अस्ताचलगामी भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ पूजा की हो गयी शुरुआत

शुद्ध सात्विक भोजन जो बिना लहसुन-प्याज की लौकी और चना की सब्जी व दाल आदि खाकर व्रत के अनुष्ठान का व्रती महिलाओं ने आरंभ किया। आज 9 नवंबर यानी मंगलवार को दूसरे दिन भी व्रती महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर शाम को लोहंडा-खरना का पूजा करेंगी।
वाराणसी। भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व चराचर सृष्टि लोक आस्था में गहराई तक गुंथा छठ पूजा के महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान सोमवार से नहाय-खाय के विधि के साथ शुरू हो गया है। छठ पूजा करने वाली सभी व्रती महिलाओं ने प्रात:काल से ही स्नान-ध्यान कर व्रत का शुभारंभ कर दिया है। शुद्ध सात्विक भोजन जो बिना लहसुन-प्याज की लौकी और चना की सब्जी व दाल आदि खाकर व्रत के अनुष्ठान का व्रती महिलाओं ने आरंभ किया। आज 9 नवंबर यानी मंगलवार को दूसरे दिन भी व्रती महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर शाम को लोहंडा-खरना का पूजा करेंगी। इसमे पूरे दिन के व्रत के बाद शाम को बखीर-रोटी बनाया जाता है और पूजा करके व्रती महिलायें यही खाएंगी। फिर तीसरे दिन यानी बुधवार को भगवान सूर्य को सायंकालीन व चौथे दिन यानी गुरुवार को प्रात:कालीन अर्घ्य दिए जाएंगे।
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व्रती महिलाएं अपने क्षेत्र के विभिन्न नदियों व तालाबों के घाटों पर भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करेंगी। इसके लिए बनारस के सभी गंगा, वरुणा और असि के अलावा सूरजकुंड समेत तमाम कुंंडों और तालाबों पर वेदियां बनकर तैयार हो गयी है। मान्यता है कि छठ व्रत करने वालों पर भगवान सूर्य और षष्ठी माता की कृपा बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि नहाय-खाय से लेकर पारण तक व्रती महिलाओं पर भगवान सूर्य अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य प्राप्ति के साथ ही सौभाग्य एवं संतान की कुशलता के लिए रखा जाता है।
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