हिमाचल में पर्वतारोहण के लिए आये लापता पांच पर्वतारोहियों के शव बरामद

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उल्लेखनीय है कि आठ पर्वतारोहियों समेत 11 लोग लापता हो गए थे। इनमें तीन रसोईये भी शामिल हैं। समुद्रतल से करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लम्खागा दर्रा में इस दल के लापता होने की सूचना उत्तराखंड सरकार ने हिमाचल सरकार को दी थी। जिसके बाद किन्नौर प्रशासन ने राहत एवं बचाव अभियान चलाया।

 शिमला । हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में छितकुल में पर्वतारोहण के दौरान लापता हुए पांच पर्वतारोहियों के शव लमखागा दर्रे से बरामद किये गये हैं। जबकि चार अन्य लापता पर्वतारोहियों की तलाश जारी है। दो को सुरक्षित बचा लिया गया है जिनमें से एक ही हालत गम्भीर है। सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस(आईटीबीपी) और पुलिस ने संयुक्त राहत एवं बचाव अभियान के दौरान ये शव बरामद किए हैं।

किन्नौर के जिलाधीश आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस(आईटीबीपी) और पुलिस ने संयुक्त राहत एवं बचाव अभियान के दौरान ये शव बरामद किए हैं। जिनकी पहचान अभी नहीं हो पाई है।

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बताया जा रहा है कि 11 लोग हिमाचल में पर्वतारोहण के लिये आये थे।  जिनकी पहचान दिल्ली की अनीता रावत (38) पश्चिम बंगाल के मिथुन दारी (31) तन्मय तिवारी (30), विकास मकल (33), सौरभ घोष (34), सावियन दास (28), रिचर्ड मंडल (30), सुकेन मांझी (43) के तौर पर हुई है। जबकि रसोईये देवेंद्र (37), ज्ञान चंद्र (33) और उपेंद्र (32) के रूप में हुई है। ये सभी उत्तरकाशी के पुरोला के रहने वाले हैं।

उन्होंने बताया कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस की एक टीम लमखागा दर्रे के लिए रवाना हुई और वहां से पांच शव बरामद किये। जहां से ये शव बरामद हुये हैं वहां करीब चार फुट बर्फ थी। शव निकालने के लिये सेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई। अब चार अन्य लापता पर्वतारोहियों की तलाश की जा रही है। मृतकों की पहचान की जा रही है।

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उल्लेखनीय है कि आठ पर्वतारोहियों समेत 11 लोग लापता हो गए थे। इनमें तीन रसोईये भी शामिल हैं। समुद्रतल से करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लम्खागा दर्रा में इस दल के लापता होने की सूचना उत्तराखंड सरकार ने हिमाचल सरकार को दी थी। जिसके बाद किन्नौर प्रशासन ने राहत एवं बचाव अभियान चलाया। पश्चिम बंगाल और अन्य स्थानों के आठ पर्वतारोहियों का यह दल मोरी सांकरी की एक ट्रैकिंग एजेंसी के माध्यम से गत 11 अक्तूबर को हर्षिल से रवाना हुआ था। दल ने वन विभाग उत्तरकाशी से 13 से 21 अक्तूबर तक लम्खागा दर्रा तक ट्रैकिंग करने के लिए परमिट भी लिया था लेकिन बीच रास्ते में मौसम खराब होने के कारण यह रास्ता भटक गया।

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उधर लाहौल घाटी के चंद्रताल क्षेत्र में लापता पर्यटकों की खोज में सेना द्वारा चलाए गए हवाई सर्वेक्षण अभियान से यह साफ हुआ है कि चंद्र ताल क्षेत्र में केवल एक वाहन ही मौजूद है।  उपायुक्त लाहौल- स्पीति नीरज कुमार ने सेना के हवाले से जानकारी देते हुए बताया कि सेना के हेलीकॉप्टर ने आज चंद्र ताल क्षेत्र का गहन हवाई सर्वेक्षण किया। हवाई सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया है कि चंद्रताल वाले क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति फंसा हुआ नहीं है। सेना ने  हवाई सर्वेक्षण को लेकर तस्वीरें भी जारी की हैं। तस्वीरों से भी स्पष्ट है कि बातल में पर्यटकों के वाहन मौजूद हैं।

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