लखनऊ का ऐशबाग ईदगाह बना वैक्सीनेशन सेंटर, जनपदीय नोडल अधिकारी ने लिया जायजा

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सभी गौ आश्रय स्थलों पर भूसा/पानी/छाया गर्मी से बचाव के सभी उपाय किए गये है। गोवंश आश्रय स्थलों के संचालन में सभी विभागों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है। जिला प्रशासन के सहयोग से जनपद बाराबंकी के सभी गौ आश्रय स्थलों का संचालन सुचारू रूप से किया जा रहा है।

नोडल अधिकारी कोविड-19 लखनऊ डॉ रोशन जैकब द्वारा बताया गया कि इस्लामिक सेंटर  ऑफ इंडिया फरंगी महल ईदगाह ऐशबाग लखनऊ में कोविड वैक्सीनेशन सेंटर बनाया गया है। जिसका जायजा लेने के उद्देश्य आज जनपदीय नोडल अधिकारी ईदगाह पहुँची। ईदगाह पहुँच कर नोडल अधिकारी द्वारा वैक्सीनेशन के लिए की गई सभी व्यवस्थाओ का जायजा लिया गया। मौके पर वैक्सीनेशन कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन कराते हुए सुचारू रूप से होता पाया गया। उक्त वैक्सीनेशन सेंटर में 18 से 44 वर्ष के लोगो का और 45 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों का वैक्सीनेशन अलग अलग कमरों में होता पाया गया। नोडल अधिकारी द्वारा बताया गया कि इस्लामिक सेंटर द्वारा एक बहुत अच्छी पहल की गई है, इससे लोगो को वैक्सीनेशन कराने में सुविधा होगी।

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इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली चेयरमैन इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया  ने बताया की लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए की कोविड जैसी महामारी से बचाव के लिए एहतियात के साथ साथ सबसे बेहतर और कारगर उपाए वैक्सीनेशन ही है, लखनऊ की आबादी काफी है और विशेष कर पुराने  लखनऊ में बड़ी आबादी है और ईदगाह एक बड़ा मैदान है इसलिए यहाँ दो सेंटर बनाये गये हैं एक सेंटर में 18 वर्ष से 44 वर्ष के लोगों के लिए और एक सेंटर 45 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले लोगों के लिए है, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग भी बाकी रहे और इन्फेक्शन का भी खतरा काम हो,मौलाना फरंगी महली ने बताया की 18 वर्ष वालों का ऑनलाइन ही रजिस्ट्रेशन हो रहा है और बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं उनकी सहूलत के लिए इस्लामिक सेंटर की तरफ से हेल्प डेस्क स्थापित की गयी है। इस अवसर पर किंशुक श्रीवास्तव एसीएम-2, डाॅक्टर अंकुश चैरसिया मुख्य चिकित्सा अधिकारी, ऐशबाग, डाक्टर गीतांजलि सहप्रभारी  कोविड सेंटर ऐशबाग उपस्थित थे।

जनपद शामली में गोवंश के भरण-पोषण हेतु जनपद में भूसे का व्यापक प्रबन्धन

जनपद बाराबंकी में निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश को संरक्षित किए जाने के उद्देश्य से 38 गो-आश्रय स्थलों की स्थापना एवं संचालन का कार्य किया जा रहा है जिनमें 37 ग्रामीण क्षेत्र में तथा 01 शहरी क्षेत्र में है। उक्त 38 गो-आश्रय स्थलों में अद्यतन 8819 गोवंश को सरक्षित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त मा0 मुख्यमंत्री जी की सहभागिता योजना अन्तर्गत 1928 गोवंश को पशुपालकों को सुपुर्दगी में दिया गया है। संरक्षित गोवंश को समुचित सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनके भरण-पोषण हेतु स्थानीय स्तर पर भूसा की व्यवस्था ससमय करना एक प्राथमिकता है ताकि गोवंश को समय पर भोजन उपलब्ध हो सके तथा उनके स्वास्थ्य पर प्रतीकूल प्रभाव न पड़ें। शासन द्वारा समय समय पर दिए गये महत्वपूर्ण निर्देशों के क्रम में जनपद में गेहूॅ की कटाई के समय यूद्ध स्तर पर 38 भूसा बैंक की स्थापना की गयी है। भूसा बैंक की स्थापना के समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि आगामी वर्षा ऋतु के समय पानी से भूसा किसी भी दशा में खराब न हो। इसके साथ ही साथ प्रत्येक गोआश्रय स्थल पर प्रतिदिन की भूसे की आवश्यकता के अनुसार निर्गत करने एवं उसके अभीलेखीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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पशुधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद में स्थापित 38 भूसा बैंक में कुल 1529 कुन्तल भूसे का भण्डारण है। भूसा क्रय एवं भण्डारण का कार्य क्रमित है ताकि वर्षा ऋतु से पूर्ण अधिक से अधिक भूसा भण्डारण किया जा सके। जनपद में गोवंश के भरण-पोषण हेतु पर्याप्त मात्रा में भूसे की उपलब्धता है तथा स्थानीय स्तर पर हरे चारे की उपलब्धता हेतु भी कार्य किए गये है। जनपद में गोवंश के संरक्षण हेतु किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं है। यह भी अवगत कराना है कि पशुपालन विभाग के समस्त पशुचिकित्साविद् निरन्तर गोवंश की चिकित्सा व्यवस्था हेतु तत्पर है। सभी गौ आश्रय स्थलों पर भूसा/पानी/छाया गर्मी से बचाव के सभी उपाय किए गये है। गोवंश आश्रय स्थलों के संचालन में सभी विभागों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है। जिला प्रशासन के सहयोग से जनपद बाराबंकी के सभी गौ आश्रय स्थलों का संचालन सुचारू रूप से किया जा रहा है।

जनपद बाराबंकी में गोवंश के भरण-पोषण हेतु जनपद में भूसे का व्यापक प्रबन्धन

जनपद बाराबंकी में निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश को संरक्षित किए जाने के उद्देश्य से 38 गो-आश्रय स्थलों की स्थापना एवं संचालन का कार्य किया जा रहा है जिनमें 37 ग्रामीण क्षेत्र में तथा 01 शहरी क्षेत्र में है। उक्त 38 गो-आश्रय स्थलों में अद्यतन 8819 गोवंश को सरक्षित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त मा0 मुख्यमंत्री जी की सहभागिता योजना अन्तर्गत 1928 गोवंश को पशुपालकों को सुपुर्दगी में दिया गया है। संरक्षित गोवंश को समुचित सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनके भरण-पोषण हेतु स्थानीय स्तर पर भूसा की व्यवस्था ससमय करना एक प्राथमिकता है ताकि गोवंश को समय पर भोजन उपलब्ध हो सके तथा उनके स्वास्थ्य पर प्रतीकूल प्रभाव न पड़ें। शासन द्वारा समय समय पर दिए गये महत्वपूर्ण निर्देशों के क्रम में जनपद में गेहूॅ की कटाई के समय यूद्ध स्तर पर 38 भूसा बैंक की स्थापना की गयी है। भूसा बैंक की स्थापना के समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि आगामी वर्षा ऋतु के समय पानी से भूसा किसी भी दशा में खराब न हो। इसके साथ ही साथ प्रत्येक गोआश्रय स्थल पर प्रतिदिन की भूसे की आवश्यकता के अनुसार निर्गत करने एवं उसके अभीलेखीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

पशुधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद में स्थापित 38 भूसा बैंक में कुल 1529 कुन्तल भूसे का भण्डारण है। भूसा क्रय एवं भण्डारण का कार्य क्रमित है ताकि वर्षा ऋतु से पूर्ण अधिक से अधिक भूसा भण्डारण किया जा सके। जनपद में गोवंश के भरण-पोषण हेतु पर्याप्त मात्रा में भूसे की उपलब्धता है तथा स्थानीय स्तर पर हरे चारे की उपलब्धता हेतु भी कार्य किए गये है। जनपद में गोवंश के संरक्षण हेतु किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं है। यह भी अवगत कराना है कि पशुपालन विभाग के समस्त पशुचिकित्साविद् निरन्तर गोवंश की चिकित्सा व्यवस्था हेतु तत्पर है। सभी गौ आश्रय स्थलों पर भूसा/पानी/छाया गर्मी से बचाव के सभी उपाय किए गये है। गोवंश आश्रय स्थलों के संचालन में सभी विभागों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है। जिला प्रशासन के सहयोग से जनपद बाराबंकी के सभी गौ आश्रय स्थलों का संचालन सुचारू रूप से किया जा रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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