अंग्रेजों को धूल चटाने वाले 'वीर' को अमित शाह देंगे श्रद्धांजलि, बिहार तोड़ेगा पाकिस्तान का वर्ल्ड रिकॉर्ड, एक साथ लहराएगा 75 हजार तिरंगा

Amit Shah
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अभिनय आकाश । Apr 23 2022 12:40PM

गृह मंत्री अमित शाह आज से बिहार के एक दिवसीय दौरे पर हैं। शाह ‘‘अमृत महोत्सव’’ के तहत भोजपुर जिले के जगदीशपुर में 1857 के वीर कुंवर सिंह के विद्रोह की स्मृति में आयोजित एक समारोह में शामिल होंगे।

पूरा बिहार आज विजयोत्सव मना रहा है। भोजपुर में बाबू वीर कुंवर सिंह के विजय उत्सव की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। भोजपुर का बिलौर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले बाबू वीर कुंवर सिंह के विजय उत्सव पर राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में से रंगीन रहेगा। मगध और भोजपुर के लाखों लोग इस उत्सव का गवाह बनेंगे। जब एक साथ 75 हजार से ज्यादा तिरंगे लहराए जाएंगे तो अदभुत नजारा दिखेगा। गृह मंत्री अमित शाह आज से बिहार के एक दिवसीय दौरे पर हैं। शाह ‘‘अमृत महोत्सव’’ के तहत भोजपुर जिले के जगदीशपुर में 1857 के वीर कुंवर सिंह के विद्रोह की स्मृति में आयोजित एक समारोह में शामिल होंगे। इसके बाद अमित शाह सासाराम में गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे। गृह मंत्री अमित शाह इस दौरान सासाराम मेडिकल और मैनेजमेंट के छात्रों समेत विभिन्न पाठ्यक्रमों में 700 से अधिक छात्रों को डिग्री देंगे।

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बनेगा एक अनूठा रिकॉर्ड 

केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, ‘‘हम ध्वजवाहकों की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगा सकते, लेकिन यह 75,000 से कम नहीं होगा। अधिक लोगों का शामिल होना प्रसन्नता की बात होगी। उपस्थित लोगों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है। राय पूर्व में भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल समारोह के सफल आयोजन के लिए भोजपुर में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘पाकिस्तान का रिकॉर्ड लगभग 56,000 झंडों का है, जिसे 2004 में स्थापित किया गया था। इस दिन गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम भी उपस्थित रहेगी।

कौन थे वीर कुंवर सिंह

1857 के क्रांतिकारियों में से एक बाबू वीर कुंवर सिंह बिहार के उज्जैनिया परमार क्षत्रिय और मालवा के प्रसिद्ध राजा भोज के वंशज हैं। इसी वंश में महान चक्रवर्ती सम्राट महाराज विक्रमादित्य भी हुए थे। जगदीशपुर के 70 वर्षीय राजा वीर कुंवर सिंह एक दुर्लभ हिंदू शासक के उदाहरण के रूप में सामने आए थे, जो जाति आधारित भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे और निचली जातियों के लोगों को अपने निजी अंगरक्षकों के रूप में रखते थे। उन्होंने 80 साल की उम्र में अंग्रेजों से लोहा लिया था और हाथ में गोली लगने के बाद अपना हाथ काट लिया था। 

 

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