248 सालों के इतिहास में होगा ऐसा पहली बार, शपथग्रहण क्यों होगा खास, क्या ट्रंप ने 'भारत' को बुलाया मोदी को नहीं

वो ये भूल जाते हैं मोदी और ट्रंप की मुलाकात भले ही न हुई हो लेकिन अपने तमाम इंटरव्यू और भाषणों में वो दोनों के रिश्तों को जगजाहिर करते हुए बार बार दर्शाने की कोशिश की कि मोदी के साथ कितने अच्छे हैं। भारतवंशियोों का ट्रंप को अमेरिकी चुनाव में एकतरफा समर्थन भी मिला। ट्रंप का वो पॉडकास्ट भी खासा वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने मोदी को पिता सरीखा बताया था। ट्रंप मोदी की दोस्ती को सवाल उठाने वाले इस बात पर क्या कहेंगे कि जिनपिंग को शपथग्रहण के लिए क्यों निमंत्रण भेजा गया। जबकि दोनों के बीच के रिश्तें जगजाहिर हैं। और तो और बुलाए जाने के बावजूद भी जिनपिंग शपथग्रहण में नहीं जा रहे हैं।
रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास के बीच महीनों से जंग जारी है। कोविड महामारी की वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था ठप्प पड़ी है। जाहिर है कि अमेरिका में नई सरकार को लेकर दुनिया को शांति और नए सिरे से कारोबार को मंदी से मुक्त होने की उम्मीद है। ट्रंप ने चुनाव के दौरान दुनियाभर के वादे भी खूब किए थे। 20 जनवरी का दिन जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति के पद पर शपथ लेने वाले हैं। ट्रंप का शपथग्रहण बहुत भव्य तरीके से हो रहा है जिसमें तमाम बड़े नेता शामिल हो रहे हैं। सभी को मुलाया गया, सभी जा रहे हैं, लेकिन बीते कुछ दिनों से मीडिया में विमर्श का केंद्र ये रहा कि इसमें पीएम मोदी को क्यों नहीं बुलाया गया। इसमें कुछ वर्ग को राष्ट्र का इतना अपमान दिखा कि वे पिछले 15 दिनों से दुखी नजर आ रहे हैं। आज बात ट्रंप के न्योतों पर करेंगे, तैयारियों पर करेंगे, किसने ट्रंप के निमंत्रण को बड़ी बेरुखी से ठुकरा दिया इस पर भी बात करेंगे।
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शपथ ग्रहण समारोह में कौन इन और कौन आउट?
अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले, हंगरी से विक्टर ओरबन, इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली, इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के अलावा ट्रंप ने फ्रांस के विपक्षी नेता एरिक को भी न्यौता भेजा है। कई और पूर्व और वर्तमान शासनाध्यक्षों को भी ट्रंप ने शपथग्रहण में आमंत्रित किया है। लेकिन एक नाम ऐसा है, जिसे लोग ट्रंप की आमंत्रण सूची में लगातार तलाश रहे हैं। वो नाम नरेंद्र मोदी का है। कल से पहले तक ये सवाल लगातार किया जा रहा था कि मोदी ट्रंप के शपथग्रहण में शामिल होंगे या नहीं? मोदी-ट्रंप के रिश्ते जगजाहिर हैं।
ट्रंप से मोदी ने नहीं की थी मुलाकात
ट्रंप के शपथग्रहण में मोदी को निमंत्रण नहीं मिलने को पिछले साल सितंबर की घटना से जोड़कर देखा जा रहा था। जब धानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने न्यूयॉर्क गए थे। उस समय ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। ट्रंप का मानना था कि मोदी के साथ एक हाई-प्रोफाइल मुलाकात से उनकी चुनावी छवि को मजबूती मिलेगी। जब ट्रंप ने मोदी से मुलाकात की इच्छा जताई, तो भारतीय राजनयिकों के सामने एक कठिन सवाल खड़ा हो गया. 2019 में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के दौरान ट्रम्प की अप्रत्यक्ष चुनावी बढ़त को कूटनीतिक गलती माना गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह तय किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों से दूरी बनाए रखना भारत के दीर्घकालिक हित में होगा। ट्रंप इस बात से नाखुश थे कि मोदी से मुलाकात उन्हें चुनावी फायदा दिला सकता था, लेकिन भारत ने इससे परहेज किया।
जयशंकर को निमंत्रण के लिए अमेरिका भेजा गया?
एस जयशंकर के अमेरिका दौरे पर निमंत्रण से जोड़कर देखा गया। यहां तक कहा गया कि पीएम मोदी ने न्यौता पाने के लिए ट्रंप के पास एस जयशंकर को भेजा। बीजेपी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुहासिनी हैदर का एक स्टेटस शेयर किया जिसमें जयशंकर के अमेरिका जाने की बात थी। इस पोस्ट को शेयर करते हुए स्वाम ने लिखा कि मोदी ने वेटर को अमेरिका भेजा है और उनसे कहा है कि वह उनके (मोदी) लिए निमंत्रण पत्र लेकर आए, अन्यथा वह अपनी नौकरी खो देंगे। जिसके बाद से एक वर्ग इस नैरेटिव को चलाने में लग गया कि ट्रंप के शपथग्रहण के लिए मोदी को नहीं बुलाया जा रहा है। ट्रंप मोदी से नाराज हैं।
जिनपिंग को निमंत्रण
वो ये भूल जाते हैं मोदी और ट्रंप की मुलाकात भले ही न हुई हो लेकिन अपने तमाम इंटरव्यू और भाषणों में वो दोनों के रिश्तों को जगजाहिर करते हुए बार बार दर्शाने की कोशिश की कि मोदी के साथ कितने अच्छे हैं। भारतवंशियोों का ट्रंप को अमेरिकी चुनाव में एकतरफा समर्थन भी मिला। ट्रंप का वो पॉडकास्ट भी खासा वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने मोदी को पिता सरीखा बताया था। ट्रंप मोदी की दोस्ती को सवाल उठाने वाले इस बात पर क्या कहेंगे कि जिनपिंग को शपथग्रहण के लिए क्यों निमंत्रण भेजा गया। जबकि दोनों के बीच के रिश्तें जगजाहिर हैं। और तो और बुलाए जाने के बावजूद भी जिनपिंग शपथग्रहण में नहीं जा रहे हैं।
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भारत की तरफ से विदेश मंत्री जयशंकर लेंगे हिस्सा
विदेश मंत्री एस जयशंकर 20 जनवरी को होने वाले अमेरिकी के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शपथग्रहण में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि जयशंकर इस समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह न्योता अमेरिका की ट्रंप-वेंस शपथ ग्रहण कमिटी की ओर से भेजा गया है। अपने दौरे के दौरान जयशंकर ट्रंप प्रशासन के प्रतिनिधियों और वहां आने वाले कुछ गणमान्य व्यक्तियों के साथ भी बैठक करेंगे। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों को अमेरिका पहुंचने की संभावना है, जिनमें कई देशों के प्रमुख भी शामिल हो सकते है। कुछ दिन पहले ही जयशंकर ने कहा था कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में हमारे द्विपक्षीय संबंध अच्छे रहे है। हालांकि, अलगाववादी गुरतपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश, धार्मिक अल्पसंख्यकों के मामले को लेकर असहजता भी पैदा हुई है। एच-1बी वीजा को लेकर भी विवाद हो रहा है।
भारत को आधिकारिक निमंत्रण मोदी को नहीं!
अब जब भारत को निमंत्रण मिल गया और विदेश मंत्री एस जयशंकर के इसमें शामिल होने की बात भी सामने आने लगी तो एक वर्ग की तरफ से किया जा रहा है कि ट्रंप की तरफ से भारत को आधिकारिक रूप से आमंत्रित को किया है। लेकिन अपने दोस्त मोदी को पूछा भी नहीं। तो आपको ये भी बता दें कि संभवत: ये अमेरिका का पहला शपथग्रहण होगा जिसमें भारत को न्यौता मिला है। क्या आपको याद है कि कभी जवाहर लाल नेहरू या इंदिरा गांधी को अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथग्रहण में बुलाया गया हो। जबकि वे बहुत बड़े नेता बताए जाते हैं। इतना ही नहीं कई विपक्षी नेता और ऐसे राजनेताओं को बुलाया गया है जो राष्ट्राध्यक्ष भी नहीं हैं तो फिर राहुल गांधी को ही क्यों नहीं बुला लिया गया।
कार्यकाल में नई दिशा?
ट्रंप के करीबी कह रहे है कि राष्ट्रपति सभी देशो से खुलकर बात करना चाहते है। ट्रंप के सत्ता में आने के बाद बहुत सारे रिश्तो को नई दिशा मिलेगी। बदले जियो पॉलिटिकल हालात फैसला करेंगे कि ट्रंप के इस कार्यकाल में अमेरिका के साथ भारत के कितने करीबी संबंध कायम होगे।
शपथ ग्रहण समारोह के लिए सबसे ज्यादा चंदा
अमेरिका के 248 सालों के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, जैसा ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में होने जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के लिए अभी तक करीब 170 मिलियन डॉलर का चंदा आ चुका है। नए प्रशासन के साथ अपने रिश्तों को मजबूत रखने के लिए कई बिजनेस टायकून और उद्योगपतियों ने ट्रंप की टीम को जी भर कर दान दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक 170 मिलियन आ चुके हैं, जल्दी ही यह आंकड़ा 200 मिलियन डॉलर के पार पहुंच जाएगा। बोइंग, मेटा, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, ओपन एआई जैसे बड़े-बड़े बिजनेस ग्रुप्स ने जमकर पैसा दान किया है। पोर्ट के मुताबिक ट्रंप के शपथ ग्रहण में इतनी ज्यादा संख्या में लोग आने वाले हैं कि मिलियन में दान करने वाले लोगों को भी वीआईपी टिकट देने से इनकार कर दिया गया है। ट्रंप की टीम के मुताबिक कई लोगों के वीआईपी पास देने से इनकार कर दिया गया है क्योंकि जगह की कमी है और सीटें पहले ही भर चुकी हैं।
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