हैदराबाद में स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी पर मांस बिक्री पर लगा बैन, ओवैसी बोले- हम क्या खाते हैं ये हमारी आजादी है

जीएचएमसी आयुक्त आरवी कर्णन ने जीएचएमसी अधिनियम, 1955 की धारा 533(बी) के तहत जारी किया और हैदराबाद, साइबराबाद और राचकोंडा के पुलिस आयुक्तों को प्रवर्तन सहयोग के लिए सूचित किया।
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी के अवसर पर 15 और 16 अगस्त को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी पशु वधशालाओं और खुदरा गोमांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। यह निर्देश जीएचएमसी आयुक्त आरवी कर्णन ने जीएचएमसी अधिनियम, 1955 की धारा 533(बी) के तहत जारी किया और हैदराबाद, साइबराबाद और राचकोंडा के पुलिस आयुक्तों को प्रवर्तन सहयोग के लिए सूचित किया।
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कानूनी और राजनीतिक विवाद
तेलंगाना उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में तर्क दिया गया है कि जीएचएमसी अधिनियम की धारा 533(बी) आयुक्त को बिना किसी विशिष्ट कारण बताए पूरी तरह से व्यावसायिक बंदी लागू करने का स्पष्ट अधिकार नहीं देती है। न्यायालय ने जीएचएमसी को अपने आदेश का कानूनी आधार स्पष्ट करने का निर्देश दिया है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) तथा व्यापार एवं आजीविका के अधिकार के संभावित उल्लंघनों का उल्लेख किया गया है। इस मामले की आगे की सुनवाई 13 अगस्त (बुधवार) को न्यायालय में होगी।
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राजनीतिक आलोचना
इस निर्देश की हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित कई राजनीतिक नेताओं ने आलोचना की है। ओवैसी ने इस आदेश को "कठोर और असंवैधानिक" बताते हुए तर्क दिया है कि यह एक बहुलवादी समाज में व्यक्तिगत अधिकारों, आहार संबंधी स्वतंत्रता और आजीविका को अनुचित रूप से प्रतिबंधित करता है। जीएचएमसी ने नगरपालिका और पुलिस अधिकारियों को निर्दिष्ट तिथियों पर बंद का पालन सुनिश्चित करने का काम सौंपा है। भारत में सार्वजनिक छुट्टियों और त्योहारों के आसपास मांस की बिक्री पर इसी तरह के प्रतिबंधों के पहले भी उदाहरण मौजूद हैं, लेकिन हैदराबाद में 2025 का आदेश अपने कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक निहितार्थों के कारण गहन जाँच के दायरे में है। हालाँकि जीएचएमसी का 15 और 16 अगस्त के लिए बंद का आदेश त्योहारों की परंपराओं का पालन करने का प्रयास करता है, लेकिन वर्तमान में इसकी वैधता और सामाजिक प्रभाव को लेकर कानूनी चुनौती और राजनीतिक बहस चल रही है।
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