पीके, कांग्रेस और 600 स्लाइड्स का प्रेजेंटेशन, 2024 में बीजेपी को हराने के लिए क्या प्लान बनाया गया है?

PK 600 slides Presentation
social media screenshot
अभिनय आकाश । Apr 22 2022 7:00PM

प्रशांत किशोर देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए 600 स्लाइड्स का एक प्रजेंटेंशन लेकर सामने हैं। जिसमें नए कांग्रेस के स्वरूप से लेकर चुनावों में जीत दिलाने की रणनीति शामिल है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पार्टी एक्शन में आ गई है। ताबड़तोड़ बैठके हो रही हैं। कभी पीएम मोदी के सलाहकार रहे पीके की भी सलाह ली जा रही है। सोनिया गांधी के साथ प्रशांत किशोर की कई बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन अब प्रशांत किशोर देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए 600 स्लाइड्स का एक प्रजेंटेंशन लेकर सामने हैं। जिसमें नए कांग्रेस के स्वरूप से लेकर चुनावों में जीत दिलाने की रणनीति शामिल है। प्रजेंटेशन को लेकर जो बात सामने आ रही है, उसमें प्रशांत किशोर का गठबंधन पर काफी जोर दिखायी दे रहा है। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने को लेकर सोनिया गांधी की हरी झंडी मिल गई है। अब कांग्रेस और यूपीए गठबंधन में शामिल अन्य पार्टी के बड़े नेताओं के साथ पीके की बैठक होगी और इसके बाद औपचारिक एलान हो जाएगा।

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प्रशांत किशोर ने पिछले पिछले एक दशक में, उन्होंने जिसके साथ भी काम किया है, उन्हें चुनावी सफलता का स्वाद चखाया है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस-समाजवादी पार्टी की 2017 की विफलता को एक अपवाद के रूप में माना जाता सकता है। ऐसे में आइए पीके की उस योजना को जानते हैं जिसके जरिए कांग्रेस को संजीवनी मिलने की उम्मीद की जा रही है।  

कांग्रेस को अपने नेतृत्व संकट को दूर करने की जरूरत है। एक गैर-गांधी पार्टी अध्यक्ष और सोनिया गांधी, राहुल गांधी, और प्रियंका गांधी वाड्रा क्रमशः यूपीए अध्यक्ष, संसदीय बोर्ड प्रमुख और महासचिव के रूप में रहे।

 

गठबंधन के मुद्दों को हल करने की जरूरत है। 200 सांसदों को लोकसभा में भेजने वाले ईस्ट-साउथ बेल्ट और बीजेपी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर पर ध्यान दें।

पार्टी को अपने पिछले आदर्शों पर लौटना चाहिए, एक लोकतांत्रिक संगठन के रूप में काम करना शुरू करना चाहिए और हकदारी और चाटुकारिता की भावना को नष्ट करना चाहिए।

कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को जमीनी स्तर पर लामबंद करना होगा।

पार्टी को अपनी संचार प्रणाली में सुधार करने की जरूरत है। कांग्रेस को पीएम मोदी के "असली चरित्र और विफलताओं" का पर्दाफाश करना चाहिए और "हानिकारक मोदी" और "मोदी जाने वाले हैं" जैसे नारों का उपयोग करना चाहिए।

कुछ स्लाइड में ये बताया गया है कि किन-किन राज्यों में पार्टी के संगठनात्मक ढांचें में बदलाव करने की जरूरत है?15,000 जमीनी स्तर के नेताओं को पहचानें और उन्हें शामिल किया जाए। इसके अलावा एक करोड़ से ज्यादा कार्यकर्ता तैयार किए जाएं।  

200 से अधिक समान विचारधारा वाले इंफ्लूएंसर, कार्यकर्ताओं और सिविल सोसाइटी के सदस्यों का एक संघ बनाया जाए। 

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अब जरा इस पर विस्तार से आते हैं

पीके पार्टी में भाई भतीजावाद खत्म करने की बात कहते हैं और फिर वहीं तीन गांधी परिवार के सदस्यों को तीन अलग-अलग महत्वपूर्ण पदों पर बिठाने की बात कते हैं। ऐसे में भले ही कांग्रेस अध्यक्ष गैर-गांधी हों, पार्टी भाई-भतीजावाद और चाटुकारिता की भावना को कैसे नष्ट करेगी?  अगर हम भाजपा की प्रचार शैली को देखें, तो कुछ मजबूत मुद्दे सामने आते हैं। पार्टी कांग्रेस पर भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और वंशवादी राजनीति के आरोपों के अलावा 1962 के चीन के साथ युद्ध और राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने जैसी ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर आक्रमक तरीके से निशाना साधती है। जवाहरलाल नेहरू को "देश की कई समस्याओं" के लिए जिम्मेदार ठहराने से लेकर राहुल गांधी को उनके विजन और राजनीतिक गंभीरता की कमी" के लिए ताना मारने तक। विडंबना यह है कि कांग्रेस भी गांधी परिवार का ही नेतृत्व चाहती है। प्रशांत किशोर के ब्लूप्रिंट की रिपोर्टें इस धारणा को भी रेखांकित करती हैं कि ममता बनर्जी, के चंद्रशेखर राव, वाईएस जगन मोहन रेड्डी, नवीन पटनायक और अरविंद केजरीवाल (जिन नेताओं के साथ चुनावी रणनीतिकार ने अतीत में सफलतापूर्वक काम किया है) कांग्रेस के साथ बीजेपी से लड़ने के हाथ मिलाएंगे। लेकिन इसमें अखिलेश यादव, मायावती, असदुद्दीन ओवैसी और माकपा को छोड़ दिया गया है। किसी भी सूरत-ए-हाल में भारतीय आम चुनाव अंकगणित की भांति इतना सरल भी नहीं है। महागठंबधन का प्रयोग पहले भी असफल हो चुका है। रिपोर्टों में कहा गया है कि पीके ने कुछ वोटिंग ब्लॉकों को भी रेखांकित किया है जिन्हें लक्षित करने की आवश्यकता है क्योंकि 2024 जीतने के लिए डाले गए वोटों का 45 प्रतिशत या 30 करोड़ वोटों की आवश्यकता है। यहीं पर कांग्रेस के लिए मुख्य चुनौतियों में से एक हो सकता है। हाल के दिनों में, कांग्रेस ने केंद्र और राज्यों दोनों में, अपमानजनक हार के बाद करोड़ों मतदाताओं को भक्त जैसे सामूहिक भावों का उपयोग बदनाम किया है जो करके भाजपा का समर्थन करते हैं। ये वही लोग हैं जिन्हें कांग्रेस के चुनावी भाग्य को बदलने के लिए जीतने की जरूरत है।


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