मेहनत ही असली पूजा है (बाल कहानी)

hard work
Prabhasakshi
संतोष उत्सुक । Nov 18 2023 5:04PM

मंदिर परिसर में बहुत लंबी लाइन लगी हुई है। उसने देखा उसके सहपाठी भी अपने मम्मी पापा के साथ आए हुए हैं। प्राचीन मंदिर को दोबारा रंग कर खूब सजाया गया है। रंग बिरंगी फूल मालाएं, सुन्दर लाइटें लगाई गई हैं।

आभास अपनी दादी के साथ अक्सर मंदिर जाया करता था। दादी रोज़ सुबह जल्दी उठ जाती और नहा धोकर नियमित रूप से मंदिर ज़रूर जाती। संयोग से मंदिर उनके पडोस में कुछ कदम दूर, एक तालाब के किनारे था। आम तौर पर ऐसा होता था कि आभास भी सुबह नहा लेता था। वह मंदिर में दूसरे बच्चों और लोगों को भी आते हुए देखा करता। इसलिए स्कूल जाने में जब भी समय रहता तो दादी के साथ मंदिर चला जाता।

एक बार उसने दादी से पूछा, “दादी, हम मंदिर क्यूं जाते हैं।”

दादी ने बताया था, “बेटा, हम मंदिर जाकर देवी मां से प्रार्थना करते हैं कि हमारे पढाई, स्वस्थ रहने के प्रयासों में सफलता का आशीर्वाद देना।”

आभास को मंदिर जाना अच्छा लगता था। उसे लगता था कि मंदिर जाकर पूजा करने से, देवी मां उसे सफलता का आशीर्वाद देंगी और वह परीक्षा में ज़्यादा अंक प्राप्त करेगा। उसकी मम्मी एक स्कूल में अध्यापिका थी वह उसे कहा करती थी कि मंदिर जाकर देवी मां से निवेदन करना अच्छी बात है लेकिन इसके साथ साथ मन लगाकर पढ़ाई करना भी बहुत ज़रूरी है। आभास इस कारण थोड़ा दुविधा में रहता था ।

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उन दिनों नवरात्रे चल रहे थे। आभास अपनी छोटी बहन अनुभूति, दादी, मम्मी और पापा के साथ देवी मां की पूजा करने मंदिर गया।

मंदिर परिसर में बहुत लंबी लाइन लगी हुई है। उसने देखा उसके सहपाठी भी अपने मम्मी पापा के साथ आए हुए हैं। प्राचीन मंदिर को दोबारा रंग कर खूब सजाया गया है। रंग बिरंगी फूल मालाएं, सुन्दर लाइटें लगाई गई हैं। देवी मां की मूर्ति को नए आकर्षक वस्त्र पहनाए गए हैं। जब वह देवी मां की प्रतिमा के ठीक सामने पहुंचा तो उसने हाथ जोड़कर, आंखें बंद कर, पूरे मन से प्रार्थना की, “देवी मां, परीक्षा में मुझे अच्छे अंक मिलें, इसलिए कृपया अपना आशीर्वाद बनाए रखना।” 

रात को उसकी मम्मी ने स्वादिष्ट पकवान बनाए हुए थे। सभी ने इक्कठे बैठकर खाना खाया। सोते समय आभास के दिमाग में कहीं यह बात थी कि वह बचपन से दादी के साथ अक्सर देवी मां के मंदिर जाता रहा है, अभी भी जाता है, देवी मां परीक्षा में उसे ज़्यादा अंक प्राप्त करने का आशीर्वाद ज़रूर देंगी। उसे स्वप्न में यह भी दिखा कि वह नियमित पूजा तो कर रहा है लेकिन पढ़ाई पर उतना ध्यान नहीं दे रहा जितना देने की ज़रूरत है।

यह क्या, उसके स्वपन में मुस्कुराती देवी मां आती हैं और उसे कहती हैं, “बेटा, तुम बचपन से मेरे मंदिर में आकर मेरी पूजा करते हो। उससे मैं बहुत खुश हूं। तुम्हें पढ़ाई में सफलता और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हूं लेकिन इन दोनों के लिए कोशिश तुम्हें स्वयं ही करनी होगी । जीवन में मेहनत बहुत ज़रूरी है क्यूंकि तुम्हारा निरंतर मेहनत करना ही मेरी असली पूजा है। तुम एक विद्यार्थी हो, मेहनत और लगन से पढना ही तुम्हारा पहला कर्तव्य है। तुम्हें रोज़ सुबह जल्दी उठना चाहिए, मन लगाकर खूब पढना चाहिए और व्यायाम भी करना चाहिए। इन कार्यों के कारण यदि कभी मंदिर न भी आ सको तो कोई बात नहीं। मैं तुम्हारी मेहनत और लगन को अपनी पूजा के रूप में स्वीकार करूंगी और हमेशा सफलता का आशीर्वाद देती रहूंगी।”

सुबह उठकर उसने अपना सपना, अपनी दादी और मम्मी को सुनाया तो उन्होंने कहा बेटा, “भगवान् उसकी सहायता करते हैं जो अपनी सहायता आप करते हैं। देवी मां ने तुम्हें मेहनत करने की प्रेरणा और आशीर्वाद दिया है। क्यूंकि मेहनत ही असली पूजा है।” 

आभास की दुविधा दूर हो गई थी। उसे समझ आ गया था कि मेहनत ही असली पूजा है। 

- संतोष उत्सुक

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