कैरेबियन सागर में अमेरिकी हमले: नार्को-टेररिज्म के नाम पर बढ़ता अंतरराष्ट्रीय तनाव

कैरेबियन सागर में अमेरिका द्वारा 'नार्को-टेररिज्म' के नाम पर किए गए सैन्य हमलों से अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ा है, जहाँ 62 से अधिक लोगों की मौत हुई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर हुए इन हमलों को वेनेजुएला और रूस ने 'अवैध आक्रामकता' बताया है, जिससे क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति और मादुरो के खिलाफ आरोपों ने स्थिति को जटिल बना दिया है। यह घटनाक्रम वैश्विक राजनीति में बढ़ते टकराव और कूटनीतिक प्रभावों की ओर इशारा करता है, जिसे लेकर संयुक्त राष्ट्र भी चिंतित है।
कैरेबियन सागर में हाल के दिनों में अमेरिकी सैन्य गतिविधियों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में काफी हलचल मचा दी है। ताजा घटनाक्रम में, अमेरिका ने शनिवार को एक और नौका पर हवाई हमला किया है, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों की मौत हुई है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए बताया कि हमला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर किया गया था।
मौजूद जानकारी के अनुसार, उक्त नौका पर मौजूद तीनों व्यक्तियों को अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर ‘नार्को-टेररिस्ट’ के रूप में चिह्नित किया गया था। यह हमला अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में किया गया, जिससे इस कार्रवाई की वैधता को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।
गौरतलब है कि इसी सप्ताह बुधवार को किए गए हमले में चार लोगों की मौत हुई थी, जबकि इससे पहले सोमवार को हुए हमलों में 14 लोगों की जान गई थी। बताया जा रहा है कि सितंबर से शुरू हुए इस अभियान में अब तक 62 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 14 नावों के साथ एक आधी डूबने वाली नाव को भी खत्म किया गया है। पीड़ितों में वेनेजुएला और कोलंबिया के नागरिक भी शामिल बताए जा रहे हैं।
हालांकि अमेरिका का दावा है कि यह अभियान ड्रग-तस्करी से जुड़े नेटवर्क को खत्म करने के लिए चलाया जा रहा है, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किया गया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इन हमलों को 'अस्वीकार्य' बताया है और अमेरिका से तत्काल ऐसी कार्रवाइयां रोकने की अपील की है। उनके मुताबिक यह स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार सिद्धांतों का उल्लंघन हैं।
वहीं, इस सैन्य अभियान ने वेनेजुएला और कोलंबिया के साथ अमेरिका के संबंधों में तनाव और बढ़ा दिया है। वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने इन हमलों को 'अवैध आक्रामकता' करार दिया है और दावा किया है कि अमेरिकी प्रशासन उनके शासन को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। रूस ने भी इन कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की है और वेनेजुएला की संप्रभुता के समर्थन का आश्वासन दिया है।
साथ ही, बता दें कि अमेरिका ने हाल ही में कैरेबियन क्षेत्र में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है, जिसमें एडवांस जंगी जहाज, एफ-35 लड़ाकू विमान, परमाणु पनडुब्बी और बड़ी संख्या में सैनिक शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति मादुरो के खिलाफ गिरफ्तारी सूचना देने पर इनाम बढ़ाकर 50 मिलियन डॉलर कर दिया है और उन पर ड्रग-तस्करी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
इन सबके बीच, कैरेबियन क्षेत्र में अमेरिकी कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति में टकराव की स्थितियों को उभरते हुए दिखाया है। ऐसा लगता है कि इस पूरे घटनाक्रम के राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव आने वाले दिनों में और अधिक गहरे होने वाले हैं। स्थिति का विकास और इस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि अभी मामले की जड़ तक पहुंचने के लिए कई परतें बाकी हैं। कुल मिलाकर, यह मुद्दा अब केवल एक सैन्य कार्रवाई से कहीं ज्यादा बड़ा और संवेदनशील बन चुका हैं।
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