मुगालते में हैं मायावती को खारिज करने वाले, चुनावों में डार्क हॉर्स साबित हो सकती है बसपा

Mayawati

वर्तमान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद विपक्षी नेताओं में सबसे अधिक फोकस अखिलेश यादव पर है। तमाम चुनावी सर्वे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को नंबर तीन की पोजिशन दी जा रही हैं।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनावी सक्रियता ने अब जोर पकड़ लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिलों का दौरा कर जनता से सीधे संवाद बना रहे हैं। विपक्षी दलों के नेता भी सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार का मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति पर काम करने लग गए हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद विपक्षी नेताओं में सबसे अधिक फोकस अखिलेश यादव पर है। तमाम चुनावी सर्वे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को नंबर तीन की पोजिशन दी जा रही हैं। कांग्रेस को सबसे कमजोर राष्ट्रीय दल हर चुनावी सर्वे में बताया जा रहा हैं। इन चुनावी आकलन में भले ही बसपा को राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बताया जा रहा है, मगर बसपा सुप्रीमो मायावती की यूपी के चुनाव में अहमियत घटी नहीं है। बहुतों का मानना है कि इन चुनावों में मायावती को खारिज करने वाले भारी मुगालते में हैं। मायावती अब भी इन चुनावों में डार्क हॉर्स साबित हो सकती हैं। अभी पिछले दिनों उन्होंने पूरे भरोसे से कहा भी था कि पार्टी छोड़ने वाले अकेले जाते हैं। स्वाभाविक रूप से उनका यह भरोसा अपने कैडर की ओर ही था। शिवपाल सिंह बनाम अखिलेश यादव के बीच चल रही खींचतान ऐसे मुकाम में पहुंचेगी जहां से मायावती की पौ-बारह होगी। मायावती को यूपी में मुसलमान वोट चाहिए। बसपा में दलित और ब्राह्मण वोटों का जो पुराना आधार है उसे वह बनाए रखने पर जोर दे रही हैं। ऐसे में अब यूपी में जैसा चुनावी समीकरण बन रहे हैं उनमें बसपा सबको चौंका सकती है। मायावती को इन चुनावों को त्रिकोणात्मक बनाते हुए सपा को पछाड़ कर भाजपा से मुकाबला करते हुए दिखाना चाहती हैं। 

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गौरतलब है कि राज्य में हुए विभिन्न चुनावों सर्वे में भाजपा को यूपी में 41 से 44 फीसदी वोट हासिल होने बात कही गई है। जबकि सपा के खाते में 32 फीसदी, बसपा के खाते में 15 फीसदी, कांग्रेस को 6 फीसदी और अन्य के खाते में 6 फीसदी वोट जा सकने का दावा किया गया है। सीटों के लिहाज से अगर देखें तो भाजपा के खाते में सबसे अधिक 241 से 249 सीटें और सपा के हिस्से में 130 से 138 सीटें जाने का दावा चुनावी सर्वे के आधार पर किया गया है। बसपा 15 से 19 के बीच और कांग्रेस 3 से 7 सीटों के बीच सिमट सकती है, यह भी कहा गया है। इसी तरह के दावे कई अन्य चुनावी सर्वे में किए गए हैं। हर चुनावी सर्वे में भाजपा से सपा का सीधा मुकाबला होना बताया गया है। बसपा को चुनावी लड़ाई में महत्व नहीं दिया गया है। निश्चित तौर पर ये मायावती की पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। ऐसे चुनावी सर्वे को मायावती अपनी पार्टी के लिए नुकसान पहुचाने वाला मानती हैं। मायावती के नजदीकी नेताओं के अनुसार बसपा का वोटर चुनावी सर्वे में हिस्सा नहीं लेता और वह खामोश रहकर चुनाव में चौंकाता है। इसीलिए बहनजी ने चुनावी सर्वे पर रोक लगाने की मांग की है।

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