इधर के हुए न उधर के (व्यंग्य)

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बच्चे खुसुर-फुसुर करने लगे। एक बच्चे ने दूसरे से कहा, यह कैसी हिंदी कक्षा है। केवल विषय का नाम हिंदी है। लेकिन वही इसमें से गायब है। ऐसे में हम हिंदी खाक सीखेंगे। अंग्रेजी माध्यम का मतलब हिंदी को हिंडी बनाकर हमारा मर्डर करना है।

एक अंग्रेजी माध्यम की पाठशाला में हिंदी अध्यापिका बच्चों को हिंदी पढ़ा रही थी। अध्यापिका ने देखा कि कक्षा में बच्चे बड़ी शरारत कर रहे हैं। उन्होंने सबको डाँटते-फटकारते हुए कहा चुपचाप बैठने के लिए कहा। बच्चों ने कहा, टीचर आपकी हिंदी हमारे पल्ले नहीं पड़ रही है। टीचर ने पलटकर कहा, डियर स्टूडेंट्स! आई एम गोइंग टु टीच यू हिंडी। बट वाई आर यू मेकिंग सच नॉइस। प्लीज डोंट मेक नॉइस। डियर स्टूडेंट्स हिंडी इज़ अवर ऑफिशियल लैंग्वेज। एक्चुअली इटीज़ वेरी इजी यू नो। फॉर एग्जांपल लेट्स राइट ‘अ’। फर्स्ट यू ड्रा ए स्टेट लाइन। देन अंडर स्ट्रेट लाइन राइट नंबर थ्री। देन ड्रा ए शार्ट स्ट्रेट लाइन इन द मिडिल। देन ड्रा स्टैंडिंग लाइन। दट्स इट। हिंडी इज वेरी वेरी इजी।

बच्चे खुसुर-फुसुर करने लगे। एक बच्चे ने दूसरे से कहा, यह कैसी हिंदी कक्षा है। केवल विषय का नाम हिंदी है। लेकिन वही इसमें से गायब है। ऐसे में हम हिंदी खाक सीखेंगे। अंग्रेजी माध्यम का मतलब हिंदी को हिंडी बनाकर हमारा मर्डर करना है। हिंदी कक्षा का नाम सुनते ही कान में से खून निकलने लगता है। यह अंग्रेजी का भूत हमारी जान लेकर ही छोड़ेगा। टीचर ने बच्चों की खुसुर-फुसुर रोकते हुए कहा, चिल्ड्रेन फ्रॉम नेक्स्ट क्लास वी विल लर्न पड्य। तभी एक लड़के ने दूसरे से पूछा यह ‘पड्य’ क्या है? दूसरे ने जवाब दिया– पद्य। टीचर आगे कहने लगी, टुलसी वाज़ ए ग्रेट पोएट। ही वाज़ डिवोटी ऑफ लॉर्ड रामा। ही रोट मेनी बुक्स। हीज फेमस बुक इज रामाचरिटामानसा।

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स्कूल की घंटी बज चुकी थी। बच्चे अपने-अपने घर लौटे। एक लड़का जब घर पहुँचा तब टीवी पर रामायण सीरियल चल रहा था। दादा ने उसे अपनी गोदी में बिठाकर कहा, यह रामायण है। इसमें जो पद्य सुनाये जा रहे हैं उसे रामचरितमानस से लिया गया है। इसके कवि तुलसी हैं। पोते ने तुरंत पलटकर कहा, दादा जी आपको कुछ नहीं मालूम। पहली बात तो आपने पद्य, रामचरितमानस और तुलसी का उच्चारण गलत किया है। अब मैं आपको सिखाता हूँ कि सही उच्चारण कैसे किया जाता है। तो मेरे साथ कहिए – पड्य, रामाचरिटामानसा और टुलसी।

यह सब सुन दादा जी अपना माथा पीटकर रह गए।

- डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’

(हिंदी अकादमी, मुंबई से सम्मानित नवयुवा व्यंग्यकार)

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