उड़ने, कुछ पाने की चाह, सपनों की राह (कविता)

Desire to fly way to dreams
प्राची थापन । Jul 12 2017 1:08PM

युवा मन की चाहतों और चुनौतियों को बयां करती युवा लेखिका प्राची थापन की यह कविता गर्मी के इस मौसम में ठंडी फुहारों का अहसास कराती है।

कुछ सोचूं कुछ बोलूं, इन शब्दों को कैसे खोलूँ

उड़ने की चाह है, मुश्किल हुई ये राह है

हौसला बहुत है इस मन में, और ख्यालों से भरा भरा 

देख दुनिया को सोच रही, कहीं रह ना जाए सब धरा धरा 

उम्मीद की लौ और आगे बढ़ने की चाह, 

यकीनन मुकम्मल होगी मेरे सपनों की राह,

चाहती हूँ कि ढल जाऊं मैं उस चाँद सूरज जैसे

हुए बहुत ही तुर्रमखां पर बन ना पाए वैसे

चाँद की शांति और उसकी ठंडक 

सूरज का प्रकाश और उसकी भड़क

शांत भाव से और शीतलता से

अपनी सोच के प्रकाश से 

राह नई बनाऊं, लगा पंख उमीदों के मैं  

इस खुले गगन में बस, उड़ती जाऊं उड़ती जाऊं॥

- प्राची थापन

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