Trump का टैरिफ पे टैरिफ वाला रवैया दुनिया पर डालेगा क्या प्रभाव? भारत को इससे किस तरह हो सकता है फायदा?

ट्रंप का कहना है कि अमेरिका में फैक्ट्री बंद हो रही है। जॉब बाहर जा रहे हैं। ट्रेड डिफेसिट बढ़ रहा है। उनकी कोशिश है कि अमेरिकी कंपनी को बाहर से सामान मंगवाने की बजाए खुद अमेरिका में प्रोडक्शन करने के लिए मजबूर किया जाए। अमेरिकी कंपनी को टैक्स में छूट मिले जिससे वो अमेरिका में ही फैक्ट्री लगाए।
तारीख पे तारीख तारीख पे तारीख साल 1993 में सनी देओल की दामिनी फिल्म का आइकॉनिक डॉयलाग तो आप सभी ने सुना ही होगा। लेकिन इन दिनों ट्रंप टैरिफ पे टैरिफ वाले डॉयलाग को चरितार्थ करते नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने टैरिफ वॉर छेड़ दी है। अमेरिका ने पहले तो कनाडा, मैक्सिको और चीन पर जबरदस्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। शपथ लेने के तुरंत बाद ट्रंप ने उन एक्सीक्यूटिव ऑर्डर को साइन किया, जिसमें कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत और चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही गई थी। एक फरवरी से इसे शुरू होना था। लेकिन किसी तरह कनाडा और मैक्सिको ने इसके लिए ट्रंप को मना लिया। फिलहाल 30 दिनों के लिए दोनों देशों को मोहलत दे दी है। लेकिन यहां पर चीन का नंबर अभी तक नहीं लगा। चीन पर लगा 10 प्रतिशत टैरिफ एक फरवरी से शुरू हो चुका है। जिसके बाद अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। दोनों देशों ने अपने हितों का हवाला देते हुए एक दूसरे पर टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। अमेरिकी की तरफ से 10 प्रतिशत टैरिफ का जवाब चीन ने 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ लगाकर दिया है। चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स में बताया गया कि 10 फरवरी से अमेरिका से आयातित कुछ वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अमेरिका के प्रेसिडेंट के तौर पर कम बैक करने के बाद दुनिया में ट्रेड वॉर की शुरुआत होती नजर आ रही है। लेकिन इस टैरिफ वॉर में ट्रंप ने भारत को रियायत दी है। तो आज हम इसी विषय का एमआईआई स्कैन करेंगे कि ट्रंप ने ऐसा क्यों किया है, क्या है ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी, टैरिफ होता क्या है और इससे अमेरिका पर क्या असर पड़ेगा। जिन देशों पर टैरिफ लगाया गया है उन पर क्या असर पड़ेगा।
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टैरिफ क्या होता है?
सरल भाषा में कहे तो टैरिफ मतलब टैक्स जो दूसरे देशों से आने वाले सामान पर लगाया जाता है। जैसे मान लीजिए की आपने चीन से कोई मोबाइल मंगवाया तो अब उसकी वास्तविक कीमत पर एक्ट्रा 10 प्रतिशत का टैक्स देना पड़ेगा। इसका मतलब की अमेरिकी कंपनियां चीन से कुछ मंगवाएंगी तो उनको ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे। इसमें आपको साफ कर दें कि ट्रंप ने टैरिफ लगाया तो कनाडा, मैक्सिको या जिनपिंग के चीन को अपनी जेब से पैसा भरना होगा। असल में ये टैक्स अमेरिकी कंपनियों को देना पड़ता है जो इन देशों से सामान मंगवाती हैं। मतलब इंपोर्टर जो ये सामान खरीदते हैं ये टैक्स सरकार को देते हैं। ये पैसा वो जाहिर है अपनी जेब से तो भरेंगे नहीं और इसका असर ग्राहकों पर पड़ेगा। नतीजतन महंगाई बढ़ेगी। आम अमेरिकी जनता को ज्यादा दाम चुकाने पड़ेंगे।
टैरिफ को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे ट्रंप
ट्रंप का कहना है कि अमेरिका में फैक्ट्री बंद हो रही है। जॉब बाहर जा रहे हैं। ट्रेड डेफेसिट बढ़ रहा है। उनकी कोशिश है कि अमेरिकी कंपनी को बाहर से सामान मंगवाने की बजाए खुद अमेरिका में प्रोडक्शन करने के लिए मजबूर किया जाए। अमेरिकी कंपनी को टैक्स में छूट मिले जिससे वो अमेरिका में ही फैक्ट्री लगाएं। इसके साथ ही गैर कानूनी अप्रवासी और ड्रग्स की सप्लाई रोकने के लिए भी टैरिफ को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाए। अतीत में अगर अमेरिका किसी देश से व्यापार करता था तो इसके ऐवज में उस देश की वैश्विक मुद्दों पर अलिखित सहमति रहती थी। यूएन और उसकी तमाम संस्थाएं अमेरिका के फंड से चलती रही हैं। विश्व बैंक और आईएमएफ में आज भी अमेरिकी और यूरोपियन प्रमुख ही होते हैं। यह सच है कि अमेरिकी व्यापार में असंतुलन है और भारत के अलावा चीन को भी उसका लाभ मिलता है।
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चीन पर टैरिफ का ड्रैगन के देश पर कितना पड़ेगा असर
चीन 120 से अधिक देशों के लिए प्रमुख व्यापार भागीदार है और अमेरिका उनमें से एक है। पिछले दो दशकों में चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में व्यापार के महत्व को लगातार कम किया है और घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी की है। आज आयात और निर्यात का चीन के सकल घरेलू उत्पाद में केवल 37% हिस्सा है, जबकि 2000 के दशक की शुरुआत में यह 60% से अधिक था। 10% टैरिफ चभेगा, लेकिन पेइचिंग इस झटके को बर्दाश्त कर सकता है।
चीन के पलटवार से अमेरिका को होगा नुकसान?
अमेरिका पर इसका प्रभाव सीमित हो सकता है। अमेरिका दुनिया में तरल प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है, लेकिन उस निर्यात में चीन की हिस्सेदारी केवल 2.3% के आसपास है। चीन का सबसे बड़ा कार आयात यूरोप और जापान से होता है। एक्सपर्ट इसे चीन की सौदेबाजी की शक्ति हासिल करने के तरीके के तौर पर देख रहे हैं।
भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका अगर भारतीय व्यापार पर टैक्स लगाता है, तो भारत को अपने माल को स्तरीय और सस्ता बनाना होगा यानी इसे एक अवसर के रूप में लेना होगा। एक्सपर्ट का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध भारतीय निर्यातकों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इस कदम से अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान जब अमेरिका ने चीन पर टैरिफ लगाया था तो उस दौरान भारत चौथा सबसे ज्यादा बड़ा फायदा पाने वाला देश था।
भारत को किस तरह होगा फायदा?
एक्सपर्ट का कहना है चीन से आयात पर अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने से भारत को अमेरिका में निर्यात के लिए बहुत अवसर मिलेंगे। टैरिफ लगाए जाने से चीन से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर असर पड़ेगा। इससे अमेरिकी बाजार में उनके सामान की कीमतें बढ़ जाएंगी। इससे अमेरिकी खरीदार उच्च लागत से बचने के लिए वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करेंगे। इससे भारत को फायदा होगा।
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