सूरत में साजिश और लखनऊ में मर्डर, 24 घंटे में पकड़े गये कमलेश के हत्यारे

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यूपी डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि कमलेश तिवारी के हत्याकांड की साजिश सूरत में ही रची गयी और गिरफ्तार किये गये तीनों आरोपी साजिश में शामिल रहे हैं। डीजीपी ने बताया कि हत्या के मामले का किसी आतंकी संगठन से संबंध नहीं मिला है।

लखनऊ में शुक्रवार शाम हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या का मामला 24 घंटे के भीतर सुलझा लिया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि इस हत्याकांड के तार गुजरात के सूरत से जुड़े मिले थे जिसके बाद ताबड़तोड़ छापेमारियां की गयीं और तीन लोगों- मौलाना मोहसिन शेख, फैजान और राशिद पठान को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि गुजरात एटीएस की मदद से दो और संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था लेकिन उन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। जो तीन लोग गिरफ्तार किये गये हैं उनमें से एक साड़ी की दुकान पर और एक जूते की दुकान पर काम करता है जबकि तीसरा पेशे से दर्जी और कम्प्यूटर विशेषज्ञ है। हत्या की योजना का मुख्य सूत्रधार राशिद पठान है।

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उन्होंने बताया कि घटनास्थल से मिला मिठाई का डिब्बा जाँच में अहम सूत्र साबित हुआ। डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि इस हत्याकांड की साजिश सूरत में ही रची गयी और तीनों आरोपी साजिश में शामिल रहे हैं। डीजीपी ने बताया कि हत्या के मामले का किसी आतंकी संगठन से संबंध नहीं मिला है। उन्होंने कहा है कि कमलेश के एक पुराने बयान से यह लोग नाराज थे और उन्होंने इसलिए उसकी हत्या की साजिश रची और उसे अंजाम दिया। गौरतलब है कि कमलेश ने पूर्व में हजरत मोहम्मद साहब के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की थी। इस मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।

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उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के घनी आबादी वाले नाका हिंडोला इलाके में शुक्रवार को हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी। मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया था। कमलेश तिवारी नाका हिंडोला कि खुर्शेदबाग स्थित अपने घर में खून से लथपथ पाए गए थे। दरअसल दो लोग भगवा वस्त्र पहन कर और मिठाई का डिब्बा लेकर उनसे मिलने आए थे। बताया जा रहा है कि मिठाई के डिब्बे में ही हथियार थे जिससे कमलेश की हत्या की गयी। मुलाकात के दौरान कमलेश ने अपने एक साथी को उन दोनों के लिए पान लाने भेजा था, जब वह लौटकर आया तो उसने कमलेश को खून से लथपथ हालत में पाया। कमलेश पूर्व में हिंदू महासभा से भी जुड़े रह चुके थे। कमलेश की हत्या के मामले में राज्य सरकार ने देर रात लखनऊ के पुलिस महानिरीक्षक एसके भगत की अगुवाई में तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम गठित कर दी थी।

कमलेश की पत्नी किरण की तहरीर पर इस मामले में मुफ्ती नईम काजमी और अनवारुल हक तथा एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। किरण का आरोप है कि काजमी और हक ने वर्ष 2016 में कमलेश का सिर कलम करने पर क्रमशः 51 लाख और डेढ़ करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया था। इन्हीं लोगों ने साजिश कर उनके पति की हत्या कराई है।

इस बीच, कमलेश का परिवार इंसाफ की मांग को लेकर धरने पर बैठा हुआ है। उधर, समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब राजधानी में ही लोग सुरक्षित नहीं हैं तो बाकी क्षेत्रों का क्या होगा।

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