एमआरपी से अधिक दाम वसूलने पर कार्रवाई होगीः सरकार

हवाई अड्डों, मल्टीप्लेक्स और होटलों सहित तमाम जगहों पर पैक पानी और शीतलपेय की बिक्री अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक दाम पर बिक्री करने पर जुर्माना और जेल जैसे कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने आज यह जानकारी दी। पासवान ने यहां कहा, 'एमआरपी से अधिक धन वसूलना कानून का उल्लंघन है। लेकिन हम हवाई अड्डा, मल्टीप्लेक्सों और होटलों पर निगाह रखेंगे कि पैकबंद पानी एमआरपी से अधिक दाम पर न बिकें। इसे रोके जाने की आवश्यकता है।'
उन्होंने कहा कि इन स्थानों पर पैकबंद पानी को 10 से 20 प्रतिशत अधिक कीमत पर बेचा जाता है जबकि कुछ मामलों में पानी की बोतल पर एमआरपी लिखा भी नहीं होता और कोका कोला जैसे शीतलपेय पैक से बाहर निकाल कर ऊंची दरों पर बेचा जाता है। पासवान ने एक आयोजन के मौके पर कहा, 'हमारे पास गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की पर्याप्त शक्तियां हैं और उपभोक्ताओं की शिकायत मिलने पर इन कानूनी शक्तियों का प्रयोग किया जाएगा। नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाया जा सकता है और जेल भी भेजा जा सकता है।'
राजधानी में 47वें विश्व मानक दिवस समारोहों के उपलक्ष्य में 'मानक विश्वास का निर्माण करते हैं’ विषय पर एक कार्यक्रम में पासवान ने कहा कि पैक पानी की बोतलों पर ‘आईएसआई’ का गुणवत्ता प्रमाणीकरण चिन्ह का होना जरूरी है और उपभोक्ताओं के हित में इसे सच्ची भावना के साथ लागू किये जाने की आवश्यकता है। पासवान ने कहा कि हाल ही में राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) ने एमआरपी से अधिक दाम पर पानी की बिक्री करने के लिए जुर्माना लगाया था। उन्होंने कहा कि इस पर उपभोक्ताओं के अधिकारों के बारे में अधिक जागरूकता पैदा किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'इस फैसले के बावजूद मल्टीप्लेक्स और हवाईअड्डों पर पानी एमआरपी से अधिक दाम पर बेचे जा रहे हैं। इसलिए उपभोक्ताओं को अधिक जागरूक होने और शिकायत दर्ज करने की आवश्यकता है। अगर कोई शिकायत नहीं होगी तो हम कार्रवाई कैसे करेंगे?' मानकों के बारे में बात करते हुए मंत्री ने कहा कि जब तक घरेलू उत्पाद, सेवायें अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन नहीं करेंगी, सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता।
भारतीय मानकों के बारे में उपभोक्ताओं के बीच विश्वास बहाली का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, 'हम विदेश जाते हैं और जब ‘मेड इन यूएस’ का टैग देखते हैं तो हम खुशी खुशी ब्रांडेड कपड़े खरीदते हैं। जब हम ‘मेड इन इंडिया’ का लेबल देखते हैं तब हम नहीं खरीदते हैं क्योंकि उपभोक्ताओं में विश्वास की कमी है।' उन्होंने कहा कि मानकों के निर्धारण करने के लिए बनी सरकार की प्रमुख एजेंसी, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करते हुए इस दृष्टिकोण को बदले जाने की आवश्यकता है।
उपभोक्ता मामला राज्य मंत्री सीआर चौधरी ने कहा कि बीआईएस उद्योगों और उपभोक्ताओं दोनों की बेहतरी के लिए मानक बनाते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं उद्योग जगत से अनुरोध करना चाहूंगा कि वे मानकों का सख्ती से पालन करें क्योंकि बचे वहीं रहेंगे जो उपभोक्ताओं को बेहतर माल, सेवायें प्रदान करेंगे।' उन्होंने कहा कि 35 से भी अधिक देश भारतीय मानकों को अपना रहे हैं और बीआईएस दक्षेस देशों के लिए एकीकृत मानक तय करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
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