दिल्ली UNHCR के बाहर Afghan Refuge कर रहे प्रदर्शन, कोरोना फैलने का खतरा

Afghan protestors outside UNHCR

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस स्थिति को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि वहां पर प्रदर्शनकारी बिना मास्क पहने एक-दूसरे के निकट दिख रहे हैं। अदालत ने अधिकारियों से इस पर कार्रवाई करने को कहा।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने संयुक्‍त राष्‍ट्र शरणार्थी उच्‍चायुक्‍त कार्यालय (यूएनएचसीआर) के बाहर शरणार्थी दर्जे की मांग को लेकर प्रदर्शन के लिए बड़ी संख्या में अफगान नागरिकों के एकत्रित होने पर बुधवार को चिंता जताई और कहा कि यह कोरोना वायरस के तेजी से फैलने का कारण बन सकता है क्योंकि वहां पर कोविड-19 नियमों का पालन नहीं किया जा रहा। उच्च न्यायालय ने कहा कि इस स्थिति को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि वहां पर प्रदर्शनकारी बिना मास्क पहने एक-दूसरे के निकट दिख रहे हैं। अदालत ने अधिकारियों से इस पर कार्रवाई करने को कहा। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने केंद्र, दिल्ली सरकार और पुलिस से कहा कि इस मुद्दे के समाधान के लिए वे मिलकर सोच विचार करें और यह भी ध्यान रखें कि लोगों की भीड़ कोविड-19 फैलने का कारक न बने।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने वसंत विहार वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, दक्षिण दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड को नोटिस जारी किए। याचिका में कहा गया है कि विदेशी नागरिक (शरणार्थी/शरण पाने के इच्छुक) संयुक्‍त राष्‍ट्र शरणार्थी उच्‍चायुक्‍त कार्यालय (यूएनएचसीआर) और दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार के बी ब्लॉक के बाहर 15 अगस्त से एकत्रित हो रहे हैं, वे यहां आसपास गलियों और उद्यानों में भी एकत्रित होते हैं और इस वजह से रहवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अदालत ने कहा कि इस वजह से आम लोगों को दिक्कत हो रही है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार से यह बताने को कहा कि उच्चतम न्यायालय के प्रदर्शन का अधिकार मुद्दे पर दिशा-निर्देश बनाने के आदेश के अनुपालन में उसने क्या कदम उठाए हैं। याचिका में कहा गया है कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद इन लोगों में अफगानिस्तान से आए विदेशी नागरिकों की संख्या बीते एक हफ्ते में कई गुना बढ़ गई।

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एसोसिएशन की ओर से पेश अधिवक्ता ऋषिकेश बरूआ ने कहा कि लोगों को आने-जाने में दिक्कत हो रही है, यही नहीं जिस तरह से वे विदेशी नागरिक प्रदर्शन में एक दूसरे के करीब बैठते हैं इससे कोविड-19 फैलने का खतरा है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने और रास्ता साफ करवाने की मांग की। उन्होंने कहा कि लोग वहां रहने लगे हैं, थूकते हैं, खुले में शौच करते हैं और उन्होंने इलाके में अतिक्रमण कर लिया है और संभवत: इन लोगों का कोविड-19 रोधी टीकाकरण भी नहीं हुआ है। केंद्र के स्थायी वकील अजय दिग्पाल ने कहा कि यह सामान्य हालात नहीं हैं और निवासियों को थोड़ा मानवीय रूख अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय मुद्दे हैं जिनका समाधान रातोंरात नहीं निकाला जा सकता क्योंकि इसके बड़े अंतरराष्ट्रीय दुष्परिणाम होंगे। अदालत ने अधिकारियों से कहा कि इस मुद्दे का समाधान किस तरह निकाला जा सकता है इस बारे में वे निर्देश प्राप्त करें। इसके साथ ही उसने मामले पर सुनवाई की अगली तारीख तीन सितंबर तय की। अदालत ने कहा, ‘‘लोगों को परेशानी हो रही है, चिंता की केवल यही बात नहीं है बल्कि हमें इस बात की चिंता अधिक है कि यह कोविड-19 फैलने का कारक न बन जाए। शहर दूसरी लहर से बमुश्किल उबरा है। आपको सुनिश्चित करना होगा कि प्रदर्शनकारी कोविड नियमों का पालन करें। पहले उनसे मास्क पहनने और फिर प्रदर्शन करने को कहें।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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