समरकंद से आने के बाद कहां थे जिनपिंग? तख्तापलट की अफवाहें कैसे शुरू हुईं, क्या है इसकी वजह

Jinping
Creative Common
अभिनय आकाश । Sep 30 2022 5:11PM

तमाम तरह की खबरों और अटकलों के बाद शी जिनपिंग पहली बार 27 सितंबर को सामने आए और नजरबंद होने या तख्तापलट की खबर को पूरी तरह गलत साबित कर दिया है। जिनपिंग बीजिंग में एक प्रदर्शनी में शामिल हुए थे।बीजिंग के एग्जीबिशन का बताए जा रहे वीडियो में शी जिनपिंग सीपीसी पार्टी के नेताओं के साथ नजर आ रहे हैं।

हैशटैग "ChinaCoup" पिछले हफ्ते की सबसे बड़ी खबरों में से एक था। शी जिनपिंग की कथित हाउस अरेस्ट से लेकर बीजिंग में एयर स्पेस को खाली करने जैसी कई तरह की खबरें सोशल मीडिया साइटों पर टॉप ट्रेंड में रहीं। कई वीडियो भी सामने आए। ये एक अनूठा ऐसा मामला है जो बताता है कि कैसे सोशल मीडिया और इंटरनेट फेक न्यूज या दुष्प्रचार फैलाने, वैश्विक लहरें पैदा करने में सहायता कर सकते हैं। व्यावहारिक रूप से चीन में सैन्य तख्तापलट दुनिया भर पर गहरी छाप छोड़ने के लिए काफी है। मार्केट क्रैश हो जाएंगे। भू-राजनीतिक संरेखण में भी तब्दिली आएगी।  अन्य देशों के विपरीत चीन से सीधे तौर पर खबरें आना बेहद ही मुश्किल है। जबकि दुनिया के दूसरे हिस्से में गुप्त सैन्य तख्तापलट को सत्यापित करने में अधिकतम कुछ घंटे लग सकते हैं। लेकिन चीन के तख्तापलट की अफवाहें व्यावहारिक रूप से पूरी तरह से विफल होने से पहले पूरे दो दिनों तक चलीं।

इसे भी पढ़ें: CPC की अहम कांग्रेस से पहले चीन का एक और शीर्ष अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी

प्रदर्शनी में शामिल हुए जिनपिंग

तमाम तरह की खबरों और अटकलों के बाद शी जिनपिंग पहली बार 27 सितंबर को सामने आए और नजरबंद होने या तख्तापलट की खबर को पूरी तरह गलत साबित कर दिया है। जिनपिंग बीजिंग में एक प्रदर्शनी में शामिल हुए थे। बीजिंग के एग्जीबिशन का बताए जा रहे एक वीडियो में शी जिनपिंग सीपीसी पार्टी के नेताओं के साथ नजर आ आए। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो उज्बेकिस्तान में एससीओ मीटिंग से वापस लौटने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार सार्वजनिक तौर पर नजर आए हैं।  इन तस्वीरों को देखने के बाद साफ हो गया कि जिनपिंग न तो जेल में हैं और न ही वहां की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने कोई तख्तापलट किया है।  

अफवाहें कैसे शुरू हुईं?

इस अफवाह की जड़ झाओ लांजियन नाम के एक पत्रकार का ट्वीट था जो चीन से भाग कर अमेरिका में निर्वासन में हैं। उन्होंने ट्विटर पर अस्पष्ट कारणों से बड़े पैमाने पर चीन में फ्लाइट रद्द होने का बारे में निराधार दावे किए। इस दावे को चीनी आध्यात्मिक आंदोलन फालुन गोंग समर्थित मीडिया नेटवर्क की ओर से उठाया गया था। चीन में एक अज्ञात सड़क पर यात्रा कर रहे एक सैन्य काफिले की क्लिप दिखा कर इस झूठी कहानी पर विश्वसनीयता की एक और परत चढ़ा दी गई। चीन में तख्तापलट की खबर को और मजबूती मिली जब उसमें कहा गया कि उज़्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से लौटने के बाद शी जिनपिंग को किसी ने नहीं देखा है। दुनिया भर के अन्य हैंडल भी थे जिन्होंने एक अलग विषय पर अपने ट्वीट में सिर्फ #ChinaCoup हैशटैग का इस्तेमाल किया जाने लगा। 

इसे भी पढ़ें: चीन ने कहा कि पाकिस्तान के कराची में मारा गया व्यक्ति उसका नागरिक नहीं

समरकंद से आने के बाद कहां थे जिनपिंग

चीन में बीते कुछ दिनों से तख्तापलट की अफवाहें जोर पकड़ रही थीं। वहीं कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि समरकंद के एससीओ समिट से लौटने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग क्वारंटाइन हो गए हैं। चीन में विदेश से आने वालों के लिए सख्त कोविड प्रोटोकॉल है। जो भी बाहर देश से चीन आता है उसे गाइडलाइंस के तहत कुछ दिनों तक क्वारंटाइन रहना पड़ता है। हालांकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग क्वारंटाइन थे या नहीं इसको लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ भी जानकारी सामने नहीं आई है। 

क्या चीन एक पहेली है?

ऐसी भी खबरें आईं की शी जिनपिंग को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है और अपने साथी पार्टी के लोगों के कुछ दबाव का सामना करना पड़ रहा है। जब वह एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद आराम कर रहे थे या खुद को अलग कर रहे थे, तो कुछ दिनों के लिए लोगों की नज़रों से उनका गायब होना अफवाहों का एक पूरा बाजार लेकर सामने आ गया। बीजिंग में काम करने वाले एक ब्रिटिश पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस बात की अधिक संभावना है कि शी जिनपिंग को सेना से तख्तापलट का सामना करने के बजाय अपनी ही पार्टी और मंत्रियों के समूह के दबाव का सामना करना पड़ेगा। जब राजनीति की बात आती है तो सीसीपी हमेशा की तरह मजबूत बनी हुई है और यह सिर्फ शीर्ष नेतृत्व है जिसे दूसरों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। तख्तापलट की अफवाह से पहले वहां कायदे-कानून और सुरक्षा मामलों से जुड़े छह वरिष्ठ अधिकारियों को सजा सुनाई गई थी। इसमें सार्वजनिक सुरक्षा के पूर्व उप मंत्री सुन लिजन भी शामिल थे, जिन्हें मौत की सजा मिली है। पूर्व न्याय मंत्री फू गहुआ और बांग लाइक जिआंगम में राजनीतिक और कानूनी मामले देखते थे। हालांकि तख्तापलट को लेकर जो भी खबरें वायरल हुईं उसको लेकर कोई भी तथ्य सामने नहीं आया। ये महज एक थ्योरी बनकर रह गई। सुरक्षा से जुड़े पूर्व मंत्रियों के पतन और अपमान से यह प्रमाणित भी होता है। मगर तख्तापलट की अफवाहों में कोई सत्यता इसलिए भी नहीं है क्योंकि सी 20वीं पार्टी कांग्रेस के प्रतिनिधियों में से एक भी खुद तीसरे कार्यकाल के लिए इच्छुक है और अभी तक उन्होंने अपने उत्तराधिकारी का नाम नहीं लिया है। - अभिनय आकाश

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़