Trump का टैरिफ गेम पूरा पलट जाएगा, वापिस करने पड़ सकते हैं 31 अरब डॉलर

अकेले भारत पर अगस्त 2025 में दो बार टैरिफ बढ़ाए गए। 7 अगस्त को 25 % और 27 अगस्त को 50 % कर दिए गए। ट्रंप का दावा था कि इससे अमेरिका को फायदा होगा और विदेशी कंपनियां झुक जाएंगी।
दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को अपने टैरिफ रूपी हथियार से झुकाने का ख्वाब देखने वाले अमेरिका को अब उसकी नीतियां ही भारी पड़ रही है। अब अमेरिकी सरकार पर ही अरबों डॉलर वापस लौटाने का खतरा मंडरा रहा है और इसका फैसला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में होने वाला है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस की कमान दोबारा संभालने के बाद अपने इस कार्यकाल में आक्रमक नीति अपनाई। उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ यानी की प्रतिशोधात्मक शुल्क का सहारा लेते हुए 180 से ज्यादा देशों पर 10 % से 50 % तक के टैरिफ लगाए। इसमें भारत, चीन, कनाडा, ब्राजील जैसे बड़े देश शामिल थे। अकेले भारत पर अगस्त 2025 में दो बार टैरिफ बढ़ाए गए। 7 अगस्त को 25 % और 27 अगस्त को 50 % कर दिए गए। ट्रंप का दावा था कि इससे अमेरिका को फायदा होगा और विदेशी कंपनियां झुक जाएंगी।
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सरकारी रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2025 में टैरिफ से 31 अरब डॉलर की कमाई की है यानी एक महीने में ही भारी राजस्व हासिल किया। लेकिन अब इस रकम पर खतरा है। दरअसल, टैरिफ के मुद्दे पर मामला कोर्ट पहुंच चुका है। इस कोर्ट ने फैसला सुनाया कि डोनाल्ड ट्रंप ने इंटइनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर एक्ट यानी आईईईपीए कानून का गलत उपयोग किया है। आईईईपीए कानून सिर्फ आपात स्थितियों में लागू होता है। कोर्ट ने कहा कि व्यापारिक मुद्दे को लेकर इतना बड़ा टैरिफ लगाना राष्ट्रपति के अधिकार का अतिक्रमण है। अब ये मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में गया है। लेकिन इस बीच अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसन ने एनबीएस न्यूज के कार्यक्रम में कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने फेडरल कोर्ट का फैसला बरकरार रखा तो हमें करीब आधे टैरिफ रिफंड करने पड़ सकते हैं।
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बेसेंट ने कहा कि हमें लगभग आधे टैरिफ पर रिफंड देना होगा, जो ट्रेजरी के लिए भयानक होगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रशासन उन पुनर्भुगतानों को जारी करने के लिए तैयार है, तो उन्होंने स्वीकार किया कि अगर अदालत ऐसा कहती है, तो हमें ऐसा करना होगा। हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें विश्वास है कि ट्रम्प प्रशासन जीत जाएगा। बेसेन्ट की यह टिप्पणी दो संघीय न्यायालयों द्वारा यह पाये जाने के बाद आई है कि ट्रम्प के पास 1977 के अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (आईईईपीए) के तहत व्यापक टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है।
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अगस्त में नए टैरिफ लागू होने के बाद से, अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग ने 70 अरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा की राशि एकत्र की है, जो इस साल एकत्रित 180 अरब अमेरिकी डॉलर के टैरिफ राजस्व के आधे से भी कम है। बेसेन्ट ने चेतावनी दी है कि अगर मुक़दमेबाज़ी 2026 के मध्य तक चलती है, तो कुल रिफंड 750 अरब अमेरिकी डॉलर से 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच हो सकता है, जिससे अमेरिकी वित्त में "काफी व्यवधान" पैदा हो सकता है।
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