President Xi के करीबी विश्वासपात्र Li Qiang बने चीन के नये प्रधानमंत्री

Li Qiang
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राष्ट्रपति शी ने खुद उनके नाम का प्रस्ताव दिया था। हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ अखबार के अनुसार, हालांकि, शी के बरक्स उनका ‘चुनाव’ सर्वसम्मति से नहीं हुआ। एनसीपी के 2,947 में से 2,936 सदस्यों ने उनके नाम का समर्थन किया, जबकि तीन ने उनके खिलाफ मतदान किया और आठ सदस्य मतदान से दूर रहे।

चीन की संसद ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विश्वासपात्र ली किआंग की देश के नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति की शनिवार को पुष्टि की। उन पर कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाए सख्त तीन साल तक लगाये गये लॉकडाउन और पश्चिम के साथ बिगड़ते संबंधों से प्रभावित दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का जिम्मा होगा। वह ली खछ्यांग (67) का स्थान लेंगे, जो पिछले 10 साल से देश के प्रधानमंत्री पद पर काबिज रहे। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के वार्षिक सत्र में ली किआंग की उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी गयी।

राष्ट्रपति शी ने खुद उनके नाम का प्रस्ताव दिया था। हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ अखबार के अनुसार, हालांकि, शी के बरक्स उनका ‘चुनाव’ सर्वसम्मति से नहीं हुआ। एनसीपी के 2,947 में से 2,936 सदस्यों ने उनके नाम का समर्थन किया, जबकि तीन ने उनके खिलाफ मतदान किया और आठ सदस्य मतदान से दूर रहे। मतदान के बाद शी ने ली किआंग को प्रधानमंत्री नियुक्त करते हुए एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद उन्होंने संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली।

बाद में राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित संक्षिप्त वीडियो क्लिप में शी को किआंग के साथ हाथ मिलाते हुए देखा गया। उन्होंने ली खछ्यांग से भी हाथ मिलाया और उन्हें विदाई दी। राष्ट्रपति पद की दौड़ में 2012 में शी के साथ एक दावेदार रहे ली खछ्यांग ने पिछले साल सेवानिवृत्त होने का फैसला कर लिया था। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक कार्रवाई तथा सेना पर पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रपति के दबाव से नाखुश बताए जाते हैं।

उन्हें पूर्व प्रधानमंत्रियों के मुकाबले कम शक्तिशाली प्रधानमंत्री माना जाता है। शी के करीबी लोगों में कारोबारी समर्थक नेता कहे जाने वाले ली किआंग (63) सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) तथा सरकार में दूसरे नंबर के अधिकारी होंगे। इससे पहले राष्ट्रपति के तौर पर शी के अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल पर शुक्रवार को मुहर लगी थी। पार्टी के संस्थापक माओ त्से-तुंग के बाद शी (69) इकलौते नेता हैं, जिन्हें दो से अधिक बार पांच साल का कार्यकाल मिला है और ऐसी उम्मीद है कि वह जीवनभर इस पद पर बने रह सकते हैं।

चीन और कुछ प्रमुख पश्चिमी देशों खासतौर से अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध दशकों में सबसे निचले स्तर पर हैं, जिससे प्रौद्योगिकी और निवेश के क्षेत्र में परेशानी बढ़ गयी है। प्रांतीय स्तर पर शी के साथ काम कर चुके ली किआंग चीन के सबसे बड़े आधुनिक कारोबारी हब शंघाई में पार्टी के प्रमुख रह चुके हैं। उनके पिछले साल कोविड-19 के मामलों को फैलने से रोकने के लिए लगाये लॉकडाउन की तीखी आलोचना की गयी थी। ऐसी उम्मीद है कि ली किआंग दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ ही विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए प्रेरित करेंगे।

निवर्तमान प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने इस साल अर्थव्यवस्था के लिए पांच प्रतिशत की वृद्धि दर का प्रस्ताव दिया है, जो दशकों में सबसे कम है। ली किआंग का ध्यान अपने कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था को पूर्व के स्तर तक लौटाना, तत्काल जोखिम को कम करना, दीर्घकालिक विकास की क्षमता बढ़ाना और चीन को उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था में शामिल करने पर केंद्रित होगा। ली किआंग एनपीसी सत्र के आखिरी दिन 13 मार्च को अपने पहले वार्षिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर सकते हैं, जिसमें वह चीनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने तथा जनसांख्यिकीय संकट, तकनीकी अड़चनों और चीन की उच्च प्रौद्योगिकी पर अमेरिका की कार्रवाई जैसी चुनौतियों से निपटने की योजना पर बात सकते हैं। एनपीसी ने सीपीसी द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय के अध्यक्ष समेत अन्य नियुक्तियों पर भी अपनी मुहर लगायी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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