कोरोना वायरल की वैक्सीन हो सकती है हार्ट अटैक की जिम्मेदार? सिद्धारमैया के आरोपों का स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया जवाब

COVID-19 vaccines
ANI
रेनू तिवारी । Jul 2 2025 12:03PM

कर्नाटक के हासन में दिल के दौरे से हुई मौतों के हालिया मामलों के मद्देनजर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को कहा कि जल्दबाजी में कोविड टीके को मंजूरी और लोगों का टीकाकरण करना भी इन मौतों का एक कारण हो सकता है।

हाल में युवाओं में दिल का दौरा पड़ने के बढ़ते मामलों पर गहराई से शोध करने की जरूरत है। हालांकि, बदलती जीवनशैली, खानपान और गैर-संचारी बीमारियों को दिल की समस्याओं का कारण माना जाता है, लेकिन हासन में सामने आए मामलों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इसका समाधान तलाशने के लिए, विशेषज्ञों की एक टीम को शोध करने और 10 दिन के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने हासन जिले में दिल का दौरा पड़ने के बढ़ते मामलों की जांच के लिए विशेषज्ञों से एक अध्ययन करवाने का आदेश दिया है। सोमवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट कर मंत्री ने कहा कि हासन जिले में एक माह के भीतर दिल का दौरा पड़ने के आए 18 मामलों को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है। 

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कोविड-19 टीकों और अचानक मौतों के बीच कोई संबंध नहीं

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा हासन जिले में हृदय संबंधी मौतों को कोविड-19 वैक्सीन से जोड़ने के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कई एजेंसियों के माध्यम से अचानक अस्पष्टीकृत मौतों के मामले की जांच की गई है और इन अध्ययनों से यह निर्णायक रूप से स्थापित हो गया है कि कोविड-19 टीकाकरण और अचानक मौतों की रिपोर्ट के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।

इसमें कहा गया है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत में कोविड-19 के टीके सुरक्षित और प्रभावी हैं तथा इनमें गंभीर दुष्प्रभावों के मामले अत्यंत दुर्लभ हैं।

कोविड टीके को जल्दबाजी में मंजूरी देना भी दिल के दौरे का कारण हो सकता है: सिद्धरमैया

लेकिन इससे पहले सिद्धारमैया ने मंगलवार (1 जुलाई, 2025) को कहा कि जनता के लिए कोविड-19 वैक्सीन की "जल्दबाजी में मंजूरी और वितरण" भी इन मौतों का एक कारण हो सकता है। कर्नाटक के हासन में दिल के दौरे से हुई मौतों के हालिया मामलों के मद्देनजर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को कहा कि जल्दबाजी में कोविड टीके को मंजूरी और लोगों का टीकाकरण करना भी इन मौतों का एक कारण हो सकता है। उन्होंने सभी लोगों से से आग्रह किया कि यदि उन्हें सीने में दर्द या सांस लेने में कठिनाई हो, तो वे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच कराएं और इसे नजरअंदाज न करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अकेले हासन जिले में ही पिछले महीने दिल के दौरे से 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। 

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उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, “सरकार इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है। इन मौतों के वास्तविक कारण का पता लगाने और समाधान खोजने के लिए जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के निदेशक डॉ. रवींद्रनाथ के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है और उन्हें 10 दिनों के भीतर अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। 

सिद्धरमैया ने कहा, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोविड-19 टीके को जल्दबाजी में मंजूरी देना और लोगों का टीकाकरण करना भी इन मौतों का एक कारण हो सकता है, क्योंकि हाल में दुनिया भर में कई अध्ययनों ने संकेत दिया है कि कोविड टीके दिल के दौरे की बढ़ती संख्या का कारण हो सकते है। इससे पहले कि भाजपा इस मामले को लेकर हमारी आलोचना करे, उन्हें अपनी अंतरात्मा से पूछना चाहिए।

भारत में 18-45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु

आईसीएमआर के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (एनआईई) द्वारा किए गए पहले अध्ययन का शीर्षक था "भारत में 18-45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु से जुड़े कारक - एक बहु-केंद्रित मिलान केस नियंत्रण अध्ययन।"

बयान में कहा गया है कि यह अध्ययन मई से अगस्त 2023 तक 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 तृतीयक देखभाल अस्पतालों में किया गया था। बयान में कहा गया है कि यह अध्ययन मई से अगस्त 2023 तक 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 तृतीयक देखभाल अस्पतालों में किया गया था। इसमें ऐसे व्यक्तियों को देखा गया जो स्वस्थ प्रतीत होते थे, लेकिन अक्टूबर 2021 और मार्च 2023 के बीच अचानक उनकी मृत्यु हो गई।

निष्कर्षों ने निर्णायक रूप से दिखाया है कि कोविड-19 टीकाकरण से युवा वयस्कों में अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु का जोखिम नहीं बढ़ता है। दूसरा अध्ययन, जिसका शीर्षक है "युवाओं में अचानक अस्पष्टीकृत मृत्यु के कारणों का पता लगाना", वर्तमान में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली द्वारा आईसीएमआर के सहयोग और वित्त पोषण से किया जा रहा है।

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