सबसे लंबे समय तक चली संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता बिना समझौते के हुई समाप्त
जलवायु के मुद्दे पर चली मैराथन वार्ता रविवार को कार्बन बाजार पर कोई समझौता हुए बिना समाप्त हो गई। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने जलवायु वार्ता के नतीजों पर निराशा जताते हुए कहा कि हमने बढ़ते वैश्विक तापमान से लड़ने का मौका खो दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि मैं सीओपी25 के नतीजों से निराश हूं।
मैड्रिड। जलवायु के मुद्दे पर चली मैराथन वार्ता रविवार को कार्बन बाजार पर कोई समझौता हुए बिना समाप्त हो गई। करीब 200 देशों के प्रतिनिधि लगातार दो हफ्ते तक की गई मैराथन चर्चा के बाद भी 2015 के पेरिस समझौते की शर्तों को पूरी करने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कटौती के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर सहमति नहीं बना पाए। इस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने निराशा जताई है।
I am disappointed with the results of #COP25.
— António Guterres (@antonioguterres) December 15, 2019
The international community lost an important opportunity to show increased ambition on mitigation, adaptation & finance to tackle the climate crisis.
But we must not give up, and I will not give up.
किसी करार के उम्मीद में बातचीत की मियाद रविवार तक बढ़ाई गई इसके बावजूद धारा-छह,नुकसान एवं क्षति और दीर्घकालिक वित्त पर सहमति नहीं बन पाई। वैज्ञानिकों द्वारा पूरे साल कार्बन उत्सर्जन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने और जलवायु पर असर को लेकर चेतावनी देने के बावजूद दो से 13 दिसंबर तक संयुक्त राष्ट्र के जलवायु पर आयोजित 25वीं वार्षिक बैठक (सीओपी25) में देशों के बीच विवाद , समाधान से अधिक मजबूत साबित हुए।
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विशेषज्ञों के मुताबिक कुछ देश ही पेरिस समझौते में तय लक्ष्य को हासिल करने के लिए अद्यतन योजना के साथ आए थे। पर्यवेक्षकों ने बैठक बेनतीजा होने के लिए जी-20 देशों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने और सबसे बुरी तरह से प्रभावित देशों की मदद करने एवं 2020 में सामूहिक प्रयास करने में नाकाम रहीं जबकि पेरिस समझौते के तहत यह बाध्यकारी है। उन्होंने बताया कि यूरोपीय संघ ने विकसित और विकासशील देशों में सेतु का काम करने की कोशिश की लेकिन अगले वर्ष ग्लासगो में होने वाली सीओपी26 बैठक के सकारात्मक नतीजे आने के लिए उसे वृहद कूटनीतिक प्रयास और नेतृत्व करना होगा।
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हालांकि, सीओपी25 बैठक में वैश्विक सालाना उत्सर्जन की समस्या को काबू करने के लिए गंभीर कोशिश पर जोर दिया गया। वार्ता के अंतिम घंटों में वार्ताकार कार्बन बाजार पर भी सहमति बनाने में असफल रहे और उन्होंने इस मामले को अगले साल होने वाली बैठक के लिए छोड़ दिया। क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम नहीं उठाने का असर न केवल दक्षिणी गोलार्ध (विकासशील देश) बल्कि उत्तरी गोलार्ध (विकसित देश)में भी स्पष्ट है।
यूरोपीय क्लाइमेट फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी और पेरिस समझौते की शिल्पकार लॉरेंस तुबियाना ने कहा कि सीओपी 25 के नतीजे मिले-जुले हैं लेकिन उस जरूरत से बहुत कम है जिसकी जरूरत वैज्ञानिक बता रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने जलवायु वार्ता के नतीजों पर निराशा जताते हुए कहा कि हमने बढ़ते वैश्विक तापमान से लड़ने का मौका खो दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि मैं सीओपी25 के नतीजों से निराश हूं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने राहत के लिए महत्वकांक्षा व्यक्त करने, बदलाव और जलवायु संकट से निपटने का महत्वपूर्ण मौका खो दिया।
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