2022 में UP चुनाव लड़ेगी AAP, दिल्ली से बाहर केजरीवाल का प्रयोग क्यों हमेशा रहा असफल?

Kejriwal
अभिनय आकाश । Dec 15 2020 5:21PM

दिल्ली के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल का जादू किस कदर सिर चढ़कर बोलता है इसकी बानगी दो बार के परिणाम से पता चलता है। लेकिन जब भी बात दिल्ली से बाहर की रही हो तो केजरीवाल और उनकी पार्टी ने कोशिश और दावे दोनों भरपूर किए लेकिन हर बार परिणाम नील बट्टे सन्नाटा ही रहा।

सबसे खतरनाक होता है, मर्दा शांति से भर जाना, घर से निकलना काम पर और काम से लौटकर घर जाना। सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना। सपने जो बीते कई बरस में एक पार्टी ने देखें और इन सपनों के आसरे उम्मीज, भरोसा और शायद राजनीतिक परिवर्तन का भी जिक्र किया। लेकिन वो सफलता हासिल नहीं हुई जो दिल वालों की कही जाने वाली दिल्ली से उसे प्राप्त हुई। हम बात कर रहे हैं आंदोलन से निकली पार्टी आप या कहे आम आदमी पार्टी की। जिसके मुखिया, संयोजक या कहे सर्वोसर्वा अरविंद केजरीवाल ने आज एक बड़ी घोषणा की। अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि वो उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। केजरीवाल ने ऐलान किया और उधर सूबे की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी की तरफ से वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने आप के ऐलान को मुंगेरीलाल के हसीन सपने करार दिया। केशव प्रसाद मौर्या ने ट्वीट करते हुए कहा कि दो करोड़ की आबादी वाला दिल्ली संभल नहीं रहा 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश को संभालने की बात करने वाली पार्टी मुगेरीलाल के हसीन सपने देख रही है। दरअसल दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने आज प्रेस काॅन्फ्रेंस करके सवाल उठाए कि अगर दिल्ली में सुविधाएं तैयार की जा सकती हैं तो उत्तर प्रदेश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है। देश के सबसे बड़े राज्य में अच्छी सुविधाएं क्यों नहीं हो सकती है। केजरीवाल ने कहा कि यूपी की जनता अब पुरानी राजनीति से त्रस्त हो गई है और आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी होगी। 

उत्तर प्रदेश में 2022 में चुनाव होने हैं और राजनीतिक दलों का दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने की बात कोई नई नहीं है। चाहे वो शिवसेना हो या सपा या फिर बसपा विभिन्न राजनीतिक दल अपना जनाधार बनाने के लिए दूसरे राज्यों में जाकर चुनाव लड़ते हैं। (उन्हें कितनी सफलता मिलती है या मिसी है ये अलग से एक चर्चा का विषय हो सकता है ) उसी तर्ज पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में खम ठोकने को तैयार है। ऐसा नहीं है कि आम आदमी पार्टी कोई पहली बार दिल्ली से बाहर चुनाव लड़ रही है। इससे पहले आप ने उत्तराखंड में होने वाले चुनाव के लिए सूबे की सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। नवंबर 2012 में आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से अबतक केजरीवाल दिल्ली में जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल का जादू किस कदर सिर चढ़कर बोलता है इसकी बानगी दो बार के परिणाम से पता चलता है। लेकिन जब भी बात दिल्ली से बाहर की रही हो तो केजरीवाल और उनकी पार्टी ने कोशिश और दावे दोनों भरपूर किए लेकिन हर बार परिणाम नील बट्टे सन्नाटा ही रहा। 

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काशी की भूमि में मोदी को किया चैलेंज

साल 2014 के वक्त नई नवेली आम आदमी पार्टी ने पूरे देश में अपने उम्मीदवार खड़े किए। और तो और अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनावी ताल ठोकी। 2014 के चुनावी नतीजे पर गौर करें तो वह एक दौर था जब वाराणसी में केसरिया रंग के आगे बाकी सारे रंग फीके पड़ गए थे। हर हर मोदी घर घर मोदी के नारे के साथ बचपन में चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी ने जब काशी के लोगों को यह बताया कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है तो बनारस के नौजवान से लेकर हर तबके के इंसान ने सभी दलों की चुनावी केतली खाली करके भाजपा का प्याला वोटों से भर दिया था। नरेंद्र मोदी अपने निकटम प्रतिद्वंदी अरविंद केजरीवाल से 3 लाख 71 हजार 785 वोटों से जीते थे। नरेंद्र मोदी को कुल 5 लाख 81 हजार 22 वोट हासिल हुए थे जबकि दूसरे स्थान पर रहे अरविंद केजरीवाल को 2 लाख 9 हजार 238 मत प्राप्त हुए थे। वहीं आम आदमी पार्टी ने 434 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल चार पर जीत दर्ज की थी वो भी सारी सीटें पंजाब से ही।

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पंजाब और गोवा में हार

फरवरी 2017 में पंजाब और गोवा के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा। दोनों ही राज्यों में केजरीवाल ने अपनी सरकार बनने का भरपूर दावा भी किया लेकिन दोनों ही जगहों पर परिणाम आप के दावे के मुताबिक नहीं रहे। पंजाब में आम आदमी पार्टी गठबंधन ने राज्य की 117 सीटों में से 22 सीटें जीती जिसमें दो सीटें सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी की थी। गोवा में तो आप के प्रदर्शन का आलम ये रहा कि राज्य की 40 में से 39 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्ची 38 सीटों पर तो अपना जमानत भी नहीं बचा पाई। यहां तक की मुख्यमंत्री के उम्मीदवार एल्विस गोम्स की भी जमानत जब्त हो गई। 

कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में भी पराजय

मई 2018 में आप ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और सभी की जमानत जब्त हो गई। 2018 में हुए छत्तीसगढ़ चुनाव में भी पार्टी ने 90 में से 85 सीटों पर चुनाव लड़ा और किसी भी सीट पर जमानत नहीं बचा सकी। भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार और आप के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी कोमल हुपेंडी को करीब साढ़े नौ हजार वोट प्राप्त हुए और उनकी जमानत भी जब्त हो गई। 

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हरियाणा में जीत का दावा

नवंबर का महीना था और दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम के गौशाला मैदान में स्कूल अस्पताल रैली को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि हरियाणा में अगली सरकार आम आदमी पार्टी की बनेगी। अगले साल अक्टूबर 2019 में हरियाणा के चुनाव हुए और केजरीवाल के गृह राज्य में 90 में से 46 सीटों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे। एक भी सीट जीतना तो दूर की बात है पार्टी ने इस चुनाव में 0.48 प्रतिशत मत हासिल किए वहीं नोटा ने 0.52 प्रतिशत वोट पाए। 

गुजरात में भी 0

आम आदमी पार्टी काफी समय से गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी थी। पार्टी का इरादा व्यापक तौर पर चुनाव में उतरने का था। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की डेट नजदीक आई पार्टी की योजना सिमट सी गई। महज 29 सीटों पर लड़ने वाली आप को कोई सफलता हासिल नहीं हुई और कई उमम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई। वहीं कितने उम्मीदवारों को तो 400 से भी कम मत प्राप्त हुए। 

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यूपी की राजनीति दिल्ली जैसी नहीं है

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रचंड जीत का रिकाॅर्ड जरूर बनाया है लेकिन अन्य राज्यों में वो किसी बेहतर स्थिति में पहुंच सकते हैं? दिल्ली में अरविंद केजरीवाल बिजली-पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़े और जीते। लेकिन क्या अन्य राज्यों में इन मुद्दों के सहारे चुनाव जीता जा सकता है? ये मुद्दे तभी कारगर सिद्ध होंगे जब जातीय समीकरण और लोगों को जोड़ने वाली बाकी चीजें भी मुफीद हों। दिल्ली की क्षेत्रीयता, भाषा और कुछ जातीय समीकरणों का थोड़ा प्रभाव है लेकिन दूसरे राज्यों जैसा नहीं। जिस तरह के जातीय राजनीतिक समीकरण उत्तर और बिहार जैसे राज्यों में हैं या अन्य फैक्टर दूसरे राज्यों में हैं वो दिल्ली की राजनीतिक हालत से बेहद ही भिन्न हैं। - अभिनय आकाश

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