Prabhasakshi Newsroom। बिगड़े हालातों के बीच श्रीलंका में आपातकाल का ऐलान, महंगाई ने तोड़े सभी रिकॉर्ड

Sri Lanka
प्रतिरूप फोटो

श्रीलंका में हालात इसकी बदतर हुए हैं क्योंकि सरकार लगातार कर्ज ले रही है और उनका मैनेजमेंट सही नहीं है। श्रीलंका ने विदेशी मुद्रा को बचाने के लिए मार्च 2020 में आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं डीजल की कमी की वजह से भी हाहाकार मचा हुआ है।

श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण बिगड़े हालात के बीच आपतकाल का ऐलान किया गया है। बीते दिनों राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आवास के बाहर प्रदर्शन करने वाले कम से कम 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आपको बता दें कि श्रीलंका इस समय भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश में ईंधन की भारी संकट है और कम से कम 13 घंटे तक बिजली की कटौती की जा रही है। हालात इतने ज्यादा खराब हो चुके हैं कि कागज की कमी के चलते सभी परीक्षाओं को अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित कर दिया गया है। 

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श्रीलंका सरकार ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के पास हुए हिंसक प्रदर्शन को आतंकी कृत्य करार दिया है और इस घटना के लिए विपक्षी दलों से जुड़े चरमपंथी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के बाहर गुरुवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए थे जिन्होंने द्वीप राष्ट्र में भीषण आर्थिक संकट को दूर करने में उनकी विफलता को लेकर उनके इस्तीफे की मांग की। देखते ही देखते विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी थी। आंदोलन के हिंसक होने से कई लोग जख्मी हुए और वाहनों में आग लगा दी गई।

राष्ट्रपति के आवास के पास लगे स्टील अवरोधक को गिराए जाने के बाद प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था।

श्रीलंका के परिवहन मंत्री दिलुम अमुनुगामा ने बताया कि राष्ट्रपति आवास के पास हुई हिंसा एक आतंकी कृत्य थी। पर्यटन मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा ने हिंसा के लिए विपक्षी दलों- समागी जान बालवेगया (एसजेबी) और जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) से जुड़े चरमपंथी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया।

श्रीलंका अपने इतिहास में सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जो कोरोना महामारी के बीच में शुरू हुआ था। इतना ही नहीं श्रीलंका का जनवरी का व्यापार घाटा 859 मिलियन डॉलर रहा है। इसकी जानकारी केंद्रीय बैंक ने एक बयान में दी है। 

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विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीलंका में हालात इसकी बदतर हुए हैं क्योंकि सरकार लगातार कर्ज ले रही है और उनका मैनेजमेंट सही नहीं है। श्रीलंका ने विदेशी मुद्रा को बचाने के लिए मार्च 2020 में आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं डीजल की कमी की वजह से भी हाहाकार मचा हुआ है। ऑटो यूनियन लगातार सरकार की आलोचना कर रहा है क्योंकि उनकी जिंदगी थम सी गई है और उन्हें किराया बढ़ाना पड़ा है।

मार्च के पहले सप्ताह से ही बसों को बंद करना शुरू कर दिया गया था, अभी तक 80 फीसदी बसें बंद हो चुकी है। कम दूरी की यात्राएं श्रीलंकाई लोग पैदल ही पूरी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य संगठन लगातार सरकार से अपील कर रहे हैं कि अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में बिजली की सप्लाई हो और बिजली में कटौती न करें। हालांकि बिजली में कटौती के चलते कई क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इनमें कृ क्षेत्र भी शामिल है। आने वाले दिनों में हालात और भी ज्यादा खराब हो सकते हैं।

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