सर्दी है सर्दी (व्यंग्य)

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ज्यादातर इस तरह के लक्षण चुनाव के समय ही दिखाई देते हैं। इसलिए टिकट बांटने से पहले ही इन लक्षणों से बचाव शुरू कर देना चाहिए। चुनावी सर्दियों की सुबह आंख खुलते ही बिस्तर पर ही मोजे और टोपी समेत गर्म कपड़े पहना दें।

चुनावों का सुहाना मौसम तब परेशानी का सबब बन जाता है, जब थोड़ी-सी लापरवाही से अपना मेंढ़क विरोधी तालाब में उछल-कूद करता हुआ चला जाता है। हालांकि सावधानी बरतें, तो इस चुनावी मौसम का पूरा लुत्फ उठाया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले मेंढ़कों के शारीरिक लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। मसलन चुनावी सर्दी के दिनों में चुपचाप और अलग-थलग रहना ऐसे मेंढ़कों के लिए आम बात है। अगर तीन-चार दिन में यह व्यवहार ठीक न हो या इसका उपचार न किया जाए तो यह उनके उछलने का संकेत हो सकता है। नाक-भौं सिकुड़ना, आँखें चुराना, लगातार दूसरों से फोन पर बात करना, अपने नेता का कहा सुनाई न देना, बदन का सिकुड़ना, सिर या आंखों का अजीबोगरीब हरकतें करना, विरोधी पार्टी का हल्का बुखार, अपनी पार्टी के प्रति गले में खराश के साथ हल्का दर्द होना आदि भी दल बदलने के संकेत हैं।  

  

कैसे करें कंट्रोल

ज्यादातर इस तरह के लक्षण चुनाव के समय ही दिखाई देते हैं। इसलिए टिकट बांटने से पहले ही इन लक्षणों से बचाव शुरू कर देना चाहिए। चुनावी सर्दियों की सुबह आंख खुलते ही बिस्तर पर ही मोजे और टोपी समेत गर्म कपड़े पहना दें। नहीं तो दूसरी पार्टियों की ठंड लग सकती है। ये कपड़े रात को सोने से पहले ही उनके पास रख दें। जब बाहर निकलें, तब इधर-उधर न जा पाएँ, इसके लिए कड़ी नजर रखनी चाहिए। ध्यान रहे कि पार्टी कार्यालय के अतिरिक्त इधर-उधर घूमने से दूसरी पार्टी का बुखार चढ़ सकता है। उठते ही विरोधी पार्टियों के समाचार पत्र या न्यूज चैनल न देखें। ब्रश, शेव आदि अपनी पार्टी के गर्म कपड़े पहनकर ही करें।

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कई नेता एक ही पार्टी के पुरानी सोच वाले कपड़े पहनने से ऊब जाते हैं। ऐसे में दूसरी पार्टी के कपड़े पहनकर तरोताजा महसूस करने की चेष्टा करते हैं। वे सोचते हैं कि ऐसा करने से सभी बीमारियों पर जीत मिल जाएगी। ऐसे नेता मेंढ़कों के बाप और गिरगिटों के ताऊ होते हैं। पल में इधर से उधर होने में देरी नहीं करते। ऐसे नाजुक समय में अपनी पार्टी की डांट का खट्टा या ठंडा न खिलाएं। डांट भी दें तो ईडी का विक्स या सीबीआई ऑयल डालकर दिन में 2-3 बार भाप दिलाएँ। डॉँट के गुनगुने पानी से गरारे करवाएँ। जिन नेताओं पर सर्दी-खांसी चढ़ चुकी है, दूसरे नेताओं को उनसे थोड़ा दूर रखें, खासकर जब वे दूसरे खेमें में जाकर उछल-कूद करते हों। ऐसे समय में विटामिन-एम से भरपूर चीजें जैसे कि विशेष पैकेज, सूटकेस, तोहफे आदि देना चाहिए। इतना होने पर भी तीन-चार दिन से ज्यादा दूसरी पार्टी का सर्दी जुकाम या खांसी बनी रहे तो ईडी-सीबीआई को अवश्य दिखाएँ।   

इलाज

ईडी और सीबीआई की सलाह से एंटी जंपिंग जैसे कि ‘फेविक्विकिसीन’ या ‘डॉ. फिक्सिट’ के टैबलट दिलाएँ। ऐसा करने से नेताओं की उछल-कूद, इधर-उधर ताकने की बीमारी छूमंतर हो जाती है। अगर उछलने की जिद्दी बीमारी है तो ‘ओल्डकेसओपन’ सिरप पिलाएँ। इतना ही नहीं इसका देसी इलाज भी किया जा सकता है। जैसे भ्रष्टाचार के दो लौंग, काली मिर्च सी दो धमकियाँ, छीनाझपटी भरी अदरक का छोटा टुकड़ा, एक चम्मच काले कारनामों वाली चाय की पत्ती, एक चम्मच पुराने अपराधों की चीनी, पुलिस की आधी लात वाले पानी में तब तक उबालें जब तक कि वह आधा न हो जाए। फिर धीरे-धीरे चुस्की लगवाएँ। रात को सोते समय इसे पिलाने पर अगली सुबह मेंढ़क सा उछलना तो दूर ऐसी-वैसी हरकत करने से नेतागण बचते रहेंगे।

नोट: डॉक्टर रूपी हाईकमान की सलाह के बिना उछल-कूद रोकने के लिए ऐंटिबायॉटिक बिल्कुल न दें। वरना ऐंटिबायॉटिक का उसर उल्टा हो सकता है और यह बीमारी सभी नेताओं के सर चढ़ सकती है।

- डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’,

(हिंदी अकादमी, मुंबई से सम्मानित नवयुवा व्यंग्यकार)

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