नग्नता में सफलता (व्यंग्य)

कुछ लोग नग्नता में सादगी और ग्लैमर दोनों मिला देते हैं। कम कपड़ों में जलपरी जैसी लगने, दिखने और अनुभव करने जैसा कार्य भी हो जाता है। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक समस्याओं से ज़्यादा जलवा शरीर भींचते कपड़े दिखा देते हैं।
जिस तरह सबका अपना अपना न्यू नार्मल होता है उसी तरह से सफलता भी अपनी अपनी तरह की होती है। समाज काफी विकसित हो गया है। सब कुछ अपना अपना होने लगा है। हर एक का सपना सच हो रहा है। हालांकि बारिश खूब हुई है लेकिन गर्मी बरकरार है स्वभाव में भी और भाव में भी। शायद गर्मी ज़्यादा होने के कारण ही नंगे होने की प्रवृति को बढ़ावा मिला है। इंसानों ने नंगे होने को आत्मविश्वास की सीढ़ी बना लिया है। नंगे होने की श्रेणियां हैं, कपड़ों से नंगा होना, ज़बान से नंगा होना, दिमाग़ से नंगे होना, विचारों से नंगे होना और व्यवहार से नंगे होना। कई पहलुओं में पैदल होना तो हम पहले भी सुनते आए हैं लेकिन फिलहाल प्रवृति नंगे होने की है।
अपनी अपनी ज़रूरत, दिलचस्पी और शौक के अनुसार नंगापन अपनाया जा सकता है। शरीर से नंगे होने वाले खुद को नंगा नहीं मानते हालांकि कई मामलों में कपड़े पहने हुए व्यक्ति को नंगा कहा जाता है। ज़िंदगी पर बाज़ार का कब्ज़ा कुछ ऐसा हो गया है कि सुन्दर, समृद्ध, प्रभावशाली, प्रतिभाशाली व्यक्तियों को भी आत्मविश्वास, आर्थिक सफलता और प्रसिद्धि अर्जित करने के लिए कपड़ों से नंगा होना पड़ता है।
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नंगा होने का फार्मूला, सफलता की राह माना जाता है। इसे सफलता के वर्तमान बुनियादी सूत्रों में ज़ोरदार और शोरदार ढंग से शामिल कर लिया गया है। ग्लोबल स्तर पर इसे इतना महत्त्व नहीं मिलता लेकिन हम ठहरे पारम्परिक, लकीर के फ़कीर किस्म की संस्कृति के दीवाने लोग। हमारे यहां जब बिकिनी से प्रेरित वस्त्र पहने जाते हैं तो आत्मविशवास की बाढ़ आ जाती है। आत्मविशवास इक्कठा करने वालों में होड़ लग जाती है। तस्वीरों से आत्मविशवास टपकने लगता है। उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है। प्रतिभा की ऐसी आभा को यादों में संजो लिया जाता है। संजोने वालों का आत्मविशवास आसमान छू रहा होता है। उनका शरीर जागरूक रहता है जिससे दूसरों का शरीर भी चौकन्ना हो जाता है। जीवन में बोल्डनेस के झरने बहने लगते हैं। कहा भी गया है चुस्त शरीर में चुस्त मन रहता है। विदेशी वस्त्रों के साथ साथ, नग्नता की विदेशी शैली ने भी हमारी परम्पराओं में संतुष्टि के अनेक रंग खूब भरे हैं।
कुछ लोग नग्नता में सादगी और ग्लैमर दोनों मिला देते हैं। कम कपड़ों में जलपरी जैसी लगने, दिखने और अनुभव करने जैसा कार्य भी हो जाता है। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक समस्याओं से ज़्यादा जलवा शरीर भींचते कपड़े दिखा देते हैं। कपड़े उतारते हुए आत्मविश्वास दिखाने का चित्र, चाहने वालों को रोज़ीरोटी कमाने को प्रेरित करे न करे, आत्मविश्वास बढ़ाने को ज़रूर प्रेरित करते हैं। समाचार पत्रों, वीडियो, सामाजिक मीडिया पर बोल्डनेस, स्वतंत्रता और आत्मविश्वास बढाने में मदद करता है। करोड़ों लोग सामाजिक मीडिया पर यही कर सुख पाते हैं। कभी न कभी लगता है बहादुरी दिखा रहे हैं।
हमारे कई नेता भी तो बिना कम कपड़े पहने भी नंगे लगते हैं। उनका यह आत्मविश्वास उन्हें कुर्सी की ओर बढ़ा रहा होता है। आम लोग भी उनसे नग्नता में सफलता की प्रेरणा लेते हैं। उनकी पारदर्शी बातें भी यह साबित करती हैं कि इंसान खाली हाथ ही नहीं दुनिया में नंगा भी आता है और खाली हाथ जाने के साथ नंगा ही जाता है।
- संतोष उत्सुक
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