लोन मिला, ड्रोन मिला, आतंक निरोधी अभियान का मॉनिटर भी बना, US की बैन लिस्ट से भी बाहर, मोदी को क्या संदेश देना चाह रहे ट्रंप?

व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर घोषणा की हेडलाइन पर आप नजर डालेंगे तो उसमें लिखा है कि ऐसा अमेरिका को आंतकवाद से बचाने के लिए किया जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जब ट्रंप साहब ये लिस्ट बना रहे थे, तो फिर उनकी निगाह में पाकिस्तान क्यों नहीं आया?
पाकिस्तान को लोन भी मिला और अपने मित्र देशों से ड्रोन भी मिला। लेकिन ये सब चल ही रहा था कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की आतंक विरोधी कमेटी सीटीईडी का वाइस चेयरमैन बना दिया गया। इस कमेटी के सदस्य, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं। उपाध्यक्ष का चुनाव तीन साल के लिए होता है। ट्रंप ने 12 देशों पर प्रतिबंध लगाया है, जिसके बाद अब इन देशों के नागरिक अमेरिका नहीं आ सकेंगे। लेकिन इसमें पाकिस्तान नहीं है। जबकि इन देशों पर प्रतिबंध लगाने के कारणों में आतंकवाद भी है। व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर घोषणा की हेडलाइन पर आप नजर डालेंगे तो उसमें लिखा है कि ऐसा अमेरिका को आंतकवाद से बचाने के लिए किया जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जब ट्रंप साहब ये लिस्ट बना रहे थे, तो फिर उनकी निगाह में पाकिस्तान क्यों नहीं आया?
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ट्रंप ने 12 देशों पर क्या फैसला लिया और पाकिस्तान को इससे बाहर क्यों रखा?
अपने दूसरे कार्यकाल के लगभग पाँच महीने बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तरफ से ये बड़ा फैसला लिया गया है। 12 देशों से संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश को प्रतिबंधित करने और सात अन्य पर वीज़ा सीमाएँ लगाने वाले एक नए यात्रा प्रतिबंध पर हस्ताक्षर किए। 12 देशों में ज्यादातर मुस्लिम देश हैं। ऐसे में इस्लामिक देशों को वहां आने पर पूरी तरह की पाबंदी रहेगी। बैन की सूची में आने वाले देशों में ईरान, अफगानिस्तान, यमन, सोमालिया जैसे देश शामिल हैं। इसके अलावा इसमें म्यांमार जैसे कुछ गैर इस्लामिक देश भी शामिल हैं। लेकिन इस लिस्ट के सामने आने के बाद अमेरिका में खुद भी इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि पाकिस्तान का नाम इसमें शामिल क्यों नहीं है? अमेरिका की ओर से कहा गया की स्क्रिनिंग और वेटिंग जो अमेरिका में आने के लिए जरूरी होती है। ये इन देशों के नागरिकों के लिए संभव नहीं है क्योंकि वहां पर ऐसी सरकारें हैं जो अमेरिकाके लिए फ्रेंडली नहीं हैं या फिर वहां पर गृह युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। यमन, सूडान, लीबिया, म्यामांर में गृह युद्द जैसी स्थिति है। ईरान को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली सरकार के रूप में माना गया है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को लेकर भी अमेरिका की ये राय है। लेकिन वो पाकिस्तान जहां दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी, अमेरिका का ससे बड़ा दुश्मन ओसामा बिन लादेन पकड़ा गया था वो इस लिस्ट में क्यों नहीं है? पाकिस्तान आतंकवाद का एक्सपोर्टर है। अभी भी पूरी दुनिया के सबसे बड़े आतंकी पाकिस्तान में ही पाए जाते हैं। लेकिन फिर भी उसे ट्रैवल बैन की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है।
आतंक पर यूएन के अभियान को लीड करेगा पाकिस्तान
आपने बंदर के हाथ में उस्तरा वाली कहावत तो जरूर सुनी होगी। जिसका मतलब होता है कि किसी मूर्ख इंसान के हाथ में कोई शक्तिशाली हथियार या ताकत आ जाना। संयुक्त राष्ट्र में आतंक विरोधी कमेटी का उपाध्यक्ष पाकिस्तान बना दिया। यूएन ने ऐसा करके शहबाज शरीफ के हाथ में भी उस्तरा पकड़ा दिया है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आतंक फैलाने के लिए बदनाम पाकिस्तान अब यूनाइटेड नेशन के 193 देशों को ये सुझाव देगा कि टेररिज्म के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएं। किस आतंकी संगठन की संपत्ति फ्रीज होनी चाहिेए। पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यानी जिस पाकिस्तान में हाफिज सईद, मसूद अजहर, जकीउर रहमान लखवी, अब्दुल रहमान मक्की और दाऊद जैसे आतंकी खुलेआम घूमते हैं। वो देश अब यूएन की तरह आतंकी हमलों का खंडन करेगा। किसी देश में आतंकी हमले होंगे तो उसकी निंदा भी करेगा। ये और बात है कि ये सब देखने के बाद दुनिया के लोग संयुक्त राष्ट्र को कितनी गंभीरता से लेंगे, ये बताने की जरूरत नहीं है।
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पाकिस्तान के प्रति ट्रंप का रुख कैसे बदला है
अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने पाकिस्तान के बारे में अपने विचार बहुत स्पष्ट रूप से व्यक्त किए थे। 1 जनवरी, 2018 को उन्होंने एक्स पर पोस्ट उसी वर्ष बाद में कांग्रेस द्वारा अतिरिक्त 500 मिलियन डॉलर रोकने के पहले के निर्णय के बाद, अमेरिकी सरकार ने सैन्य सहायता में 300 मिलियन डॉलर की कटौती की। ट्रम्प ने यह भी कहा कि अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन को छिपाने में पाकिस्तान की मिलीभगत थी। उन्होंने कहा कि लेकिन पाकिस्तान में सैन्य अकादमी के ठीक बगल में रहने के कारण, पाकिस्तान में हर कोई जानता था कि वह वहां है। अप्रैल 2019 में आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम (आईएनए) की धारा 243 (डी) के तहत वीज़ा प्रतिबंध लगाए गए थे, यह प्रावधान उन देशों के लिए आरक्षित है जो निर्वासन प्रक्रियाओं में बाधा डालते हैं। कुछ पाकिस्तानी अधिकारियों और सरकारी प्रतिनिधियों पर प्रतिबंध लगाए गए, जो पाकिस्तान के सहयोग के प्रति वाशिंगटन के बढ़ते असंतोष को दर्शाता है। इन तनावों के बावजूद, ट्रम्प ने द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने की दिशा में पहल की। जुलाई 2019 में, तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान ने वाशिंगटन का दौरा किया।
कैसे ट्रंप का ह्रदय परिवर्तन हो गया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के क्रिप्टो कारोबार की गूंज अब पाकिस्तान पहुंच गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रम्प और उनके परिवार द्वारा समर्थित क्रिप्टो फमों का नया ठिकाना अब पाक बनने जा रहा रहा है। इस कंपनी की कमान खुद पीएम शहबाज शरीफ के बेटे सलमान शहबाज के हाथों में होगी। दुबई में बनी एक सलमान शरीफ संदिग्ध ब्लॉकचेन फर्म हाईलैंड सिस्टम्स के जरिए यह सारा नेटवर्क खड़ा किया जा रहा है। हाईलैंड सिस्टम्स की मदद से पाक सरकार ब्लॉकचेन और क्रिप्टो माइनिंग तकनीक विकसित करेगी। कंपनी में ट्रम्प के बेटे एरिक ट्रम्प और पाकिस्तान के टॉप मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर्स भी साझेदार हैं। दरअसल, ट्रम्प के करीबी निवेशक और क्रिप्टो लॉबी पहले से ही अमेरिका में रेग्युलेशन की सख्ती से नाराज हैं। ऐसे में वे ऐसे देशों की तलाश में हैं जहां नियम ढीले हों और सत्ता से सीधा तालमेल हो। पाक इस समय गढ़ बनकर उभरा है। आर्थिक अस्थिरता व सरकार की अमेरिका के साथ संबंध सुधारने की तत्परता जैसे कारण पाक को ट्रम्प के कुनबे के लिए क्रिप्टो हब बनाने के लिए एक आदर्श देश बना रहे हैं। बता दें कि शहबाज सरकार क्रिप्टो को वैध करेंसी के रूप में मान्यता देने की भी योजना बना। इस साझेदारी को दोनों पक्षों ने सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया है। इस्लामाबाद में डब्ल्यूएलएफ के प्रतिनिधिमंडल में स्टीव विटकॉफ के बेटे ज़ैचरी विटकॉफ शामिल थे, जो वर्तमान में मध्य पूर्व में अमेरिका के विशेष दूत के रूप में कार्य करते हैं और डोनाल्ड ट्रम्प के जाने-माने सहयोगी हैं। पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने व्यक्तिगत रूप से डब्ल्यूएलएफ प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। इसके बाद की बैठकों में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उप प्रधानमंत्री इशाक डार और रक्षा एवं सूचना के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ मंत्रियों सहित प्रमुख सरकारी हस्तियां शामिल थीं। इन बैठकों के पैमाने और दृश्यता से पता चलता है कि यह कोई साधारण वाणिज्यिक समझौता नहीं था।
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भारत पाकिस्तान सीजफायर का क्रेडिट लेने की कोशिश
पाकिस्तान को यात्रा प्रतिबंध सूची से बाहर करने का फ़ैसला पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के कुछ समय बाद आया है। ट्रम्प ने शुरू में इस घटना की निंदा की, लेकिन जैसे-जैसे स्थितियां आगे बढ़ी, उन्होंने कूटनीति की ज़रूरत पर ज़ोर देना शुरू कर दिया। मीडिया से बातचीत में ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में मध्यस्थता की है। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे शानदार लोग हैं और बेहतरीन उत्पाद बनाते हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार उनकी वार्ता में एक महत्वपूर्ण कड़ी थी और उन्होंने सैन्य अभियानों को रोकने की जिम्मेदारी ली। हालांकि, भारत ने इस आरोप को नकारते हुए कहा कि कार्रवाई में रोक लगाना स्वतंत्र रूप से लिया गया एक सामरिक निर्णय था। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि व्यापार किसी भी द्विपक्षीय वार्ता का हिस्सा नहीं है, और कहा कि यह भारतीय हथियारों की ताकत थी जिसने पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए मजबूर किया।
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