किया जाता रहा था। उन्होंने कहा कि गोदाम के बाद, घर के एक हिस्से को पोल्ट्री फार्म में बदल दिया गया। तब से इस स्थान को ‘कोमिल्ला पोल्ट्री फार्म’ के नाम से जाना जाता है। मुंबई में सचिन देव बर्मन को पहली बड़ी सफलता 1947 में आयी फिल्म ‘दो भाई’ से मिली। उन्होंने ‘प्यासा’, ‘कागज़ के फूल’, ‘गाइड’,‘अभिमान’ और ‘मिली’ सहित कई हिंदी फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया। संगीत में उनके योगदान के लिए उन्हें 1969 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
अन्य न्यूज़