लोजपा में जारी घमासान के बीच PM मोदी के करीबी नेता से मिले चिराग, निकाले जा रहे कई मायने

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अंकित सिंह । Jun 29 2021 4:31PM

चिराग ने कहा कि उनके पिता रामविलास पासवान और वह हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे, लेकिन जब इन कठिन समय के दौरान उनके हस्तक्षेप की उम्मीद थी, तो भगवा दल साथ नहीं था।

लोक जनशक्ति पार्टी में जारी उठापटक के बीच चिराग पासवान अचानक गुजरात दौरे पर निकल गए। सोमवार को अचानक वह गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे। सवाल पूछे जाने पर उन्होंने इसे निजी दौरा करार दिया। इस दौरे के दौरान वह मीडिया के कैमरे से बचते नजर आए। साथ ही साथ किसी सवाल का सीधा जवाब देना सही नहीं समझ रहे थे। यह भी कहा जा रहा है कि चिराग पासवान का यह दौरा राजनीतिक रूप से बेहद ही अहम था। अपने इस दौरे के दौरान वह भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से मुलाकात करने अहमदाबाद पहुंचे थे। जब चिराग से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने सीधे तौर पर इसे निजी दौरा करार दिया। अहमदाबाद एयरपोर्ट से चिराग पासवान सीधे प्रधानमंत्री मोदी के करीबी नेता के ऑफिस एमजी हाईवे पहुंचे।

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चिराग पासवान के अहमदाबाद दौरे को लेकर आप तरह-तरह के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंधों को सुधार के लिए शायद चिराग का यह दौरा हुआ होगा। भले ही तेजस्वी यादव को चिराग ने इशारों-इशारों में अपना छोटा भाई बताया हो लेकिन कहीं ना कहीं भाजपा से उनकी नजदीकी जगजाहिर है। संकट के समय वह भाजपा से हर मुमकिन मदद चाहते हैं। यही कारण है कि उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री के बेहद करीबी नेता से हुई है। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना राम और खुद को हनुमान बताने वाले चिराग आजकल उनसे खफा खफा से रहते हैं। उन्होंने यह तक कह दिया था कि जब हनुमान को राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर हनुमान कैसा और राम कैसा। 

भाजपा की चुप्पी से आहत, उनसे रिश्ते एकतरफा नहीं रह सकते: चिराग पासवान

चिराग पासवान ने कहा कि भाजपा के साथ उनके संबंध एकतरफा नहीं रह सकते हैं और यदि उन्हें घेरने का प्रयास जारी रहा तो वह अपने भविष्य के राजनीतिक कदमों को लेकर सभी संभावनाओं पर विचार करेंगे। चिराग ने कहा कि उनके पिता रामविलास पासवान और वह हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे, लेकिन जब इन कठिन समय के दौरान उनके हस्तक्षेप की उम्मीद थी, तो भगवा दल साथ नहीं था। चिराग ने रेखांकित किया कि उनका मोदी में विश्वास कायम है। उन्होंने कहा, लेकिन अगर आपको घेरा जाता है, धकेला जाता है और कोई फैसला लेने के लिए मजबूर किया जाता है, तो पार्टी सभी संभावनाओं पर विचार करेगी ... लोजपा को अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में इस आधार पर निर्णय लेना होगा कि कौन उसके साथ खड़ा था और कौन नहीं। यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा संकट के दौरान भाजपा ने उनसे संपर्क किया था, उन्होंने कहा कि भगवा दल का चुप रहना उचित नहीं था, जबकि जद (यू) लोजपा में विभाजन के लिए ‘काम कर रही थी।’ चिराग ने कहा, मुझे उम्मीद थी कि वे (भाजपा) मध्यस्थता करेंगे और चीजों को सुलझाने का प्रयास करेंगे। उनकी चुप्पी निश्चित रूप से आहत करती है। भाजपा ने कहा है कि लोजपा का संकट क्षेत्रीय पार्टी का आंतरिक मामला है। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने राजग के एक अन्य घटक जद (यू) को निशाना बनाया लेकिन भाजपा पर चुप्पी क्यों साधी, चिराग ने कहा कि भाजपा ने उनके बारे में चुप्पी साध रखी है।

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