कॉल सेंटर घोटाला: सर्च साइटों का किया गया इस्तेमाल

अपनी जांच के बाद पुलिस ने बताया कि एक साथ कई लोगों को इंटरनेट आधारित कॉल किया जाता था और संभावित शिकारों को यह फोन सुनाया जाता था एवं और उन्हें धमकाया जाता था।

मुम्बई। हाल में पर्दाफाश हुए करोड़ों रूपए के कॉल सेंटर रैकेट में घोटालेबाजों के नाम और पते उपलब्ध करने वाली सुविदित सर्च वेबसाइटों का इस्तेमाल अपने अवैध धंधे के तहत संभावित शिकार की भुगतान की क्षमता का पता लगाने के लिए कर रहे थे। अपनी जांच के बाद पुलिस ने बताया कि एक साथ कई लोगों को इंटरनेट आधारित कॉल किया जाता था और संभावित शिकारों को यह फोन सुनाया जाता था एवं और उन्हें धमकाया जाता था। एक साथ कई लोगों को फोन किया जाना तकनीकी शब्दावली में ‘ब्लास्टिंग’ कहा जाता है।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘कुछ शिकार इससे डर जाते थे और वे पलटकर फोन करते थे। जब पलटकर फोन आता था तब कॉल सेंटर के कार्यकारी उसकी भुगतान क्षमता को समझने के लिए उसके नंबर के माध्यम से वेबसाइटों (जिन पर लोगों के नाम, पते और अन्य ब्योरे होते थे) पर सर्फिंग करता था।’’ अधिकारी ने बताया कि उच्च भुगतान क्षमता वालों का अन्य के संदर्भ में प्राथमिकीकरण किया जाता था और कॉलसेंटर एजेंट उसे गहरी बातचीत में उलझाकर यह तय करता था कि उसे कितना भुगतान करना है। अधिकारी ने कहा, ‘‘जांच के दौरान खुलासा हुआ कि घोटाले के सूत्रधार सागर ठक्कर उर्फ शैग्गी और उसके साथी अहमदाबाद से वीओआईपी कॉल ब्लास्ट करते थे।’’ उन्होंने बताया कि ये कॉल डायरेक्ट इनवार्ड डायलिंग (डीआईडी) के माध्यम से किये जाते थे। डीआईडी में एक सॉफ्टवेयर की मदद से एक साथ 10 अमेरिकी नागरिकों को कॉल मिल सकता था।

इस कॉल में चकमा देकर मोबाइल फोनों पर अमेरिका जैसे फोन नंबर प्रदर्शित किये जाते थे जिससे अमेरिकी नागरिकों को यह विश्वास करा दिया जाता था कि यह अमेरिकी कराधान विभाग से कॉल हैं। डरे सहमे अमेरिकी नागरिक गिरफ्तारी से बचने के लिए उस नंबर पर जवाब देता था और फिर मोल-भाव में लग जाता था। फोनकर्ता शिकार से पूछता था कि क्या वह मामला सुलझाना चाहता है, यदि वह राजी हो जाता था तब वह यह कॉल अपने वरिष्ठ ‘क्लोजर’ को दे देता था। यह क्लोजर फिर उस नागरिक से अंतिम रूप से मोलभाव करता था और उसे अपना मोबाइल फोन स्पीकर मोड में रखकर निकटतम मशहूर सुपरमार्केट चैन में जाने कहता था। क्लोजर इस शिकार को गिफ्ट कार्ड खरीदने का निर्देश देता था और उससे फिर अपना 16 अंकों का नंबर बताने को कहता था। फिर क्लोजर यह नंबर ठक्कर को दे देता था। अधिकारी ने बताया कि फिर ठक्कर अमेरिका में अपने वेंडरों को कॉल करता था और उनसे हजारों डालर के इन गिफ्ट कार्ड जमा कर देने को कहता था। इस तरह वह कथित हवाला के जरिए मुम्बई और अहमदाबाद में पैसा हासिल करता था। इस तरह ठक्कर ने अवैध रूप से करोड़ों रूपए कमा लिया। पुलिस ने 4-5 अक्तूबर की दरम्यानी रात को ठाणे जिले में मीरा रोड पर यूनीवर्सिल आउटसोर्सिंग सर्विसेज एवं अन्य छह कॉलसेंटरों पर छापा मारा था और उसे हजारों अमेरिकी नागरिकों के डेटा मिले जिन्हें चूना लगाया गया था। इस साल एक जून से चार अक्तूबर तक ठक्कर ने बस एक कॉल सेंटर से 18 लाख डालर कमाए।

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