नतीजे आने के बाद TMC ने कांग्रेस को दी नसीहत, कहा- नजरिया बदलना पड़ेगा, भाजपा को हराना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य

Derek O Brien

कूचबिहार की दिनहाटा विधानसभा सीट पर तृणमूल के उदयन गुहा ने 1,14,086 मत हासिल किए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के पलाश राणा को महज 20,254 मत मिले। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने इशारो-इशारो में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को संदेश भी दे दिया। राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि अब नजरिया बदलने की जरूरत है।

कोलकाता। पश्चिम बंगाल उपचुनाव की चारों सीटों पर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। इतना नहीं दो सीटें तो ऐसी रही जिनमें रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की है। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने इशारो-इशारो में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को संदेश भी दे दिया। राज्यसभा सांसद और तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि अब नजरिया बदलने की जरूरत है। 

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हिन्दी न्यूज चैनल 'एनडीटीवी इंडिया' के साथ बातचीत में तृणमूल नेता ने कहा कि अब नजरिया बदलना होगा। विपक्ष में हम सभी लोग बराबर के हकदार हैं। हमें कम आंकने की जगह इस पर एकजुट होकर काम करते हैं। आपस में लड़ने की जरूरत नहीं है। हमारा एकमात्र लक्ष्य भाजपा को हराना है। वहीं, डेरेक ओ ब्रायन ने एक ट्वीट में कहा कि 4 में से भाजपा के 3 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई।

आपको बता दें कि कूचबिहार की दिनहाटा विधानसभा सीट पर तृणमूल के उदयन गुहा ने 1,14,086 मत हासिल किए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के पलाश राणा को महज 20,254 मत मिले। दिनहाटा से इस साल हुए विधानसभा चुनावों में केंद्रीय मंत्री नीतीश प्रामाणिक ने महज 57 मतों से जीत दर्ज की थी लेकिन उन्होंने अपनी कूचबिहार लोकसभा सीट पर बने रहने के लिए यहां से इस्तीफा दे दिया था

खारडाह विधानसभा सीट पर राज्य के मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने भाजपा उम्मीदवार जॉय साहा को 93,832 मतों से हरा दिया। तृणमूल के मौजूदा विधायक के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। 

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नेतृत्व को लेकर खींचतान जारी

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेगासस जासूसी मामला, किसान समेत कई मुद्दों पर कांग्रेस, तृणमूल समेत तमाम पार्टियां एकजुट दिखाई दीं लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने संसद से इतर आगे की रणनीति बनाने के लिए चाय पार्टी का जब आयोजन किया तो तृणमूल के मुख्य चेहरे नदारद रहे। दरअसल, कांग्रेस राहुल गांधी को विपक्ष के चेहरे के तौर पर पेश करना चाहती है लेकिन तृणमूल ने तो अपनी नेता को ही विपक्ष का चेहरा मान लिया है। तभी तो सांसद नहीं होने के बावजूद तृणमूल ने उन्हें संसदीय दल का नेता चुना हुआ है।

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