सबरीमाला और अयोध्या मामले में BJP कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रही है: वाम दल

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[email protected] । Oct 29 2018 3:56PM

राजा ने कहा ‘‘ऐसे बयानों के पीछे भाजपा की मंशा महज राजनीतिक हित साधने की है। भाजपा नेताओं को भी यह मालूम है कि मंदिर निर्माण के लिये अध्यादेश लाना संभव नहीं है।’’

नयी दिल्ली। वामदलों ने अयोध्या मामला अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद भाजपा नेताओं द्वारा राम मंदिर निर्माण के बारे में दिये जा रहे बयानों को अदालत की अवमानना बताते हुये सत्तापक्ष से कहा है कि उन्हें इस तरह के संवेदनशील मामलों में सिर्फ राजनैतिक हित साधने से बचते हुये संयमित रवैया अपनाना चाहिये। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सदस्य डी राजा ने सोमवार को कहा कि अध्योध्या मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और भाजपा नेताओं की ओर से मंदिर निर्माण के लिये अध्यादेश लाने जैसे भड़काऊ बयान दिये जा रहे हैं।

राजा ने कहा ‘‘ऐसे बयानों के पीछे भाजपा की मंशा महज राजनीतिक हित साधने की है। भाजपा नेताओं को भी यह मालूम है कि मंदिर निर्माण के लिये अध्यादेश लाना संभव नहीं है।’’ पार्टी महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा ‘‘भाजपा के अध्यादेश राज की भाकपा शुरू से ही विरोधी है। सत्तापक्ष को इस मामले में देश की शांति व्यवस्था भंग करने वाले बयान देने के बजाय अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिये।’’ 

राजा और सुधाकर ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा सबरीमाला मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर की गयी टिप्पणी अदालत की स्पष्ट अवमानना है। राजा ने कहा कि सबरीमाला मामले में शाह ने न सिर्फ अदालत के फैसले पर नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की बल्कि केरल में जनता द्वारा निर्वाचित एलडीएफ सरकार को अपदस्थ तक करने की धमकी दे डाली।

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इसकी घोर निंदा करती है और भड़काऊ बयान दे रहे शाह सहित अन्य भाजपा नेताओं को हिदायद देती है कि उन्हें संभल कर बोलना चाहिये। सुधाकर ने कहा कि भाजपा को जनता समय आने पर सबक सिखायेगी लेकिन इस बीच देश में कानून व्यवस्था एवं आंतरिक सुरक्षा के लिये जिम्मेदार संस्थाओं को भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों पर संज्ञान लेना चाहिये। इस बीच माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने शाह का नाम लिये बिना ट्वीट कर कहा ‘‘सत्ताधारी दल के अध्यक्ष ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का खुले तौर पर मखौल बनाया है। यह भाजपा और आरएसएस की ओर से संविधान और उच्चतम न्यायालय की स्पष्ट अवमानना है।’’ 

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