आया निकाय चुनाव बीजेपी-ओवैसी में सियासी तनाव, हैदराबाद में रोहिंग्या, शेरवानी और बिरयानी

तेलंगाना में होने वाले नगर निगम चुनाव को लेकर बीजेपी की टीआरएस और ओवैसी से ठन गई है। बीजेपी की दमदार मौजूदगी ने के चंद्रशेखर राव और असदुद्दीन ओवैसी की नींद उड़ा दी है। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी का सबसे बड़ा और कड़ा मुकाबला तेलंगाना के नगर निगम चुनावों में होने वाला है। युवा सांसद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी रोहिंग्या मुसलमानों को हैदराबाद में संरक्षण देने का मुद्दा उठाया और कहा कि एआईएमआईएम को दिया गया हर वोट भारत के खिलाफ होगा। तेजस्वी सूर्या ने कहा कि ये हास्यास्पद है कि अकबरुद्दीन और असदुद्दीन ओवैसी विकास की बात कर रहे हैं। उन्होंने पुराने हैदराबाद में विकास की अनुमति नहीं दी और पुराने हैदराबाद में रोहिंग्या मुसलमानों के प्रवेश को अनुमति दी। ओवैसी को दिया हर वोट भारत के खिलाफ और भारत से जुड़े हर फैसले के खिलाफ है। तना ही नहीं तेजस्वी सूर्या ने ओवैसी को मोहम्मद अली जिन्ना का अवतार बताया। ये बयान तेजस्वी सूर्या ने हैदराबाद में प्रचार के दौरान दिया है।
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सूर्या के निशाने पर केसीआर
बीजेपी के युवा सांसद तेजस्वी सूर्या के निशाने पर तेलंगाना के सीएम केसीआर भी रहे। सूर्या ने कहा कि केसीआर हैदराबाद को इस्तांबुल बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति भारत के खिलाफ बोलते हैं और केसीआर हैदराबाद को ही इस्तांबुल बनाना चाहते हैं।
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ओवैसी ने किया पलटवार
असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर 30 हजार रोहिंग्या मुसलमान यहां के वोटर हो गए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि अमित शाह सो रहे हैं? यह उनकी जिम्मेदारी है कि 30-40 हजार रोहिंग्या कैसे रजिस्टर्ड हो गए। अगर वाकई बीजेपी ईमानदार है मंगलवार की शाम तक मुझे 1000 नाम बता दे।
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव हुआ रोचक
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव इस बार काफी रोचक हो चुका है। बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अब बीजेपी की नजर दक्षिण के राज्यों में अपनी पैठ बढ़ाने पर है। यहां 1 दिसम्बर को 150 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। जहां एक तरफ बीजेपी अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है तो वहीं टीआरएस अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती है। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने विधानसभा चुनाव में केसीआर की मदद की थी लेकिन इस बार दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। 2015 में हुए चुनावों में 150 सीटों में 80 सीट पर टीआरएस को सफलता मिली थी।
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