दया प्रकाश सिन्हा को मेरे प्राथमिकी के आलोक में गिरफ्तार करे बिहार सरकार: संजय जायसवाल

Sanjay Jaiswal

सिन्हा को सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित उनके नाटक के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया है। सम्राट अशोक ने कलिंग के खिलाफ जीत के बाद अहिंसा का रास्ता अपना लिया था। सिन्हा ने हाल में एक साक्षात्कार में अशोक के बारे में कुछ टिप्पणी की थी।

पटना। बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सोमवार को कहा कि सम्राट अशोक के खिलाफ टिप्पणी मामले में राज्य सरकार दया प्रकाश सिन्हा को उनके द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी के आलोक में गिरफ्तार करे और त्वरित सुनवायी अदालत से तुरंत सजा दिलवाये। जायसवाल ने सोमवार को अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए कहा, ‘‘सबसे पहले बिहार सरकार दया प्रकाश सिन्हा जी को मेरी प्राथमिकी के आलोक में गिरफ्तार करे और त्वरित सुनवायी अदालत से तुरंत सजा दिलवाये। उसके बाद बिहार सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास जाकर हम सब की बात रखे कि एक सजायाफ्ता का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए।’’ उल्लेखनीय है कि सिन्हा को सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित उनके नाटक के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया है। सम्राट अशोक ने कलिंग के खिलाफ जीत के बाद अहिंसा का रास्ता अपना लिया था। सिन्हा ने हाल में एक साक्षात्कार में अशोक के बारे में कुछ टिप्पणी की थी। उन्होंने अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करते हुए यह भी आरोप लगाया था कि अशोक ने अपने जीवन की शुरुआत में कई पाप किए और बाद में धर्मपरायणता के एक लबादे के पीछे उन्हें छिपाने की कोशिश की। 

इसे भी पढ़ें: बीजेपी-जेडीयू क्या अलग होने का बहाना खोज रहे हैं? सम्राट अशोक के बाद अब शराबबंदी पर संग्राम

जदयू के समर्थन आधार में कोईरी और कुर्मी समाज शामिल हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अख्तियार किया है। मौर्य वंश की स्थापना सम्राट अशोक के दादा चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी। जायसवाल ने 13 जनवरी को पटना के कोतवाली थाने में उक्त मामले में एक प्राथमिकी दर्ज कराकर जदयू के प्रहार को कथित तौर पर कुंद करने की कोशिश की थी। साथ ही इस दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन और पार्टी संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का भी नाम लिए बिना सोमवार को कहा, ‘‘एक बिहार में एवं दूसरे केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। फिर इस तरह की बात कहना बेतुका है कि राष्ट्रपति जी द्वारा दिए गए पुरस्कार को प्रधानमंत्री वापस लें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दया प्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं क्योंकि आपके लिए यह मुद्दा बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है।’’ जायसवाल ने धर्मनिरपेक्षता की पक्षधर रही जदयू के इन नेताओं से कहा, ‘‘हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते। लेकिन हम यह भी चाहते हैं कि बख्तियार खिलजी से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचारों की सही गाथा आने वाली पीढ़ियों को बताई जाए।’’ उन्होंने केंद्र में पूर्व में सत्तासीन रही कांग्रेस का नाम लिए बिना उसकी ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘74 वर्ष में एक घटना नहीं हुई जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो।’’ 

इसे भी पढ़ें: बिहार में कोविड-19 के 5410नए मामले सामने आये, 9 और मरीजों की मौत

जायसवाल ने केंद्र की वर्तमान सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘ चाहे वह हरिद्वार में घटित धर्म संसद हो या सैकड़ों घृणा भाषण, सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से नहीं हिचकती।’’ उन्होंने जदयू नेताओं की बयानबाजी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘चलिए माननीय जी को यह समझ आ गया कि राजग गठबंधन का निर्णय केंद्र द्वारा है और बिल्कुल मजबूत है इसलिए हम सभी को साथ चलना है। फिर बार-बार महोदय मुझे और केंद्रीय नेतृत्व को टैग कर न जाने क्यों प्रश्न करते हैं।’’ जायसवाल ने कहा, ‘‘राजग गठबंधन को मजबूत रखने के लिए हम सभी को मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए। यह एकतरफा अब नहीं चलेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर ट्विटर ना खेलें। प्रधानमंत्री जी प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी। उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो जैसा माननीय ने लिखा है कि बिल्कुल सीधी बातचीत होनी चाहिए। ट्विटर-ट्विटर खेलकर अगर उनपर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे। आप सब बड़े नेता हैं।’’ जायसवाल ने कहा, ‘‘बिहार सरकार अच्छे वातावरण में शांति से चले यह सिर्फ हमारी जिम्मेवारी नहीं बल्कि आप की भी है। अगर कोई समस्या है तो हम सब मिल बैठकर उसका समाधान निकालें। हमारे केंद्रीय नेताओं से कुछ चाहते हैं तो उनसे भी सीधे बात होनी चाहिए।’’ बिहार में पूर्व में सत्तारूढ़ रही लालू प्रसाद की पार्टी राजद का नाम लिए बिना उसपर निशाना साधते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम हरगिज नहीं चाहते हैं कि पुनः मुख्यमंत्री आवास 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाए।’’ जायसवाल के पोस्ट के आलोक में उन्हें लिखे एक पत्र में कुशवाहा ने कहा, ‘‘गठबंधन के सन्दर्भ में दिए गए आपके वक्तव्य से मैं पूरी तरह सहमत हूँ। गठबंधन ठीक तरह से चले, यह राज्यहित में आवश्यक है और इसे जारी रखना हमारा. आपका कर्तव्य है परन्तु सम्राट अशोक वाले मुद्दे पर हम आपकी राय से सहमत नहीं हो सकते क्योंकि इस सन्दर्भ में आपका वक्तव्य पूर्णतः गोल मटोल एवं भ्रटकाव पैदा करने वाला है।’’ 

इसे भी पढ़ें: बिहार में जातीय जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस ने नीतीश का किया समर्थन

कुशवाहा ने अपने ट्विटर हैंडल पर जायसवाल को लिखे अपने पत्र को साझा करते हुए कहा, ‘‘आपने लिखा है कि आपकी पार्टी भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दास्त नहीं कर सकती। मेरा सवाल है कि आप दया प्रकाश सिन्हा के द्वारा घोर व अमर्यादित में समाट अशोक की औरंगजेब से की गई तुलना को इतिहास में छेड़छाड़ मानते हैं या नहीं।’’ कुशवाहा ने जायसवाल से कहा, ‘‘आपने अपने वक्तव्य में कहा है कि राष्ट्रपति दवारा दिए गए पुरस्कार की वापसी की मांग प्रधानमंत्री से करना बेतुका है। मेरा आपसे दूसरा सवाल है कि मांग प्रधानमंत्री से की जाए या राष्ट्रपति से यह तो हम दोनों मिलकर तय कर लेंगे परन्तु पहले आप साफ-साफ यह तो बताइए कि पुरस्कार वापसी की हमारी मांग का आप समर्थन करते हैं या नहीं।’’ उन्होंने जायसवाल से कहा, ‘‘आपने अपने वक्‍तव्य में यह लिखा है कि बिहार की सरकार आपके आवेदन पर कार्रवाई करते हुए दया प्रकाश सिन्हा को सजायाफ्ता बनाये, फिर पदमश्री पुरस्कार वापस लेने की मांग को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति जी से मिले। आपका यह वक्‍तव्य भी पूर्णतः भटकाव पैदा करने वाला है क्योंकि अपने वक्तव्य में आपने स्वयं इस बात का उल्लेख किया है कि पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप लगने के बावजूद राष्ट्रपति ने उनका पद्म पुरस्कार वापस नहीं लिया फिर भी आपका यह कहना कि दया प्रकाश सिन्हा को सजायाफ्ता हो जाने के बाद पुरस्कार वापसी की मांग की जाए, हास्यपद नहीं तो और क्या है।’’ कुशवाहा ने जायसवाल से कहा, ‘‘आपके वक्तव्य से स्पष्ट है कि पुरस्कार वापसी में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है। सम्राट अशोक के प्रति अपमानजनक रूप से इतिहास को नए सिरे से परिभाषित करने के कुत्स्ति प्रयास का विरोध का इतिश्री बिहार पुलिस में एक आवेदन देकर कर लेना आपके लिए तो संभव है मगर हमारा विरोध तबतक जारी रहेगा जबतक दया प्रकाश सिन्हा का पुरस्कार वापिस नहीं हो जाता, चाहे राष्ट्रपति जी करें या प्रधानमंत्री जी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़